बलखाती सरसों
अलमस्त चने से बोली,
'तू हमारे कद के आसपास आ जा
फिर मेरा दिल ले जा'
चने ने झूमकर
सरसों के पास पहुँचना
और हवा के दम पर
चूमना चाहा ,
पर वह झुकी नहीं
और हवा ने भी टका-सा जवाब दिया
अपनी मंजिल पाने के लिए
किसी और का इस्तेमाल मत कर
सरसों से मिलना है तो
उसके बराबर की बात कर.
चना तब से लेकर अब तक
सरसों की लम्बाई से दूर है,
फ़िलहाल मटर संग उसकी कट रही है
और सरसों,
उसकी मटरगश्ती पर हँस रही है.
अलमस्त चने से बोली,
'तू हमारे कद के आसपास आ जा
फिर मेरा दिल ले जा'
चने ने झूमकर
सरसों के पास पहुँचना
और हवा के दम पर
चूमना चाहा ,
पर वह झुकी नहीं
और हवा ने भी टका-सा जवाब दिया
अपनी मंजिल पाने के लिए
किसी और का इस्तेमाल मत कर
सरसों से मिलना है तो
उसके बराबर की बात कर.
चना तब से लेकर अब तक
सरसों की लम्बाई से दूर है,
फ़िलहाल मटर संग उसकी कट रही है
और सरसों,
उसकी मटरगश्ती पर हँस रही है.
इसके निहितार्थ शिष्यवर ?
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंकल ओले पड़े थे। इन बिचारों का क्या हाल हुआ होगा।
जय हो, कटाई में दर्शन ढूढ़ लिये, दमदार..
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात लिखी... गजब
जवाब देंहटाएंगजब की सोच,,,वाह क्या बात है,,,संतोष जी,,
जवाब देंहटाएंसरसों,चना,मटर,की आपस में नही पटती
फिर कैसे होगी, मटर, चना,की मटरगस्ती,,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
मटरगश्ती बढ़िया रही ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया है आदरणीय मित्र ||
जवाब देंहटाएंचलो जो मिल रहा है उसी में खुश रहना चाहिए उसे ...
जवाब देंहटाएंवैसे भी सरसों ले के क्या करेगा .. किसी चक्की में ही पीसना है उसे ...
हमारे यहां सरसों और चना अलग अलग उगाए जाते हैं (शायद इसीलिए कि कुछ यूं न करें)
जवाब देंहटाएंसरसों के मरियल दाने , चने के खाते पीते मोटे ताज़े दानों को देखकर तो ज़रूर चिढ़ते होंगे। :)
जवाब देंहटाएंकोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंSHANDAAR ......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति.......
सरसों बोली सुन रे चने
जवाब देंहटाएंकब तक रहेगा बने-ठणे
बरसात का मौसम आया
कीड़े ने दोनो को खाया
जो कीडे से बच जायेगा
घुण कच्चा चाट जायेगा॥
अब मटर चने की मटरगश्ती
mazedar.....
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