31 अक्तूबर 2020

शायर फिर बोला है !

 शायर फिर से बोला है,

ज़हर फ़िज़ा में घोला है।


रोज़ सियासत रिसती है,

जब भी मुँह खोला है।


कट्टरता,पाखंड में चुप्पी,

रंगा मज़हबी चोला है।


पक्के गाँधीवादी ठहरे,

हाथ ‘अहिंसा-गोला’ है।


मज़हब सबसे ऊपर है,

असली यही फफोला है।


‘हम सब मानव हैं पहले’

शायर क्यूँ ना बोला है !


—संतोष त्रिवेदी 


#MunawwarRana

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