क़रीब न आते हैं,न बुलाते हैं हमें,
वे ख़्वाब में ही मिल जाते हैं हमें ! १!
बरसों से नहीं दिखी सूरत उनकी,
तस्वीर से ही दीद कराते हैं हमें !२!
उनके नूर से बेखुद हुआ जाता हूँ मैं ,
उँगलियों पे इस तरह नचाते हैं हमें !३ !
उनकी राह को तकते ,ज़माना गुजरा,
वादों से आये रोज़ ,भरमाते हैं हमें !४!
वादों से आये रोज़ ,भरमाते हैं हमें !४!
शायद मेरी चाहत को ,समझ गए हैं वो ,
अनजान बनके बारहा सताते हैं हमें !५ !
हम्म !
जवाब देंहटाएंतुम्म !
हटाएंदेखना चाबी खोने ना पाये :)
हटाएं:-)
हटाएंजय हो,
जवाब देंहटाएंधार, बरकरार..
शुक्रिया सरकार !
हटाएंबारी जी ..गजल भी लाजबाब है ! चतुरमुखी सा !
जवाब देंहटाएंहमें तो एकौ मुखी नहीं लगता !
हटाएंसोचा था कस लगा के तेरी याद भुला दूंगा
जवाब देंहटाएंकमबख्त धुएं ने तेरी तस्वीर बना डाली,...
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
हाय धुंवा !
हटाएंसंतोष जी! छुट्टियों का अच्छा सदुपयोग कर रहे हैं आप.. अब निष्कर्ष यह निकाला है हमने कि अच्छी कविता लिहाफ के अंदर बैठकर ही लिखी जा सकती है.. वैसे आज रह-रहकर शकील साहब याद आ रहे हैं..उनका कहना है
जवाब देंहटाएंसब करिश्मात-ए-तसव्वुर है शकील,
वरना आता है, न जाता है कोइ!!
सब आपका कमाल है !
हटाएंउनकी इस अदा पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा।
जवाब देंहटाएंएक तो बसंत उस पर से वैलेंटाइन डे की आहट ... मौसम के अनुकूल रचना।
ई वैलेंटाइन-ससुरा हमरे समझ मा न आवे !
हटाएंकौन मिल गया है इस उम्र में
जवाब देंहटाएंभई क्यों नाहक जलाते हैं हमें !
वाह वाह ! बहुत खूब .
दाद आपके लिए है :)
कहीं यह दाद हमारे लिए खाज न बन जाए !
हटाएंइलाज़ के लिए हम हैं ना । :)
हटाएंआप तो खाज का इलाज़ करेंगे,हम मरीज़ ज़रा और किस्म के हैं !
हटाएंहम भी डॉ दराल के पीछे खड़े हैं ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपके दिल के लिए !
एक डॉक्टर और एक कवि जब साथ है तो फिर काहे की चिंता !
हटाएं(१)
जवाब देंहटाएंइस तरह के मिलन से आपके पारिवारिक जीवन पे कोई खतरा नहीं ! बड़ा ख्याल रखती हैं वे आपका :)
(२)
बरसों से सूरत नहीं देखी तो फिर तस्वीर में किस स्थान विशेष के पर्यटक बनते हो मित्र :)
(३)
अत्यन्त शास्त्रीय कोटि का प्रेम है यह मित्र !
(४)
सब कुछ समझ बूझ के भी भ्रमित बने रहना , अदभुत समर्पण है !
(५)
बाई दा वे क्या चाहत है आपकी ,जिसे वो समझ गए हैं और आपको अनजान बनके टरका रहे हैं :)
संतोष जी बीमार होके ये आलम है तो स्वस्थ होके क्या करियेगा :)
१)उनका ख्याल रखना हमें बेखयाली में रखना है.
हटाएं२)उनकी आँखों के,उनके गेसुओं के और उनके मन के !
३)प्रेम का कोई व्याकरण या नियम या अनुशासन या कोटि नहीं है,वह अपने-आप में अजूबा है !एक अहसास है !
४)प्रेम नशा है,दूसरे को भी है यह भ्रम है !
५)यह अंदर की बात है !
गजब का टीपे आप अली जी :)
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
तस्वीरों में ही दीदार करते हैं.... बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव...
जवाब देंहटाएंशिल्प पर अभी और काम किया जा सकता है (सविनय)
आपका कहना दुरुस्त है,अली भाई से बहुत विमर्श होने के बाद भी मामला ज़्यादा नहीं बन पाया,झेलने के लिए शुक्रिया !
हटाएंभाईजी , उनके कहर से बचने के लिए शब्दों की आड़ काफी है ! है न ? एक अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब लिखा है आपने! सुन्दर भाव एवं अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंहौसला-अफजाई के लिए सभी का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!!!!!बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,......क्या बात है संतोष जी
जवाब देंहटाएंMY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...
बढ़िया गज़ल।
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