उनकी याद भी अब उनकी तरह नहीं आती,
कोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती !(१ )
हमने मौसम की तरह,उनका इंतज़ार किया,
पतझर के बाद भी ,बासंती-हवा नहीं आती ! (२)
वे खूब खुश रहें ,अपने जहान में,
हमें तो अब दुआ भी,देनी नहीं आती !(३)
शाख़ से गिर गए हम वो परिंदे हैं,
आस्मां न हाथ आया,ज़मीं नहीं सुहाती !(४)
बीते हुए लम्हों को पकड़ने की ज़िद में,
ख़ुशी न रोक सका,ज़िन्दगी चली जाती !(५)
यह भी देखें:
और यह देखिये मेरी हिमाकत:
दुआ ये दिल से वो ,आबाद हों अपने जहान में,
लुटे तो हम ज़रूर हैं,पर बद्दुआ नहीं आती !
कोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती !(१ )
हमने मौसम की तरह,उनका इंतज़ार किया,
पतझर के बाद भी ,बासंती-हवा नहीं आती ! (२)
वे खूब खुश रहें ,अपने जहान में,
हमें तो अब दुआ भी,देनी नहीं आती !(३)
शाख़ से गिर गए हम वो परिंदे हैं,
आस्मां न हाथ आया,ज़मीं नहीं सुहाती !(४)
बीते हुए लम्हों को पकड़ने की ज़िद में,
ख़ुशी न रोक सका,ज़िन्दगी चली जाती !(५)
यह भी देखें:
अपने अली साहब को यह ग़ज़ल भेजकर सम्मति ली थी ,
उनने तीसरे शेर में कुछ यूं तबदीली की,हालाँकि मैंने अपना
वाला वर्ज़न ज्यों का त्यों रखा है ताकि उसका भाव हमारा हो !
दुआ ये दिल से वो शादाब हों आबाद हों अपने जहान में,
लुटे से हम ज़रुर हैं फिर भी ,लबों पे बद्दुआ नहीं आती !
--अली सैयदऔर यह देखिये मेरी हिमाकत:
दुआ ये दिल से वो ,आबाद हों अपने जहान में,
लुटे तो हम ज़रूर हैं,पर बद्दुआ नहीं आती !
आपको दुआ देनी नहीं आती
जवाब देंहटाएंइसलिए बासंती हवा नहीं आती।
गाओगे गीत जो पर्यावरण के
सुधर जाएंगे आचरण आदमियत के।
काश ,हम भी आदमी होते,
हटाएंतो यूँ सरे-आम न रोते !
himaqut......admiyat(jan-gan ke)
हटाएंpranam.
आदमियत ... हिमाकत ...
हटाएंयही है शब्दों की ताकत।
बिन तेरे क्या अजीब आलम है
जवाब देंहटाएंखुद की बेगम नज़र नहीं आती :)
घोंसले कितने बनाये हमने
शाख से ये खबर नहीं आती :)
सर्दियाँ खुश्क खुश्क सी गुजरीं
गर्मियां तर-ब-तर नहीं आतीं :)
तुमसे उम्मीद नहीं अब हमको
चुम्मियां इस अधर नहीं आतीं :)
अपनी लाइफ से जो अब्सेंट हो तुम
हटाएंडेट-ए-एक्जाम की खबर नहीं आतीं :)
संतोष जी से कहना था..
हटाएंदोस्त गम ख्वारी में अब और फरमायेंगे क्या
रोयेंगे जब जार-जार चुटकी भी न बजायेंगे क्या!
बसंत पंचमी के दिन इतना थका-थकापन! :)
जवाब देंहटाएंकाश,रोज़ बसंत आये,
हटाएंहमें खूब थकाए !
बड़ी बेवफा है बासंती हवा,
जवाब देंहटाएंपतझड़ के बाद भी नहीं आती..
यही तो दर्द है मसलसल हमको,
हटाएंअब उनकी खबर भी नहीं आती !
खबर जब भी आये, दुरुस्त आये,
हटाएंहमें कयामत मनानी भी आती।
ओह! गमज़दा माहौल में पढ़ी जाय तो खूब अच्छी लगेगी यह गज़ल।
जवाब देंहटाएंमाहौल का कुसूर नहीं,न ग़ज़ल का है,
हटाएंहमारी जिंदगी ही कुछ ऐसी हो गई है !
:( ....!
हटाएंऐ मेरे शहर की वासंती हवा..जा! बैसवारी में कोई उदास बैठा है। जा उसे मस्त कर दे।
आभार ....बसंती को भेजने के लिए !
हटाएंग़ज़ल, इम्प्रोवाइज़ेशन और टिप्पणियाँ, सभी सुन्दर लगीं।
जवाब देंहटाएंकभी-कभी यह दर्द भी अच्छा होता है !
हटाएंबेहतरीन गजल चल निकली .... बह निकली....
जवाब देंहटाएंबसंती हवा मानिंद
उम्मीद में दुनिया कायम है.... आएगी जरूर आएगी। इंतजार करें।
जवाब देंहटाएंबढिया लिखा है आपने और अली साहब ने जो परिवर्तन किये वो भी गजब के हैं।
उनकी याद भी अब उनकी तरह नहीं आती,
जवाब देंहटाएंकोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती ..
भाई लाजवाब और गहरा शेर है ये तो ... मज़ा आ गया पूरी गुफ्तगू पढ़ के ...
लगता है , मिश्र जी की बसंती हवा लग गई आपको भी । :)
जवाब देंहटाएंटिप्पणियां पढ़कर भी आनंद आ रहा है त्रिवेदी जी ।
भाई जी ,
जवाब देंहटाएंवसंत में, बसन्ती का इन्तजार है !
मन का हर कोना , बेक़रार है !
"यह भी देखें" इस पोस्ट का सबसे अच्छा हिस्सा है :)
जवाब देंहटाएंउत्तम अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएं....!
वाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल..
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...
बाकी पोस्ट्स धीरे धीरे पढेंगे.
शुभकामनाएँ.
इन दिनों आप और अली साहब अपने सृजनीय जीवन के उफान पर हैं :)
जवाब देंहटाएंशेर अच्छे है ! बधाई!
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज चर्चा मंच पर देखी |
बहुत बहुत बधाई ||
बहुत बेहतरीन लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंदुआ ये दिल से वो ,आबाद हों अपने जहान में,
लुटे तो हम ज़रूर हैं,पर बद्दुआ नहीं आती !
यह परिवर्तन भी बहुत शानदार है ...
उनकी याद भी अब उनकी तरह नहीं आती,
जवाब देंहटाएंकोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती !
क्या बात है संतोष जी!! बहुत खूब.
बहुत बेहतरीन लिखा है आपने ...बहुत बहुत बधाई .....
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छी ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंइन्तजार करे बसंती का,...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गजल, बेहतरीन प्रस्तुति,
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
बेहतरीन गजल ,लाजबाब प्रस्तुती,...
जवाब देंहटाएंmy new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...