आज शिक्षक-दिवस की गहमा-गहमी है .शिक्षक जी मगन हो रहे हैं.कम से कम तीन सौ पैंसठ दिन में एक दिन ऐसा है जब उन्हें किसी अनहोनी की आशंका नहीं है.घर और बाहर उन्हें 'फूल' नहीं समझा जायेगा बल्कि कुछेक चेले उनको ही ज़बरिया फूल दे देंगे,भले ही वे कागज में बने हों.
आज गुरूजी को सबसे बड़ी तसल्ली है कि उन्हें कक्षा में अपने सर्वशक्तिमान छात्रों से मुठभेड़ नहीं करनी पड़ेगी.आज के दिन बच्चे ही कक्षाओं में पढ़ाते है.वैसे गुरूजी को अंदर की बात पता है कि वे कौन-सा पूरे साल पढ़ाते हैं.बच्चे ही कक्षाओं को अपने नियंत्रण में रखते हैं.वे तो बस बच-बचाकर कक्षा से निकल आते हैं.बच्चों में यह गज़ब का आत्मविश्वास बताता है कि हमारी शिक्षा-प्रणाली अभूतपूर्व रूप से विकसित हो गई है.
गुरूजी को इस बात का दुःख ज़रूर रहेगा कि वे आज बच्चों को खाना-पीना,नकदी,वर्दी,पुस्तकें आदि मुफ़्त बांटने वाले अहम कार्यों से वंचित रहेंगे.रही बात जनगणना और वोटर-लिस्ट बनाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य तो सरकार जी बाद में पूरा करा ही लेंगी.
कुछ नमकहलाल शिक्षकों को आज सरकार जी की ओर से सम्मानित भी किया जाता है.इस अवसर पर उन्हें अपनी सेवाओं को लेकर घनी आत्म-संतुष्टि होती है.बाकी शिक्षकों के कुढने से उनका यह सुख और बढ़ जाता है.
इस अहम मौके पर ऐसे बड़े गुरुओं को हम सादर नमन करते हैं जिन्होंने हज़ार ख़तरे सहकर हमें इत्ता खतरनाक बनाया.साथ ही हम पढ़ाई के इतर गुरुघंटालों को साष्टांग दंडवत करते हैं जिनकी कृपा के बिना हम अपना अस्तित्व नहीं बचाए रख सकते हैं. गुरूजी से ज़्यादा अहमियत गुरुघंटालों की है क्योंकि यदि गुरूजी नाराज़ हो जांय तो पैर छूकर उनका विष उतारा जा सकता है पर गुरुघंटाल की नाराज़गी हमें जाति-बिरादरी से बाहर कर सकती है.वे चाह लें तो हमारी चाकरी भी छीन लें और हमें टंकी पर चढ़ने को मजबूर कर दें .गुरूजी खुश होंगे तो ज़्यादा से ज़्यादा कोरा आशीर्वाद देंगे मगर गुरुघंटाल यदि प्रसन्न हो जांय तो घर में मेडल रखने की जगह नहीं मिलेगी.इसलिए इनकी महिमा सबसे बड़ी है.
इसलिए गुरु जी आज सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं.उनके चेले भी प्रसन्न हैं कि वे ही असली गुरु हैं.गुरुघंटाल यह सब देखकर प्रसन्न हैं क्योंकि साल के सब दिन उनके हैं !
आज गुरूजी को सबसे बड़ी तसल्ली है कि उन्हें कक्षा में अपने सर्वशक्तिमान छात्रों से मुठभेड़ नहीं करनी पड़ेगी.आज के दिन बच्चे ही कक्षाओं में पढ़ाते है.वैसे गुरूजी को अंदर की बात पता है कि वे कौन-सा पूरे साल पढ़ाते हैं.बच्चे ही कक्षाओं को अपने नियंत्रण में रखते हैं.वे तो बस बच-बचाकर कक्षा से निकल आते हैं.बच्चों में यह गज़ब का आत्मविश्वास बताता है कि हमारी शिक्षा-प्रणाली अभूतपूर्व रूप से विकसित हो गई है.
गुरूजी को इस बात का दुःख ज़रूर रहेगा कि वे आज बच्चों को खाना-पीना,नकदी,वर्दी,पुस्तकें आदि मुफ़्त बांटने वाले अहम कार्यों से वंचित रहेंगे.रही बात जनगणना और वोटर-लिस्ट बनाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य तो सरकार जी बाद में पूरा करा ही लेंगी.
कुछ नमकहलाल शिक्षकों को आज सरकार जी की ओर से सम्मानित भी किया जाता है.इस अवसर पर उन्हें अपनी सेवाओं को लेकर घनी आत्म-संतुष्टि होती है.बाकी शिक्षकों के कुढने से उनका यह सुख और बढ़ जाता है.
इस अहम मौके पर ऐसे बड़े गुरुओं को हम सादर नमन करते हैं जिन्होंने हज़ार ख़तरे सहकर हमें इत्ता खतरनाक बनाया.साथ ही हम पढ़ाई के इतर गुरुघंटालों को साष्टांग दंडवत करते हैं जिनकी कृपा के बिना हम अपना अस्तित्व नहीं बचाए रख सकते हैं. गुरूजी से ज़्यादा अहमियत गुरुघंटालों की है क्योंकि यदि गुरूजी नाराज़ हो जांय तो पैर छूकर उनका विष उतारा जा सकता है पर गुरुघंटाल की नाराज़गी हमें जाति-बिरादरी से बाहर कर सकती है.वे चाह लें तो हमारी चाकरी भी छीन लें और हमें टंकी पर चढ़ने को मजबूर कर दें .गुरूजी खुश होंगे तो ज़्यादा से ज़्यादा कोरा आशीर्वाद देंगे मगर गुरुघंटाल यदि प्रसन्न हो जांय तो घर में मेडल रखने की जगह नहीं मिलेगी.इसलिए इनकी महिमा सबसे बड़ी है.
इसलिए गुरु जी आज सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं.उनके चेले भी प्रसन्न हैं कि वे ही असली गुरु हैं.गुरुघंटाल यह सब देखकर प्रसन्न हैं क्योंकि साल के सब दिन उनके हैं !
भगवान से दुआ है कि आप भी अति शीघ्र गुरुघंटाल बनें....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें गुरु !
प्रश्न-काल को टाल दें, रविकर गुरु-घंटाल |
जवाब देंहटाएंरट्टू तोते भी फंसे, पिंजरा अंतरजाल |
पिंजरा अंतरजाल, सतत सर्फिंग उपयोगी |
उभय पक्ष जब मस्त, भला कक्षा क्यूँ होगी ?
इंटरनेट पर चैट, तेज कर भेड़-चाल को |
जश्न-काल अल-मस्त, ख़तम कर प्रश्न-काल को ||
शिक्षक दिवस पर विशेष - तीन ताकतों को समझने का सबक - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपको गुरूघंटाल बनने की दुआ नही दे सकता वर्ना हम लोग कहाँ जायेगें,,,,
जवाब देंहटाएंरोचक आलेख!
जवाब देंहटाएंक्या आज आपने अपने गुरूजी के गले में घंटी बांधकर अपना कर्तव्य पूरा किया। अगर नहीं किया तो तुरंत एक मोबाइल खरीदकर गुरूजी के गले में पहनायें और अपने मोबाइल से काल करके घंटी बजाएं, प्रसन्नता के आलम में गुरू दिवस मनाएं।
जवाब देंहटाएंआज तो आपका दिन है मास्साब। आज कोई आलोचना नहीं। आज तो बस यही कहना है...
जवाब देंहटाएंजय हो गुरूदेव की।
सच कहा, बाकी ३६४ छात्र हथिया चुके हैं।
जवाब देंहटाएंगुरु घंटाल बनने के राह में हैं अब चेले!
जवाब देंहटाएंjai guru (ghantal ) !
जवाब देंहटाएंबढ़िया आलेख...
जवाब देंहटाएंshikshak diwas ki shubhkamnaye.
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट.....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंरोचक :)
जवाब देंहटाएंवाह ये भी एक अच्छा नजरिया है ।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचकता लिए है गुरु महिमा ...
जवाब देंहटाएंजय हो गुरु घंटाल जी की ...
गुरू घंटालों के बीच रह्कर
जवाब देंहटाएंअस्तित्व बचा ले जायेगा
ऎसा गुरु मुश्किल है मिलना
इधर से बच भी लेगा अगर
उधर से खिसका दिया जायेगा
भूगोल बिगड़ जायेगा उसका
इतिहास बना दिया जायेगा
गुरू घंटाल बनना ही पडे़गा
नहीं पास कर सका परीक्षा
घंटा तो लटका ही दिया जायेगा
बच कर आखिर कहां तक जायेगा!
रोचक पोस्ट.....
जवाब देंहटाएं