उधर चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए और इधर मुझे चिंता हुई कि हमारे नेताजी का न जाने क्या हाल होगा ?मैंने उन्हें फोन लगाया तो बार-बार यही सन्देश आ रहा था कि वे आपकी पहुँच से बाहर हैं.अब इस पर मैं क्या कहूँ,नेताजी तो मेरी पहुँच से बाहर पहले भी थे वो तो मुआ चुनाव न आता तो वे क्या उनका फोन भी मेरी पकड़ में न आता !
मुझे याद आने लगा,नेताजी का अबकी बार बड़े जोश में होना.वे हमारे क्षेत्र के साथ-साथ पूरे प्रदेश को सुधारने का संकल्प ले चुके थे.इसके लिए कुछ समय पहले से ही वे जी-जान से जुटे हुए थे.एक तरफ वे जगह-जगह अपनी बाजुओं को चढ़ाकर भ्रष्टाचार और अपराध को लतिया रहे थे तो दूसरी ओर उनके सिपाही जनता को ललचा और धमका रहे थे.इस अभियान में अकिल वाले वकील साब ,रणविजय जी ,बलवान जी और खैनी प्रसाद ने अहम् रोल अदा किया.किसी ने बाबा को,किसी ने महात्मा को तो किसी ने आम मतदाता को ठिकाने लगा दिया था.मुझे पूरी उम्मीद थी कि जनता आखिरी समय में हमारे नेताजी का ही साथ देगी.
मगर चुनाव के नतीजे सब उलट-पुलट किये जा रहे थे.मेरा मन बेचैन हो गया.मुझे लगा कि इस वक़्त नेताजी को मेरी सबसे ज्यादा ज़रुरत है.फोन से बात हो नहीं पा रही थी सो मैं उनसे मिलने स्वयं उनके घर पहुँच गया.घर के बाहर लगे पोस्टर अभी भी मतदाताओं को जगाने का आह्वान कर रहे थे.एक्का-दुक्का आदमी कुर्सियों पर पड़े ऊंघ रहे थे.तभी देखा एक कोने पर नेताजी भी बैठे दिखे.पहली बार उनसे मिलने के लिए पहले से इजाज़त लेनी की ज़रुरत नहीं पड़ी.मैं उनके पास पहुँच गया ,उन्होंने इशारे से मुझे बैठने को कहा.मैंने उनका यह इशारा जल्द समझ लिया,हालाँकि मेरे कई इशारे चुनाव के पहले वे नकार चुके थे.
मैंने नेताजी से सहानुभूति दिखाते हए कहा कि आपने इस बार बड़ी मेहनत की.इस कोशिश में आपके कुरते को भी काफी-कुछ झेलना पड़ा पर कोई बात नहीं,अगली बार आप ज़रूर सफल होंगे.नेताजी ने सांस भरते हुए कहा कि इस प्रदेश का कुछ नहीं हो सकता.लोग मुद्दों को नहीं समझते.मेरी भावनाओं को दर-किनार करके यह प्रदेश किस तरह उन्नति करेगा,मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.मैंने जनता की भलाई के लिए कितना सोच रखा था,काफी बजट भी तैयार कर रखा था,अब सब बेकार हो गया.नेताजी आगे कहने लगे कि मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है.सारी गलती चुनाव-आयोग की लगती है.फागुन के महीने में चुनाव कराने की क्या ज़रुरत थी ? मुझे तो लगता है कि इस फगुनई असर से मतदाता भी बौरा गए और उन्होंने हमारे त्याग-बलिदान का भी कोई लिहाज़ नहीं रखा !
मैंने मौके की नजाकत ताड़ते हुए कहा कि मतदाताओं को इस चुनावी-मौसम में पहली बार फागुनी बदला लेने का मौका मिला है.आप हलकान न हों.आप की बेमौसम कारगुजारी को मतदाता कई बार अनदेखा और माफ़ कर चुके हैं.इस बार यह गुस्ताखी अगर उन्होंने की है तो आप भी उन्हें माफ़ कर दो,आखिर होली है.मैंने उनके माथे पर गुलाल लगाते हुए चिकोटी काटी,बुरा न मानो होरी है !
मुझे याद आने लगा,नेताजी का अबकी बार बड़े जोश में होना.वे हमारे क्षेत्र के साथ-साथ पूरे प्रदेश को सुधारने का संकल्प ले चुके थे.इसके लिए कुछ समय पहले से ही वे जी-जान से जुटे हुए थे.एक तरफ वे जगह-जगह अपनी बाजुओं को चढ़ाकर भ्रष्टाचार और अपराध को लतिया रहे थे तो दूसरी ओर उनके सिपाही जनता को ललचा और धमका रहे थे.इस अभियान में अकिल वाले वकील साब ,रणविजय जी ,बलवान जी और खैनी प्रसाद ने अहम् रोल अदा किया.किसी ने बाबा को,किसी ने महात्मा को तो किसी ने आम मतदाता को ठिकाने लगा दिया था.मुझे पूरी उम्मीद थी कि जनता आखिरी समय में हमारे नेताजी का ही साथ देगी.
मगर चुनाव के नतीजे सब उलट-पुलट किये जा रहे थे.मेरा मन बेचैन हो गया.मुझे लगा कि इस वक़्त नेताजी को मेरी सबसे ज्यादा ज़रुरत है.फोन से बात हो नहीं पा रही थी सो मैं उनसे मिलने स्वयं उनके घर पहुँच गया.घर के बाहर लगे पोस्टर अभी भी मतदाताओं को जगाने का आह्वान कर रहे थे.एक्का-दुक्का आदमी कुर्सियों पर पड़े ऊंघ रहे थे.तभी देखा एक कोने पर नेताजी भी बैठे दिखे.पहली बार उनसे मिलने के लिए पहले से इजाज़त लेनी की ज़रुरत नहीं पड़ी.मैं उनके पास पहुँच गया ,उन्होंने इशारे से मुझे बैठने को कहा.मैंने उनका यह इशारा जल्द समझ लिया,हालाँकि मेरे कई इशारे चुनाव के पहले वे नकार चुके थे.
मैंने नेताजी से सहानुभूति दिखाते हए कहा कि आपने इस बार बड़ी मेहनत की.इस कोशिश में आपके कुरते को भी काफी-कुछ झेलना पड़ा पर कोई बात नहीं,अगली बार आप ज़रूर सफल होंगे.नेताजी ने सांस भरते हुए कहा कि इस प्रदेश का कुछ नहीं हो सकता.लोग मुद्दों को नहीं समझते.मेरी भावनाओं को दर-किनार करके यह प्रदेश किस तरह उन्नति करेगा,मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.मैंने जनता की भलाई के लिए कितना सोच रखा था,काफी बजट भी तैयार कर रखा था,अब सब बेकार हो गया.नेताजी आगे कहने लगे कि मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है.सारी गलती चुनाव-आयोग की लगती है.फागुन के महीने में चुनाव कराने की क्या ज़रुरत थी ? मुझे तो लगता है कि इस फगुनई असर से मतदाता भी बौरा गए और उन्होंने हमारे त्याग-बलिदान का भी कोई लिहाज़ नहीं रखा !
मैंने मौके की नजाकत ताड़ते हुए कहा कि मतदाताओं को इस चुनावी-मौसम में पहली बार फागुनी बदला लेने का मौका मिला है.आप हलकान न हों.आप की बेमौसम कारगुजारी को मतदाता कई बार अनदेखा और माफ़ कर चुके हैं.इस बार यह गुस्ताखी अगर उन्होंने की है तो आप भी उन्हें माफ़ कर दो,आखिर होली है.मैंने उनके माथे पर गुलाल लगाते हुए चिकोटी काटी,बुरा न मानो होरी है !
अभी तो यह अंगडाई है आगे और तुड़ाई है :)
जवाब देंहटाएंदेख कर तूफ़ान में कश्ती लोग सब डर जायेंगे
हटाएंमैं लपक कर नाखुदा की ... में घुस जाऊंगा :)
..तभी तो आपकी ड्यूटी लगाई है !
हटाएंअली साब...मिसिर जी से पंगा मत लो होली में !
हटाएंबढ़िया चुनावी हास्य व्यंग !
जवाब देंहटाएंनेता जी सब जानते हैं , आप हम से ज्यादा तजुर्बेकार हैं :)
ज्यादा तजुर्बेकार और उम्रदराज भी :)
हटाएंअली साब ,होली के दिन उमर को बीच में न लाओ !
हटाएंरोज पढते अखबार हम न देख सके,
जवाब देंहटाएंआप कब हो गए सरकार हम न देख सके
सुंदर चुनावी व्यंग,.....
होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
आभार सरकार को भी,बधाई !
हटाएंKHAINI PRASAD.........HA HA HA....MAJEDAR POST....POORI KHINCHAI....
जवाब देंहटाएंPRANAM.
जय हो...होरी है !
हटाएंबहुत बढ़िया......
जवाब देंहटाएं:-)
"मैंने उनका यह इशारा जल्द समझ लिया,हालाँकि मेरे कई इशारे चुनाव के पहले वे नकार चुके थे."
तीखे कटाक्ष...
मज़ा आया पढ़ने में...
आपकी होली शुभ हो...
आभार...होली की बधाई स्वीकारें !
हटाएंहा हा हा.....
जवाब देंहटाएंचिकोटी नहीं...चांटा बनता था...
:-)
बहुत बढ़िया लेखन....
होली की शुभकामनाएँ.
चांटा तो गैरों ने मारा,हम तो अपने हैं !
हटाएंहोली की शुभकामनाएँ !
होली भी सही समय पर आयी है, सुख दुख दोनों ही इसमें समा जायेगा।
जवाब देंहटाएंदुःख जल जायेगा,सुख निकल आएगा !!
हटाएंहारने वाले दुःख जला देवें - इसी होली में....
जवाब देंहटाएंजीतने वाले रंग लगा देवें - इसी होली में ..
सही है...! आभार
हटाएंतो आप उनके घाव में तीली मार आये ... वो भी होली के बहाने ... हा हा ..
जवाब देंहटाएंआपको और परिवार में सभी को होली की मंगल कामनाएं ...
घाव में तीली या नमक?
हटाएंहोली की बधाई !
.
जवाब देंहटाएंवाह ! मजेदार पोस्ट के लिए आभार :)
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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होली की बधाइयाँ !
हटाएंआपको सपरिवार होली की शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंहोली के दिन भी सपरिवार ? येss अच्छी बात नहीं है :)
हटाएंअली साहब ,आप भी ना...!
हटाएंसतीश जी...आप सपरिवार होली का आनंद लें और अली साब को छुट्टा घूमने दें !!
हटाएंअच्छा चुनावी व्यंग .... होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपको भी संगीता जी !
हटाएंपहुंच के ही बाहर थे, खैर मनाइए कि उन्होंने स्विच ऑफ नहीं कर रखा था। कभी न कभी तो उनका पहुंचा पकड़ाएगा ही। इस बार तो लोगों ने बहुतों को पहुंचा पकड़ के बाहें मड़ोड़ दी है।
जवाब देंहटाएंहैप्पी होली।
...मरोड़ी हुई बांह में मरहम-पट्टी कराइए,
हटाएंफ़िलहाल होली मनाइए !!
ईश्वर आपके अंतस में उल्लास के रंग और जीवन में अनंत मुस्कराहटों के अवसर भर दे ! रंग पर्व पर मेरी शुभकामनायें स्वीकारने की कृपा करें !
जवाब देंहटाएंअली
...सोच रहा हूँ ,कम से कम होली में आपकी यह मुराद तो पूरी ही कर दूं !!
हटाएंलगे हाथों आपको भी नेक इच्छाएं !
शुभकामनाएँ आपको भी !
जवाब देंहटाएंआभार !
जवाब देंहटाएंनेताजी बिचारे पहले से ही दुखी हैं उनके जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए आपने पोस्ट भी लिख डाली। वाजपेयी जी कह रहे होंगे..यह तो अच्छी बात नहीं है।:)
जवाब देंहटाएंमस्त पोस्ट..कमेंट पर कमेंट भी बढ़िया।
होली की शुभकामनायें।
..वाजपेईजी तो बेचारे ढीले पड़े हैं !
हटाएंआपको बनारस की होली मुबारक हो !
पोस्ट जानदार है माट्साब!! और आज तो लगता है अली सा. भी पूरी तरंग में हैं.. बस उनके प्रत्युत्तर पढ़ रहा हूँ और मुस्कुरा रहा हूँ.. जनाब सुन रहे हों तो अपने शेर में नाखुदा के जिस अंग विशेष के चर्चा की है उसे स्पष्ट कर दें!!
जवाब देंहटाएंहोली में सब अंग रोमांचित होते हैं पर अली सा ने जिस विशेष अंग का संकेत किया है,उसे आप भी समझ रहे हो !!
हटाएंहोली में ठिठोली !
होली की शुभकामनायें,मजेदार पोस्ट के लिए,आभार
जवाब देंहटाएंहोली की बधाई...संगीता जी !
हटाएंजी,एक बार तो ज़रूर आयेंगे !
जवाब देंहटाएंहोली के बहाने आपने लगाईं नेता जी की वाट
जवाब देंहटाएंहो जाइए तैयार उठवाने के लिए अपनी खाट !
:)