भ्रष्टाचारी-बेल अब ,दिन प्रति बढ़ती जाय |
साँस उखड़ती जा रही,आस गई कुम्हिलाय ।।
रहे रहनुमा नाम के,देश बेंच कर खाँय ।
जन्मभूमि की आबरू,देते रोज़ गवाँय ।।
हवा और माटी कहे,मिली तुम्हारे खून।
काहे के हो रहनुमा,झूठे सब कानून ।।
सत्ता-मद में डूबकर ,भूल गए आचार ।
नारायण के भेष में,फ़ैल रहा व्यभिचार ।।
डरता है ईमान अब,उखड़ रहे हैं पाँव ।
भ्रष्टाचार बदल रहा,रोज़ पुराने दाँव ।।
तुलसी मद किसका रहा,सदा एक-सा काल ।
आह करेगी राख सब,साखी दीनदयाल ।।
लहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
नीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।
साँस उखड़ती जा रही,आस गई कुम्हिलाय ।।
रहे रहनुमा नाम के,देश बेंच कर खाँय ।
जन्मभूमि की आबरू,देते रोज़ गवाँय ।।
हवा और माटी कहे,मिली तुम्हारे खून।
काहे के हो रहनुमा,झूठे सब कानून ।।
सत्ता-मद में डूबकर ,भूल गए आचार ।
नारायण के भेष में,फ़ैल रहा व्यभिचार ।।
डरता है ईमान अब,उखड़ रहे हैं पाँव ।
भ्रष्टाचार बदल रहा,रोज़ पुराने दाँव ।।
तुलसी मद किसका रहा,सदा एक-सा काल ।
आह करेगी राख सब,साखी दीनदयाल ।।
लहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
नीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।
लहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
जवाब देंहटाएंनीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।... है इंतज़ार
सुन्दर.
जवाब देंहटाएंवजनदार ..सार्थक दोहे ...
जवाब देंहटाएंबढिया ..
जवाब देंहटाएंसाँस रहेगी, आस रहेगी..
जवाब देंहटाएंएक से एक गजब!!
जवाब देंहटाएंअन्तिम दो में आस जगा दिए!!
बढ़िया दोहे ...
जवाब देंहटाएंसंतोषप्रद...
सादर
अनु
लहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
जवाब देंहटाएंनीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।
कभी न कभी वो दिन जरूर आयेगे,,,
बढ़िया दोहे,,,,संतोष जी बधाई,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
बहुत सुंदर पर
जवाब देंहटाएंहिम्मत ही खुद
हिम्मत हार रही है !
भ्रष्टाचार रहस्यम्
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.एक एक शब्द सच्चाई बयां कर रहा है . आभार. मोहपाश को छोड़ सही राह अपनाएं . रफ़्तार ज़िन्दगी में सदा चलके पाएंगे .
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब...
जवाब देंहटाएं@ देवेन्द्र पाण्डेय से आगे
हटाएं...लेकिन गूगल प्लस वाला आप्शन काहे हटा दिये हैं ! अटेंडेंस दर्ज करने में बड़ी दिक्कत होती है :)
अली साब,हमने कुछ नहीं किया,सब अपने आप हो रहा है !
हटाएंदिल का बात शब्दों में उभर आई है...
जवाब देंहटाएंडरता है ईमान अब,उखड़ रहे हैं पाँव ।
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार बदल रहा,रोज़ पुराने दाँव ।।
लहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
नीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।
आस पर ही दुनिया टिकी है .... सार्थक दोहे
आखिरी दो दोहों का क्रम उपर नीचे हो जाय तो अधिक सार्थक हो.
जवाब देंहटाएंआपकी सलाह उचित लगी,सो वैसा ही कर दिया !
हटाएं..आभार !
सही सलाह।
हटाएंसार्थकता लिये सटीक लेखन ... आभार
जवाब देंहटाएंकल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' तुझको चलना होगा ''
आभार सदाजी !
हटाएंबेहतरीन आशावादी बयान ...
जवाब देंहटाएं"एक चादर सांझ ने,सारे नगर पर डाल दी
ये अंधेरे की सड़क,उस भोर तक जाती तो है"
शुभकामनायें
नीके दिन के लिये शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंक्या कहने ...बस जज्बा बनाए रखिये .....
जवाब देंहटाएंरहे रहनुमा नाम के,देश बेंच कर खाँय
जवाब देंहटाएंजन्मभूमि की आबरू,देते रोज़ गवाँय ..
सार्थक चिंतन ... सभी दोहे कमाल के हैं ...
एक बेहतरीन रचना जो समाज की दशा-दिशा को बहुत ही सशक्त स्वर हमारे सामने रख रही है।
जवाब देंहटाएंलहर चली छोटी सही,यही बनेगी ज्वार ।
जवाब देंहटाएंनीके दिन भी आइहैं,तू मत हिम्मत हार ।।
यथार्थ को दर्शित करती प्रेरक प्रस्तुति.
आभार.