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18 अगस्त 2012

अमन की अपील !

भारतनगर में सुख-शांति का माहौल था|काफ़ी दिनों से ख़बरें फीकी-फीकी सी आ रही थीं|लोग अपने काम-काज में इतने व्यस्त और मस्त थे कि नगर में हो-हल्ला बिलकुल थम सा गया था|राम लाल और नूर मुहम्मद आपस में गहरे मित्र थे|भारतनगर के भाग्य का फैसला भी इन्हीं के हाथ में था.दोनों अपने-अपने इलाके के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में शुमार थे|शहर की इतनी शांति को देखकर दोनों को हैरानी हो रही थी|शहर की भलाई के लिए दोनों ने एक बैठक करने का फैसला किया|

राम लाल और नूर मुहम्मद की फ़ोन पर अकसर बातचीत होती थी,पर समाजसेवा और समुदाय की भलाई के लिए वे आपस में कम ही मिलते थे|अब जब छः महीने बाद नगरपालिका के चुनाव होने थे,ऐसे में शहर में इतनी शांति होने से वे चिंतित हो गए|इसलिए दोनों के शुभचिंतकों ने आज आखिर उनकी मुलाक़ात करा ही दी|दोनों दोस्तों ने गहन विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो शहर और वे दोनों खबर से बाहर हो जायेंगे|लोगों को उनके बिना जीने की आदत पड़ जायेगी,जिससे उनके कार्यकर्त्ता भी निकम्मे हो जायेंगे|साथ ही,समाज-सेवा के पुण्य-कार्य का अवसर उन्हें बराबर मिलते रहना चाहिए|इस बात पर दोनों में गंभीर सहमति बन गई|

भारतनगर के भविष्य का फैसला हो गया था|शाम होते-होते दोनों के कारिंदे अलग-अलग दिशाओं में बढ़ चुके थे|राम लाल और नूर मुहम्मद ने पहले से ही प्रेस-विज्ञप्ति तैयार करवा ली थी,जिसमें शहर में अमन और शांति बनाये रखने की अपील की गई थी|