मैं अपने को ही पढ़ता हूँ
मैं अपने से ही लड़ता हूँ,
ये कैसी ख़ामोशी मुझमें
मैं अपने से ही डरता हूँ !(१)
हा ! कितना बुरा किया मैंने
हा ! तुमको त्रास दिया मैंने ?
अपनों की ही तप्त आँच से
रोज़ झुलसता,मैं जलता हूँ !(२)
जब चिंगारी राख बनेगी
अपने घर में साख घटेगी,
तब तुमसे मिलने आऊँगा
फ़िलवक्त घात मैं करता हूँ !(३)
मेरी व्यथा,कथा मेरी है
तनहाई ही नियति मेरी है,
याद बहुत आऊँगा तुमको
तब तक जुगनू बन जलता हूँ !(४)
हा ! कितना बुरा किया मैंने
जवाब देंहटाएंहा ! तुमको त्रास दिया मैंने ?
अपनों की ही तप्त आँच से
रोज़ झुलसता,मैं जलता हूँ !
अपनी ऊंचाइयों को छूती सुन्दर अभिव्यक्ति....
बहुत सुंदर रचना, सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति को समेटे हुये। हर व्यक्ति वह जो स्वयं से सिखाता हो, स्वयं को महसूस करता हो,बड़ा होता है व्यक्तित्व के मामले मे। पुन: बधाइयाँ एक अच्छी रचना के लिए ।
जवाब देंहटाएंभाव पुराण रचना ॥मन की भावनाओं को सुंदर शब्द दिये हैं ...
जवाब देंहटाएंसुंदर ...
जवाब देंहटाएंकई लोगों के व्यक्तित्व को शब्द दिए आपने
उफ़ !
जवाब देंहटाएंमहाबली !
ऐसी निराशा भरी बातें शोभा नहीं देतीं !
शाम को वापस लौट कर इस ससुरी कविता और उसके अवसाद की ऐसी की तैसी करता हूं :)
:-)
हटाएंएक अवसादित कविता पर अलक्ष्यसाधित प्रतिक्रिया ,
हटाएंकविता बांचते हुए 'लड़ती' हुई 'खामोशी' और 'डरते' हुए 'पढ़ने' का जतन प्रकट कर गया संतोष का गहन असंतोष (१)
जिनकी अग्नि' 'झुलसे' 'भभके' उन 'त्रास' दिया 'संताप' लिया (२)
अपना आदर 'सम्मान' घटा उससे 'मिलने' आओगे क्यों ? अपनी 'घातों' की लात लगा अंतस की अगन बुझाओगे क्यों ? (३)
दुखिया नियति की तन्हाई पर अपनी यादें चिपकाओगे ? उसकी 'कहानी' पर 'व्यथा' टांक 'जुगनू' बनकर जल पाओगे ? (४)
:)
हटाएंअली साब,
हटाएंआपने इस मर्म को समझा,कृतकृत्य हुए.....मन में बड़ा विचलन हो उठता है कभी,वर्तमान में घट रही घटनाओं को लेकर.
धीरे-धीरे ज़िन्दगी,मिल जायेगी फिर मुझे ,
इससे जुदा सूरत भी तो दिखती नहीं है अभी !
आभार !
छिपा अवसाद झलकता है इस रचना में ...शुभकामनायें आपको
हटाएं" फ़िलवक्त " समझ न सका गुरुदेव ???
बहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
जब चिंगारी राख बनेगी
जवाब देंहटाएंअपने घर में साख घटेगी,
तब तुमसे मिलने आऊँगा
फ़िलवक्त घात मैं करता हूँ !(३)
बहुत सुंदर प्रस्तुति.....बेहतरीन रचना,...
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
bahut sundar... badhiya kavita
जवाब देंहटाएंऐसी आत्मस्वीकारोक्ति साहस मांगती है!
जवाब देंहटाएंखुद से लड़ना मुश्किल होता है .
जवाब देंहटाएंखुद को जीत लें तो समझो जहाँ जीत लिया .
एक आत्मालाप.. सकारात्मक आत्मालाप.. इसके बाद यदि अंतरतम परिशोधित हो सके या अंतरात्मा की प्यास बुझ सके तो शान्ति प्राप्त हो!! आपके मूड से हटकर लिखी कविता माट्साब!!
जवाब देंहटाएंशौक से आईये मणिकर्णिका पास ही है :)
जवाब देंहटाएंहो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था , शौक़ से डूबें जिसे भी डूबना है
मैं अपने को ही पढ़ता हूँ
जवाब देंहटाएंमैं अपने से ही लड़ता हूँ,
ये कैसी ख़ामोशी मुझमें
मैं अपने से ही डरता हूँ
जो सबसे कठिन है..... पर जिसे स्वीकारना आसान नहीं .... बहुत उम्दा ....
वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंइस रचना की अभिव्यंजना सार्थक है।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव, अर्थपूर्ण रचना, बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंदिल से निकले भाव ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरती से पिरोई गई पंक्तियाँ ।
आज रोयें या गुनगुनाये ।
फुर्सत कहाँ -
झेलना और झेलाना --
सादर ।
स्वयं से प्रश्न पूछने का गुण बस संवेदनशील व्यक्तियों में देखा है, बड़ी ही स्पष्ट और प्रभावी कविता।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी ,गहन अभिव्यक्ती है ....कई बार पढ़ी ...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई इस रचना के लिए और शुभकामनायें .....!!
मैं अपने को ही पढ़ता हूँ
जवाब देंहटाएंमैं अपने से ही लड़ता हूँ,
ये कैसी ख़ामोशी मुझमें
मैं अपने से ही डरता हूँ !
जीवन के कटु सत्य को वयां करती बेहतरीन रचना
सुंदर अतिसुन्दर सारगर्भित रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंसभी सम्मान्य साथियों का आभार....!
जवाब देंहटाएंये जुगुनू कब तक दिपदिपाता रहेगा ? :)
जवाब देंहटाएंजब तक गुरूजी की 'किरपा' चालू रहेगी !
हटाएंहा ! कितना बुरा किया मैंने
जवाब देंहटाएंहा ! तुमको त्रास दिया मैंने ?
अपनों की ही तप्त आँच से
रोज़ झुलसता,मैं जलता हूँ !
....बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...
अब तक तो राख-ऊख हो गये होंगे। :)
जवाब देंहटाएंमेरी व्यथा,कथा मेरी है
जवाब देंहटाएंतनहाई ही नियति मेरी है,
याद बहुत आऊँगा तुमको
तब तक जुगनू बन जलता हूँ ...
बहुत खूब ... इस जलने का मज़ा भी अलग ही होता है ... फिर जुगनू के ताराह किसी की अँधेरी यादों में जलना तो क्या बात है ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसादर।
कविता में भावों का समावेश अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।