मोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
मोदी जी की चाल से,अडवाणी जी फेल|
जवाब देंहटाएंमजबूरी है क्या करे,वक्त दिखाता खेल|
RECENT POST : बिखरे स्वर.
कट्टरता का खेत,जोतने आये मोदी...
जवाब देंहटाएंबढ़िया सामयिक पंगा !!
समय-समय का खेल है अब कैसा मलाल
जवाब देंहटाएंफसल कटे तब देखना दोनों होंगे मालामाल
राजनीति है बड़ी परायी,
जवाब देंहटाएंअपनी पौध, किसी ने खायी।
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंdownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
सामयिक पंगा !! बहुत खूबसूरती से लिखा है
जवाब देंहटाएंपापा मेरी भी शादी करवा दो ना
जवाब देंहटाएंमोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
बहुत बढ़िया कहा आपने त्रिवेदी संतोषजी -
गौर इधर भी करें -
कट्टरता का खेत जलाने आये मोदी ,
चलता रहा क्या खेल बताने आये मोदी
मोदी का देखो मच गया है कितना हल्ला ,
जवाब देंहटाएंसावधान रहना तुम लल्ला ,
बैठे सेकुलर घात लगाए ,
इनसे बचके रहना लल्ला।
जवाब देंहटाएंसमय करे नर क्या करे समय समय की बात ,
मोदी से जो भी भिड़े जमके खाए मात।
कितना अच्छा लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |सादर मदन
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