10 सितंबर 2012

शब्दों पर पहरे !




न कुछ बोलो
न कहो कुछ
शब्दों पर हैं पहरे,
उठाओ न नक़ाब
शरीफ हैं चेहरे
बनो तुम सब
हम जैसे
 अंधे-बहरे !
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28 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ा वाकया मार्मिक, संवेदना असीम |
    व्यंग विधा इक आग है, चढ़ा करेला नीम |
    चढ़ा करेला नीम, बहुत अफसोसनाक है |
    परंपरा यह गलत, बहुत ही खतरनाक है |
    लेकिन मेरे मित्र, खींच के लक्ष्मण रेखा |
    खींचे जाएँ चित्र, नहीं करिए अनदेखा ||

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  2. शरीफ हैं चेहरे
    बनो तुम सब
    हम जैसे
    अंधे-बहरे !
    .......बहुत सुन्दर लिखा है आपने !

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  3. कुछ पागल है
    थोडे़ से वो
    बोल रहे हैं
    बाकी तो आदमी हैं
    चूने में पानी
    घोल रहे हैं
    सारे देश में
    चूना जो लगाना है
    जहाँ जहाँ हो गया
    है काला पीला
    सबको सफेद
    कर जाना है
    टोपी कुर्ते
    से मैच करले
    इतना चमकाना है !

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  4. उफ्फ्फ!! गहरी सचाई है.. मगर अंधे के आगे आईना रखना भी बेकार!!

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  5. http://www.facebook.com/groups/462090727146650/ Aseem Trivedi असीम त्रिवेदी समूह के सदस्‍य बनें। अपने मित्रों को बनाएं और प्रोफाइल में असीम त्रिवेदी का खुद का बनाया हुआ स्‍कैच तब तक के लिए लगाएं जब तक बेशर्त रिहाई नहीं होती।

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  6. Itane kum shabdon me itani badee baat.

    उठाओ न नक़ाब
    शरीफ हैं चेहरे
    बनो तुम सब
    हम जैसे
    अंधे-बहरे !

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  7. गिने तुले शब्दों में कितना बड़ा कड़वा सच

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  8. यह पोस्ट भी देखें !

    http://www.hunkaar.com/2012/09/blog-post_11.html

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  9. क्या कहने इस धार के
    सरकारी बंटाधार के
    नाव बिना पतवार के
    सत्ताभूमि में उग आये
    खतरनाक खर-पतवार के
    बोलने की आजादी पर
    बैठे पहरेदार के

    क्या कहने...

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  10. असीम को भेड़िये की जगह खूनी पंजा दिखाना चाहिए था,कड़वा सच...!

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  11. शब्द बोलने और चित्र उकेरने ... सभी पर पाबंदी है ...
    ये एमरजेंसी से कम है क्या ... अब तो खुले आम बंदिशें हैं ...

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  12. न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए असीम त्रिवेदी को राजद्रोह के आरोप से मुक्त करके निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है ।
    ...न्यायालय को नमन।

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  13. बोलिये सुरीली बोलियाँ ... अन्याय का विरोध हो पर राष्ट्र की कीमत पर नहीं! देश का सम्मान बना रहे!

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  14. वाकई ......लोकतंत्र की वन्दिशें .....ये कैसा विलोम है ?

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