24 सितंबर 2019

जीडीपी बादरु फारे है !

सोना नींद हराम केहे
रुपिया ख़ूनु निकारे है।
बड़की बातैं सब हवा हुईं,
जीडीपी बादरु फारे है।

गै लूटि तिजोरी बंकन कै
खीसा पूरा अउ झारि दिहेन
बैपारी पैकेज चाँटि रहे,
लरिकउना पेटु उघारे है।

करिया-धनु एकदम गा बिलाय
अब तौ बिकास चुचुहाय रहा।
टिलियन डॉलर बसि आवति हैं
निम्मो दीदी समुझाय कहा।

रोज़ी-रुजगार का पूछो ना
बैलवा काँधु अब डारि दिहिसि।
काटु करै अब कउनि दवा
यहु मंदी जानु निकारे है !

जब ते तीन तलाक़ गवा,
कश्मीरौ ‘धारा’ छाँड़ि दिहिसि
अमरीका की धरतिउ ते अब
ज्वानु हमा ललकारे है।

तब ते संतोषु केहे हरिया
दुखु वहिका माटी होइगा।
देशभक्ति की चढ़ी बाढ़ मा
कउनो मुलु पाथर बोइगा।।

-संतोष त्रिवेदी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें