( कांग्रेस )
राहुल जी को जल्दी है,
खतम करनी है रेस,
सीटी बजने से पहले ही
दौड़ गई कांग्रेस !!
( भाजपा )
आओ-आओ
जो भी आओ,
अगड़ा-पिछड़ा ,तगड़ा आओ,
भाई-बिरादर टिकट कटाओ ,
जीत न पाओ,फिर सो जाओ !!
( सपा )
अबकी घूम रहे अखिलेश,
हवा भर रहे नेताजी.
जैसे-तैसे सत्ता पायें,
फिर से हों गुंडे राजी !!
( बसपा )
माया अपना जन्मदिन मनाएं,
हम सब देते ढेर दुआएं,
खूब कमाएँ,
यदि लौट के आयें !!
राहुल जी को जल्दी है,
खतम करनी है रेस,
सीटी बजने से पहले ही
दौड़ गई कांग्रेस !!
( भाजपा )
आओ-आओ
जो भी आओ,
अगड़ा-पिछड़ा ,तगड़ा आओ,
भाई-बिरादर टिकट कटाओ ,
जीत न पाओ,फिर सो जाओ !!
( सपा )
अबकी घूम रहे अखिलेश,
हवा भर रहे नेताजी.
जैसे-तैसे सत्ता पायें,
फिर से हों गुंडे राजी !!
( बसपा )
माया अपना जन्मदिन मनाएं,
हम सब देते ढेर दुआएं,
खूब कमाएँ,
यदि लौट के आयें !!
वाह वाह जी वाह,बहुत खूब जी बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसब पार्टियों की लुटिया गयी है डूब!
अब एकदम्म अन्ना का चांस है !
हटाएंयही सच है आज
जवाब देंहटाएंकल भी यही रहेगा !
हटाएंसटीक .. यही सच है आज की राजनीति का
जवाब देंहटाएंराजनीति ऐसी होती है क्या ?
हटाएंतुकबंदी अच्छी लगी,सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमाया जी की बोलती बंद कर रहे अखिलेश
राहुल जी भी दौड रहे भाजापा के संग रेश
भाजापा के संग रेश,अन्तमें जीत हमारी होगी
मुलायमसे मिलकर,सरकार बनायेगी कांग्रेस,...
--काव्यान्जलि --हमदर्द-.
अकेले ही नेताजी अगुवाई करेंगे !
हटाएंसभी राजनैतिक दलों की वर्त्तमान स्थित का सही चित्रण.
जवाब देंहटाएंvikram7: जिन्दगी एक .......
...मगर समाज तो कहाँ जा रहा है?
हटाएंराजनीति के खेल में रंगें सभी एक रंग,
जवाब देंहटाएंहमें लड़ाएं साथ में और वो सब हैं एक संग!
बढ़िया त्रिवेदी जी, चुनावी रंग में चुनावी दांव!!
कब तक आग-पानी खेलेंगे,
हटाएंकभी तो खुद भी जलेंगे !
चुनावी राजनीति को बेनकाब करती पंक्तियां.
जवाब देंहटाएं....कहीं चुनाव आयोग परदा ना डलवा दे !
हटाएंसम्यक दृष्टि! समभाव!
जवाब देंहटाएं..मगर जनता में जाति-भाव !
हटाएंपूरा आनन्ददायी महायज्ञ..
जवाब देंहटाएं...इस यज्ञ में आहुति हमारी !
हटाएंसही कहा आपने !
जवाब देंहटाएंजनता समझे तब ना!
हटाएं(१) शीघ्र पतन
जवाब देंहटाएं(२) नौ कनौजिया तेरह चूल्हे
(३) मेरी बीबी की शादी
(४) मोरे सजन हैं उस पार मैं इस पार
१)अपने पाँव कुल्हाड़ी
हटाएं२)दिल्ली दूर,लखनऊ भी दूर,कहाँ जाये यह हूर ?
३)बिल्ली के भाग से छींका टूटा
४)घूंघट खुलेगा भी या नहीं ?
इससे ज़्यादा अपन की औकात नहीं है ,अली भाई !
हम तो यही कहेंगे --
जवाब देंहटाएंनेताओं को मत मिले
पार्टियों को बहुमत मिले ।
जनता को चावल दाल मिले
दो रूपये किलो हर माल मिले ।
अब देखते हैं , क्या होता है ।
आपके मत से,
हटाएंनेताओं को सम्मति मिले,
फूल उनके गुलशन में नहीं,
हम सबके चमन में खिले !
सभी ब्लॉगर वोट डालने जांय और अच्छे प्रत्याशी को जितायें। मतदाता निर्भय हो। लोकतंत्र की जय हो।
जवाब देंहटाएंइसके लिए तो ब्लॉगर्स को ही टिकट देना पड़ेगा !
हटाएंटिकट के दौड में मेरा नाम लिख ले,...
हटाएंआपको अनूप पुर,शहडोल से अगले चुनाव में टिकट दिया जाता है !
हटाएंसंतोष जी को ब्लॉगर पार्टी की बधाई...टिकट की पहली उम्मीदवारी आई..बगैर मोलभाव किये तत्काल टिकट दे दीजिए जी..इनसे अच्छा उम्मीदवार आपको कहाँ मिलेगा!
जवाब देंहटाएंटिकट देने बोले रहे हैं या टिकट काटने :)
हटाएंयहां..अभी टिकट के मामले में ब्लॉगरों में कटी-कटा नही है। देने की ही बात है। आप चाहें तो दूसरी उम्मीदवारी के लिए फारम भर सकते हैं:)
हटाएंअली साब का राठ,हमीरपुर से व देवेन्द्र जी का डुमरिया गंज से टिकट पक्का है !
हटाएंसभी पार्टियों को सही से लपेटा है आपने ...
जवाब देंहटाएंसभी एक ही थैली के हैं ... कोई एक नहीं आया तो मिल बाँट के खायेंगे ...
...इनसे बचकर कहाँ जायेंगे ?
हटाएंक्या क्षणिकाएं हैं जी !सभी की धुल दी आपने अच्छे से !... लेकिन ये इतने से ही 'साफ़' होने वाले नहीं हैं !
जवाब देंहटाएंराजनैतिक परिवेश का सटीक चित्रण ..अच्छी प्रस्तुति
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