23 जनवरी 2013

सावधान रहने का समय है !

सेनाएँ तैयार हैं
बदले हुए सेनापतियों के साथ
तलवारों में लगी जंग
बड़ी तेजी से गायब हो रही है
हाथों में उस्तरे हैं धार वाले
और
अस्तबल से पुराने घोड़े निकल पड़े हैं.

नए नारे बड़े पोस्टरों में
चस्पा हो गए हर जगह ,
वादों की लंबी  फेहरिश्त
और कुर्बानियों के स्मारक-आलेख  पढ़े जा रहे हैं
आम अवाम के लिए
मखमली गद्दों के नीचे
फांसी के तख्त तैयारशुद हैं
उनके काफ़िले बस्ती में घुस चुके हैं.

यह सावधान रहने का समय है
मौसम में अचानक
धुंध और कोहरा पसर चुका है
बादलों की गरज तेज है
अपने छाते साथ रखिये
ज़हर की बारिश का इमकान है !

12 टिप्‍पणियां:

  1. हाथ-पैर में बल पड़े, शुरू देह में खाज |
    सैनिक सेनापति खड़े, गिरे जहर की गाज |
    गिरे जहर की गाज, अजब चित्रण है भाई |
    फिर भी है संतोष, करें केवल उबकाई |
    चलें शब्द के तीर, मीर जो मारे पहले |
    जन-गण-मन को चीर, मार नहले पे दहले ||

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  2. मान न मान राजनीति में वोटर है पहलवान
    इस पहलवान को बुद्धि देना
    इमकान हो या दुकान अथवा कोई मकान
    राजनीति में नहीं कच्‍चे होने चाहिए कान।

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  3. बिलकुल सावधान हैं ...इलेक्शन में देख लेना :)

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  4. 'छाता' साथ में रखना ही चाहिए। ...सादर।

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  5. हम दूर खड़े निहार रहे हैं,
    जो दौड़े, वही हार रहे हैं।

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  6. आप तो शब्द शिल्प के मजमेदार भी हैं

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  7. .
    .
    .
    यह सावधान रहने का समय है ।

    सचमुच,

    पर होगा क्या सावधान रहने से
    एक ओर कुआँ, दूसरी ओर खाई
    तीसरा नहीं कहीं कोई विकल्प है
    हमको किसी तरफ गिरना ही होगा
    एक बार फिर जोर से गिरेंगे हम
    दर्द की दवा-मरहम तैयार रखिये!



    ...

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  8. यह सावधान रहने का समय है .सार्थक पोस्ट ,उम्दा लिखा है आप ने .

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