बड़ा वाकया मार्मिक, संवेदना असीम | व्यंग विधा इक आग है, चढ़ा करेला नीम | चढ़ा करेला नीम, बहुत अफसोसनाक है | परंपरा यह गलत, बहुत ही खतरनाक है | लेकिन मेरे मित्र, खींच के लक्ष्मण रेखा | खींचे जाएँ चित्र, नहीं करिए अनदेखा ||
कुछ पागल है थोडे़ से वो बोल रहे हैं बाकी तो आदमी हैं चूने में पानी घोल रहे हैं सारे देश में चूना जो लगाना है जहाँ जहाँ हो गया है काला पीला सबको सफेद कर जाना है टोपी कुर्ते से मैच करले इतना चमकाना है !
http://www.facebook.com/groups/462090727146650/ Aseem Trivedi असीम त्रिवेदी समूह के सदस्य बनें। अपने मित्रों को बनाएं और प्रोफाइल में असीम त्रिवेदी का खुद का बनाया हुआ स्कैच तब तक के लिए लगाएं जब तक बेशर्त रिहाई नहीं होती।
बड़ा वाकया मार्मिक, संवेदना असीम |
जवाब देंहटाएंव्यंग विधा इक आग है, चढ़ा करेला नीम |
चढ़ा करेला नीम, बहुत अफसोसनाक है |
परंपरा यह गलत, बहुत ही खतरनाक है |
लेकिन मेरे मित्र, खींच के लक्ष्मण रेखा |
खींचे जाएँ चित्र, नहीं करिए अनदेखा ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
हटाएंआभार भाई ।
हटाएंआखिर रहा नहीं गया न :-(
जवाब देंहटाएंशरीफ हैं चेहरे
जवाब देंहटाएंबनो तुम सब
हम जैसे
अंधे-बहरे !
.......बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
कुछ भी न कहो,,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST - मेरे सपनो का भारत
जटिल काम है...
जवाब देंहटाएं:-(
सादर
अनु
अभिव्यक्ति की सजा ......
जवाब देंहटाएंशान्त हैं हम तो..
जवाब देंहटाएंकुछ पागल है
जवाब देंहटाएंथोडे़ से वो
बोल रहे हैं
बाकी तो आदमी हैं
चूने में पानी
घोल रहे हैं
सारे देश में
चूना जो लगाना है
जहाँ जहाँ हो गया
है काला पीला
सबको सफेद
कर जाना है
टोपी कुर्ते
से मैच करले
इतना चमकाना है !
उफ्फ्फ!! गहरी सचाई है.. मगर अंधे के आगे आईना रखना भी बेकार!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व्यंजना
जवाब देंहटाएंhttp://www.facebook.com/groups/462090727146650/ Aseem Trivedi असीम त्रिवेदी समूह के सदस्य बनें। अपने मित्रों को बनाएं और प्रोफाइल में असीम त्रिवेदी का खुद का बनाया हुआ स्कैच तब तक के लिए लगाएं जब तक बेशर्त रिहाई नहीं होती।
जवाब देंहटाएंखरी खरी....
जवाब देंहटाएंItane kum shabdon me itani badee baat.
जवाब देंहटाएंउठाओ न नक़ाब
शरीफ हैं चेहरे
बनो तुम सब
हम जैसे
अंधे-बहरे !
गिने तुले शब्दों में कितना बड़ा कड़वा सच
जवाब देंहटाएंbolo zarur, magar tol-mol ke. kuchh bhi bakne wale hiro nahi hote
जवाब देंहटाएंयह पोस्ट भी देखें !
जवाब देंहटाएंhttp://www.hunkaar.com/2012/09/blog-post_11.html
satymev jayte ke desh me saty hi hardam pareshan hai !
जवाब देंहटाएंक्या कहने इस धार के
जवाब देंहटाएंसरकारी बंटाधार के
नाव बिना पतवार के
सत्ताभूमि में उग आये
खतरनाक खर-पतवार के
बोलने की आजादी पर
बैठे पहरेदार के
क्या कहने...
असीम को भेड़िये की जगह खूनी पंजा दिखाना चाहिए था,कड़वा सच...!
जवाब देंहटाएंशब्द बोलने और चित्र उकेरने ... सभी पर पाबंदी है ...
जवाब देंहटाएंये एमरजेंसी से कम है क्या ... अब तो खुले आम बंदिशें हैं ...
न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए असीम त्रिवेदी को राजद्रोह के आरोप से मुक्त करके निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है ।
जवाब देंहटाएं...न्यायालय को नमन।
http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_12.html
जवाब देंहटाएंसशक्त लेखन ..
जवाब देंहटाएंहम भी चुप है,कुछ ना बोलेंगे...:)
जवाब देंहटाएंबोलिये सुरीली बोलियाँ ... अन्याय का विरोध हो पर राष्ट्र की कीमत पर नहीं! देश का सम्मान बना रहे!
जवाब देंहटाएंवाकई ......लोकतंत्र की वन्दिशें .....ये कैसा विलोम है ?
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