इधर लिखते हुए इतना समय तो हो ही चुका है कि ब्लॉगिंग के बारे में अपने उच्च विचारों से भाइयों का ज्ञानवर्धन कर सकूँ ! सबसे ज्यादा बात जो मुझे महसूस हुई वह यह कि यहाँ पर लिखने से ज़्यादा टीपने को लेकर बड़ी संवेदनशीलता है.इसके लिए इतनी मारामारी है कि बक़ायदा कई मठ स्थापित हो चुके हैं. आप यदि नए-नए ब्लॉगर हैं तो आपको इन्हीं में से किसी एक में घुसना होगा.अब यह आपकी योग्यता और क़िस्मत पर निर्भर है कि वह मठ आपकी प्रतिभा को जल्द परख ले. आपका लिखते रहना से ज़्यादा ज़रूरी है ,टिपियाते रहना.आप बड़ी संख्या में टीपें पा रहें हैं तो ज़रा कुछ दिन 'आउट -स्टेशन' होकर देखिये या विश्राम करने की ज़ुर्रत करिए,सारा दंभ हवा हो जायेगा ! दो-चार रहमदिल दोस्त ही नज़र आयेंगे,आपकी पोस्ट टीपों के नाम पर पानी माँगेगी ! हाँ,पोस्ट लिखने के बाद यदि गणेश-परिक्रमा-स्टाइल में सौ पोस्टों पर भ्रमण कर आयेंगे तो निश्चित ही आपको साठ-सत्तर 'सुन्दर-भाव',चिंतनपरक आलेख' और 'प्रभावी-प्रस्तुति' के रूप में ज़वाबी-प्रसाद मिल जायेगा.आपको भी ख़ुशी होगी कि कोई नया ब्लॉगर (सयाना नहीं) यही समझेगा कि वाकई इस बन्दे में दम है !
टीपें पाने के उद्यम भी अजब-गज़ब हैं.सबसे सीधे लोग तो पोस्ट लिखकर कई जगह एक-एक लाइन लिखकर आ जाते हैं,ज़्यादा हुआ तो पोस्ट-लेखक कुछ लाइनें (जो उसे खुद समझ नहीं आतीं) कोट करके 'क्या खूब ' या 'सुन्दर प्रस्तुति' चेंपकर पोस्ट-लेखक को कृतार्थ कर देंगे !इस कोटि से थोड़ा सयाने वे होते हैं जो सम्बंधित पोस्ट पर सुन्दरता की डिफॉल्ट-टीप लगाकर अपनी नई पोस्ट की करबद्ध सूचना देंगे !अब वह यही समझे बैठे हैं कि वह यदि खुले-आम ऐसी अभ्यर्थना नहीं करेंगे तो ये महोदय आयेंगे ही नहीं.तीसरी कोटि के लोग वे हैं ,जो सयाने होने के साथ कुछ काइयाँपन भी लिंक के रूप में बिखेर देते हैं.वे यह समझते हैं कि जहाँ टीप रहे हैं,वहाँ का पोस्ट-लेखक गूगल-सर्च के द्वारा भी उस तक नहीं पहुँच पायेगा !
इस तरह टीपें हासिल करने की ये सीधी-सादी युक्तियाँ रहीं.कई बार तो लोगों को मेल कर,फोन कर(हाल-चाल के बहाने ,इसमें हाल कम चाल ज्यादा? ) भी दोस्ती के हवाले भी टीपें हथियाई जाती हैं! पर कई टीपबाज इतने शातिर हैं कि इतना सब होने के बाद भी उनकी आमद उस बेचारे की पोस्ट पर नहीं होती.इधर जितनी कम टीपें पोस्ट में दिखती हैं उतनी ज़्यादा उसकी 'हार्ट-बीट' बढ़ती है !अगर कुछ टीपबाज़ इतने शातिर हैं तो टीप हथियाने वाले भी खूब शातिर और जागरूक हो गए हैं. ऐसे लोग दाढ़ी बनाने वाली पोस्टों से लेकर टंकी पर चढ़ने व ब्लॉग-जगत को 'अंतिम-प्रणाम ' कहने की नौटंकी में माहिर हो गए हैं !
कुछ ब्लॉगर ,जो अपने को लेखक कम सेलेब्रिटी अधिक समझ बैठे हैं,इतने गैरतमंद हो उठते हैं कि अपने से कमतर किसी ब्लॉग पर जाने को वे अपना अपमान समझते हैं.कोई बार-बार भी उनके ब्लॉग पर जाकर गंभीर-टीप देता है तो भी वह उसको 'अगंभीर' ही समझते हैं,ज़्यादा हुआ तो एक-आध स्माइली ठोंक कर चले जायेंगे ( शायद यह बताना कि इस 'कूड़े' पर ठीक से हँसा भी नहीं जाता) !वे इस बहाने जताते हैं कि वे केवल लिखने और पढ़वाने भर के लिए अवतरित हुए हैं,प्रेरणा देना या उपदेसना उनके लेखकीय-कर्म में शामिल नहीं है.भले ही वह कई 'कुपोस्टों' पर जाकर ,जल-जलाकर लौटे हों.कुछ ऐसे भी सयाने टीपबाज हैं जो किसी पोस्ट को पढते हैं,घोखते हैं,मजे लेते हैं पर मुँह से बकुर नहीं फूटेगा और कन्नी काटकर चुप से ,बिना टीपे ऐसे निकल जाते हैं कि कहीं उन्हें करंट न लग जाए या इससे उनकी टीआरपी न गिर जाए !
कुछ लोग तो इतने फ़ुरसत में होते हैं कि खुराफ़ात के लिए अपनी कलम और स्याही बचा के रखते हैं .जो उनके अपने मठ के चेले होते हैं उन्हें भी वे नहीं बख्शते ! कभी किसी को अपना अलग मठ बनाते देखते हैं तो सन्निपात की अवस्था में हो जाते हैं,अपने सारे हथियार खूँटी में टाँग कर उस निरीह-ब्लॉगर को अपने पैरों पर खड़ा होने की गज़ब-शक्ति देते हैं ! कुछ ब्लॉगर तो मौके की तलाश में रहते हैं,किसी ने भी कुछ उन्नीस-बीस लिखा तो बिना लाग-लपेट के, उसके आगे-पीछे का ,अपनी यथाबुद्धि द्वारा ,संदर्भ देकर ,विलोप हो जाते हैं.ऐसे और भी कई तरह के ब्लॉगर सक्रिय हैं जो तथाकथित रूप से निष्क्रिय है पर उनके अपने मठ की जब पोस्ट आती है तो अपनी कलम घसीट ही देते हैं.
इसके उलट कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके यहाँ यदि गलती से भी आप कभी चले गए तो ज़बरिया आपको अपना लेंगे,न-न कहते-कहते अपने मठ की दीक्षा भी दे देंगे और बिला नांगा आपको पढ़ते रहेंगे,टीपते रहेंगे और आप इनसे कुछ सीखते भी रहेंगे.इनके पास पता नहीं कौन-सा गरम-मसाला होता है कि एक ठंडी-सी पोस्ट में भी कमाल का उबाल ला देते हैं.टीपने वाले बार-बार इनके और पोस्ट के संपर्क में रहते हैं.कुछ लोग तो इतने भोले हैं कि किसी घटना -दुर्घटना से इनका लेना-देना नहीं होता.ये शांतिप्रिय ढंग से यहाँ,वहाँ टीप देते हैं,टीप पाते है,बस...इत्ते से संतुष्ट हो जाते हैं !
ब्लॉगिंग-जगत में कई तरह की प्रवृत्तियां सक्रिय हैं.अब यह आप पर निर्भर है कि इन प्रवृत्तियों में आप अपने को किसके नज़दीक पाते हैं.टीपों को लेकर इतना घमासान और ऐसी दुरभिसंधियां चलती हैं कि निरर्थक पोस्टें जहाँ शतक बना लेती हैं,(भले ही वह डिफॉल्ट-टीपें हों ) वहीँ कई अच्छे लेखक ,बिना टीप किये ,अपनी पोस्ट में एक अदद टीप को तरसते हैं.हम पोस्ट को लेकर सेंटीमेंटल हों या टीप को ,यह आपको,हमको,सबको सोचना है.सोचो और जल्दी टीपो,नहीं तो हम सेंटिया जायेंगे !
जेहे-नसीब श्रीमान अनूप शुक्ल जी (फुरसतिया जी) पधार चुके हैं.इस विषय पर उनकी लेखनी का कमाल देखिये,हमने तो झलकी दी है,उन्होंने तो पूरा महाकाव्य रच डाला है ! आभार सहित
टीपें पाने के उद्यम भी अजब-गज़ब हैं.सबसे सीधे लोग तो पोस्ट लिखकर कई जगह एक-एक लाइन लिखकर आ जाते हैं,ज़्यादा हुआ तो पोस्ट-लेखक कुछ लाइनें (जो उसे खुद समझ नहीं आतीं) कोट करके 'क्या खूब ' या 'सुन्दर प्रस्तुति' चेंपकर पोस्ट-लेखक को कृतार्थ कर देंगे !इस कोटि से थोड़ा सयाने वे होते हैं जो सम्बंधित पोस्ट पर सुन्दरता की डिफॉल्ट-टीप लगाकर अपनी नई पोस्ट की करबद्ध सूचना देंगे !अब वह यही समझे बैठे हैं कि वह यदि खुले-आम ऐसी अभ्यर्थना नहीं करेंगे तो ये महोदय आयेंगे ही नहीं.तीसरी कोटि के लोग वे हैं ,जो सयाने होने के साथ कुछ काइयाँपन भी लिंक के रूप में बिखेर देते हैं.वे यह समझते हैं कि जहाँ टीप रहे हैं,वहाँ का पोस्ट-लेखक गूगल-सर्च के द्वारा भी उस तक नहीं पहुँच पायेगा !
इस तरह टीपें हासिल करने की ये सीधी-सादी युक्तियाँ रहीं.कई बार तो लोगों को मेल कर,फोन कर(हाल-चाल के बहाने ,इसमें हाल कम चाल ज्यादा? ) भी दोस्ती के हवाले भी टीपें हथियाई जाती हैं! पर कई टीपबाज इतने शातिर हैं कि इतना सब होने के बाद भी उनकी आमद उस बेचारे की पोस्ट पर नहीं होती.इधर जितनी कम टीपें पोस्ट में दिखती हैं उतनी ज़्यादा उसकी 'हार्ट-बीट' बढ़ती है !अगर कुछ टीपबाज़ इतने शातिर हैं तो टीप हथियाने वाले भी खूब शातिर और जागरूक हो गए हैं. ऐसे लोग दाढ़ी बनाने वाली पोस्टों से लेकर टंकी पर चढ़ने व ब्लॉग-जगत को 'अंतिम-प्रणाम ' कहने की नौटंकी में माहिर हो गए हैं !
कुछ ब्लॉगर ,जो अपने को लेखक कम सेलेब्रिटी अधिक समझ बैठे हैं,इतने गैरतमंद हो उठते हैं कि अपने से कमतर किसी ब्लॉग पर जाने को वे अपना अपमान समझते हैं.कोई बार-बार भी उनके ब्लॉग पर जाकर गंभीर-टीप देता है तो भी वह उसको 'अगंभीर' ही समझते हैं,ज़्यादा हुआ तो एक-आध स्माइली ठोंक कर चले जायेंगे ( शायद यह बताना कि इस 'कूड़े' पर ठीक से हँसा भी नहीं जाता) !वे इस बहाने जताते हैं कि वे केवल लिखने और पढ़वाने भर के लिए अवतरित हुए हैं,प्रेरणा देना या उपदेसना उनके लेखकीय-कर्म में शामिल नहीं है.भले ही वह कई 'कुपोस्टों' पर जाकर ,जल-जलाकर लौटे हों.कुछ ऐसे भी सयाने टीपबाज हैं जो किसी पोस्ट को पढते हैं,घोखते हैं,मजे लेते हैं पर मुँह से बकुर नहीं फूटेगा और कन्नी काटकर चुप से ,बिना टीपे ऐसे निकल जाते हैं कि कहीं उन्हें करंट न लग जाए या इससे उनकी टीआरपी न गिर जाए !
कुछ लोग तो इतने फ़ुरसत में होते हैं कि खुराफ़ात के लिए अपनी कलम और स्याही बचा के रखते हैं .जो उनके अपने मठ के चेले होते हैं उन्हें भी वे नहीं बख्शते ! कभी किसी को अपना अलग मठ बनाते देखते हैं तो सन्निपात की अवस्था में हो जाते हैं,अपने सारे हथियार खूँटी में टाँग कर उस निरीह-ब्लॉगर को अपने पैरों पर खड़ा होने की गज़ब-शक्ति देते हैं ! कुछ ब्लॉगर तो मौके की तलाश में रहते हैं,किसी ने भी कुछ उन्नीस-बीस लिखा तो बिना लाग-लपेट के, उसके आगे-पीछे का ,अपनी यथाबुद्धि द्वारा ,संदर्भ देकर ,विलोप हो जाते हैं.ऐसे और भी कई तरह के ब्लॉगर सक्रिय हैं जो तथाकथित रूप से निष्क्रिय है पर उनके अपने मठ की जब पोस्ट आती है तो अपनी कलम घसीट ही देते हैं.
इसके उलट कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके यहाँ यदि गलती से भी आप कभी चले गए तो ज़बरिया आपको अपना लेंगे,न-न कहते-कहते अपने मठ की दीक्षा भी दे देंगे और बिला नांगा आपको पढ़ते रहेंगे,टीपते रहेंगे और आप इनसे कुछ सीखते भी रहेंगे.इनके पास पता नहीं कौन-सा गरम-मसाला होता है कि एक ठंडी-सी पोस्ट में भी कमाल का उबाल ला देते हैं.टीपने वाले बार-बार इनके और पोस्ट के संपर्क में रहते हैं.कुछ लोग तो इतने भोले हैं कि किसी घटना -दुर्घटना से इनका लेना-देना नहीं होता.ये शांतिप्रिय ढंग से यहाँ,वहाँ टीप देते हैं,टीप पाते है,बस...इत्ते से संतुष्ट हो जाते हैं !
ब्लॉगिंग-जगत में कई तरह की प्रवृत्तियां सक्रिय हैं.अब यह आप पर निर्भर है कि इन प्रवृत्तियों में आप अपने को किसके नज़दीक पाते हैं.टीपों को लेकर इतना घमासान और ऐसी दुरभिसंधियां चलती हैं कि निरर्थक पोस्टें जहाँ शतक बना लेती हैं,(भले ही वह डिफॉल्ट-टीपें हों ) वहीँ कई अच्छे लेखक ,बिना टीप किये ,अपनी पोस्ट में एक अदद टीप को तरसते हैं.हम पोस्ट को लेकर सेंटीमेंटल हों या टीप को ,यह आपको,हमको,सबको सोचना है.सोचो और जल्दी टीपो,नहीं तो हम सेंटिया जायेंगे !
जेहे-नसीब श्रीमान अनूप शुक्ल जी (फुरसतिया जी) पधार चुके हैं.इस विषय पर उनकी लेखनी का कमाल देखिये,हमने तो झलकी दी है,उन्होंने तो पूरा महाकाव्य रच डाला है ! आभार सहित
आपने लेख में बिल्कुल सही बताया है ऐसा हो रहा है, होना भी चाहिए कम से कम इस बहाने ही सही आना जाना लगा रहता है, नहीं तो बिना टीपे केवल पढ कर निकलने में क्या बुराई है?
जवाब देंहटाएंआपने तो लगता है मानो पूरा शोध ही कर डाला है इस विषय पर।
जवाब देंहटाएंजो भी हो पर आपने बहुत ही मार्के की बातें कही है।
हां, एक चीज़ जो छूट गई वो है कि कुछ टीपें आसानी से समझ में न आने वाली होती है, यानी कि बुद्धिजीवी वर्ग के ब्लॉगर की टीपें।
हम तो अपने पोस्ट पर कई बार अपनी ही टीप लगा देते हैं -- बहुत अच्छी प्रस्तुति।
कौन दूसरों का इंतज़ार करे। मुझे तो मालूम है कि मैंने अच्छा लिखा है।
ओह! एक चीज़ तो छूट ही गया कहना ---
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
मतलब लब्बोलुआब यह कि दुनिया में कई तरह के लोग हैं .....ओस वैसे ही यहाँ भी ! वैसे हमरी दिलचस्पी केवाल यह जानने में है कि आप और हम किसी कैटेगरी में हैं जी .....सच्ची में बहुते मासूमियत से पूछ रहे हैं जी !
जवाब देंहटाएंटीप महापुराण में आपने अपना नाम भी शुमार किया यह बहुत बड़ी बात है जी .....!!!
बधाई जी बधाई!!
*ओस को *और
जवाब देंहटाएं*केवाल को केवल
.....पढ़ा जाए !
@प्रवीण त्रिवेदी अच्छा हुआ आपने पहली टीप में गलती कर दी,इसी बहाने हमरा स्कोर भी बढ़ गया !
जवाब देंहटाएंटीप जोड़ी में चल रही है, फिलहाल हमारी अकड़ी जमा कर लें.
जवाब देंहटाएंसंतोष जी , फ़िलहाल तो काफी लोगों का ब्लोगिंग का बुखार उतर गया है ।
जवाब देंहटाएंजाने क्या सोच कर ब्लोगिंग शुरू की थी और जाने क्या मिला । या न मिला ।
शुक्र है , आपने नाम नहीं दिए वर्ना और एक बखेड़ा खड़ा हो जाता । हालाँकि समझने वाले अब भी समझ ही जायेंगे और जल्दी ही बखेड़ा भी ।
लेकिन एक बात सच है कि टीपों बिना ब्लोगिंग किस काम की । और जब तक दो चार चाटुकार न हों तो टीप भी किस काम की ।
आपने मुझे तो फोन पर ही पोस्ट पढ़कर सुना दी थी, इसलिए आपका टिप्पणी पाना बनता है जबकि मैं पोस्ट सुनते हुए फोन पर जो हां, हूं, जी, बहुत अच्छा, यह बिल्कुल सही है, ऐसा प्वाइंट तो किसी ने सोचा नहीं होगा वगैरह जो किया था, वह भी टिप्पणियां ही समझी-मानी जाएं। लेकिन एक गारंटी चाहिए होगी कि आपने जो फुनियाया था, उससे अलग तो कुछ नहीं लिख दिया है। खैर ... लिख भी दिया हो तो दो चार बार , हां, हांजी, जी हां, वगैरह और जोड़ लीजिएगा और आपने वायदा किया था कि अगली बार आप मेरे बारे में अपनी बेबाक (मतलब बेतारीफी विचार) पोस्ट लिखकर मेरी टीआरपी में इजाफा करने वाले हैं। उसमें व्यस्त होंगे, आज रविवार है और अगले सप्ताह में किसी भी दिन आप लिखने-छापने वाले हैं। और हां, मेरे चित्र विचित्र आपको गूगल इमेज में तलाशने पर मिल ही जायेंगे। बहरहाल, आपका रास्ता एकदम यूनीक है, मानना ही होगा संतोष भाई।
जवाब देंहटाएंअब टाइपिंग में गलती नहीं हुई तो क्या टिप्पणी संख्या 2 नहीं कर सकते हैं जी
जवाब देंहटाएंहमें भी किसी गुट में भर्ती करवा दें महाराज। पढ़ने वालों का हो तो और भी अच्छा।
जवाब देंहटाएंachchhi kan khichai ki hai.badhai
जवाब देंहटाएंइस विषय पर आधिकारिक टिप्पणी हमेशा आदरणीय अनूप शुक्ल जी की होती आयी है जो उन्हें यहाँ आकर करनी चाहिए ...भले ही वे वही टिप्पणी बार बार करते हुए पक क्यों न गए हों...
जवाब देंहटाएंआपके ज्यादातर क्या एक तरह से सभी ही प्रेक्षण बिलकुल सटीक हैं -एकाध महीने हम कहीं न टिपियायें तो हमारे यहाँ टिप्पणियाँ औधे मुंह भहरा जाती हैं ....मेरे कुछ मित्रगन अन्यत्र टिप्पणियाँ करना छोड़ दिए हैं और अब बस उनके ब्लागों की साँसे भर चल रही हैं या फिर कुछ वेंटीलेटर पर चले गए हैं ....हम अपना मित्रवत सेवा भाव अपनाएँ हुए हैं देखिये कब तक ....
बाकी कुछ लोग तो अपने करतब से ५-६ टिप्पणियों पर सिमट आये हैं .....
फिर भी आप अपनी संभालिये ..चलते रहिये ..हम भी यही कहेगें लेखन महत्वपूर्ण है टिप्पणियाँ का क्या आयी आयीं न आयीं न आयीं ....उपत्स्यते कोपि समानधर्मा कालोवधि निरवधि विपुलांच पृथ्वी ...(कभी न कभी कोई मेरे सामान मन का होगा ही समय बिना अवधि के निरंतर प्रवाहमान है और धरती अति विशाल )
ठण्ड रख ! ज्यादा तौआयेगा ऐक्सिडेंट कर बैठेगा -तुमका हम जानी रे ...
नेकी कर ब्लॉग में डाल।
जवाब देंहटाएंपहले कहूंगा कि
जवाब देंहटाएंछील कर रख दिया
फिर कहूंगा कि
जवाब देंहटाएंहमें भी किसी मठ का रास्ता दिखा दीजिए
बहुत गहन मनन कर दिआ आपने तो :)
जवाब देंहटाएंवर्षों से सुनते आ रहे हैं कि मठाधीश हैं, मठ हैं, हमको तो एक भी नजर नहीं आता, जरा खुलकर इस बारे में बताईये।
जवाब देंहटाएं"बहुत अच्छी प्रस्तुति" ;-)
बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंऊपर की सारी टिप्पणियों में सबसे सच्ची और निर्मल टिप्पणी प्रेम सरोवर जी की लगी...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
(१) ब्लागिंग में गुटनिरपेक्ष आंदोलन वालों के नाम बताइयेगा ! हम पर आपकी बड़ी कृपा होगी :)
जवाब देंहटाएं(२) मठाधीशों के नाम उजागर करियेगा ताकि समरथ को हम भी लपक लें :)
(३) टंकियों में टंगे हुए ब्लागर्स कौन हैं समझ में नहीं आया :)
ब्लॉग जगत पर शोध पूर्ण लेख .. सब अपनी अपनी कैटेगरी समझ ही जायेंगे कि वो किस टिप्पणी कर्ता की श्रेणी में आते हैं ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउपस्थित श्रीमान.
जवाब देंहटाएं:)
वाह भाई वाह |
जवाब देंहटाएंमजा आ गया ||
बधाई ||
पढ़ कर अच्छा लगा ||
बढ़िया एक्सपर्ट लेख ब्लागिंग पर ....
जवाब देंहटाएंलीजिये पच्चीसवीं टीप ...भैये !!
मैं भी चला कुछ टीपों का जुगाड़ करने ...
शुभकामनायें !
:-)
@ डॉ. दराल बिलकुल सही कहा ,बिना टीपों के ब्लॉगिंग का मज़ा क्या,लेकिन तब जब उनसे विमर्श पैदा हो,केवल गिनती नहीं !
जवाब देंहटाएंनाम न देने से क्या होता है,जिनके लिए लिखा गया है,वो ज़रूर जान जायेंगे !
@ अविनाश जी आपने फोन पर हुई बात उजागर करके प्राइवेसी-कानून तोडा है.किरण बेदी जी की तरह एफ.आई .आर . को तैयार हो जाओ !
आप पर क्या लिखें,आप तो सच्ची-मुच्ची के लेखक हैं !
@ प्रवीण पाण्डेय इस समय तो हमरे ही गुट में शामिल हो जाओ,क्या पता बाद में एंट्री-फीस लगने लगे !
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द जी गुरुवर आप जिसको कोंचिया रहे हैं,वो अभी सुप्तावस्था में हैं,जगेंगे तो सबकी खबर लेंगे,तब तक नए मुर्गों को बांग दे लेने दो !
@ पाबला जी आपका स्वयं में बड़ा-सा मठ है और आप तो मठाधीशों के सरदार हैं !
जवाब देंहटाएं@विवेकजी कुछ बातें यूं ही समझी जाती हैं !
@ प्रेम सरोवर कभी-कभी गलती से किसी के पोस्ट-सरोवर में डुबकी भी लगा लिया करें,खतरा नहीं रहेगा !
@ खुशदीप जी कुछ लोग एक टीप को लेकर हवा में बड़ी देर तक उड़ते रहते हैं,जहाँ कहीं निरीह पोस्टें दिखीं,मारा धपाक...!
जवाब देंहटाएंचलो इसी बहाने आपको टीपने में सहूलियत हुई !
@ सतीश जी आपको शुभकामनायें (कि भारी मात्रा में टीपें मिल जाएं,भले ही वे भारी न हों )
@ अली जी
जवाब देंहटाएं१) आप जौन से गुट में हैं,वही गुट-निरपेक्ष है !बकिया मिश्राजी के पास पूरी लिस्ट है !
२)आप भी क्या किसी मठाधीश से कम हैं ? किसी और से पटेगी नहीं बुढ़ापे में !
३) इसका उत्तर तो सबसे बढ़िया आपके पास है,यदि देना चाहें तो !!
@प्रवीण त्रिवेदी जी
आप इनमें से किसी कैटेगरी में नहीं आते ,आपके पीछे ज़रूर कई टीपबाज पड़े हैं ! आप टीप-निरपेक्ष भी हो !
जीवन-व्यापार का आईना ही है ब्लागिंग.
जवाब देंहटाएंये तेरा दल ये मेरा दल
जवाब देंहटाएंइन्हीं में दाल गयी है गल
कर दे पोस्ट पब्लिश अभी
किसे पता है क्या हो कल
जब तक रहेगा समोसे में आलू
ब्लॉगिंग में गुट भी रहेंगे चालू
जब तक सूरज चान्द रहेगा
ब्लॉगिंग का भी नाम रहेगा
गोरों की न कालों की
दुनिया है टीप वालों की
ये फ़त्तू ही ले लो, ये मक्खन भी ले लो
भले छीन लो सैयद चाभीरमानी
मगर मुझको लौटा दो ब्लॉग गुमाया
टीपों का राजा वो पोस्टों की रानी
@ राहुलजी जोड़ी बनाने के लिए आभार .आप तो पुरनिया और घुटे हुए ब्लॉगर हैं सो सब-कुछ समझते हैं !
जवाब देंहटाएं@स्मार्ट इंडियन अनुराग जी आपकी पैरोडियों का ज़वाब नहीं,आखिरी वाली तो क़ातिल है !
पढ लिया। आनन्दित हुये। :)
जवाब देंहटाएंब्लागजगत के कुछ हमारे अनुभव इस पोस्ट पर हैं- आपके विरोध में नियमित लिखने वाला ब्लागर आपके लिये बिना पैसे का प्रचारक है
और सब बातें तो जैसी हैं वैसी हैं लेकिन एक बात पक्की है मेरी समझ में कि ब्लाग जैसे माध्यम में और सब कुछ भले चले जाये लेकिन किसी की मठाधीशी कतई नहीं चल सकती।
@ अनूपजी आभार आपका, अपनी पोस्ट को आपके लिंक के ऊपर खड़ा कर दिया है ताकि नीचे से आप खाद-पानी देते रहें,साधे रहें !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा! सुन्दर, मज़ेदार एवं रोचक प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंचलिए संतोष जी अब कुछ फ्रंट और बैक इफेक्ट के बारे में भी चर्चा हो जाए लेकिन ब्लॉगिंग के नहीं, हिंदी चिट्ठाकारी के आगे और पीछे के प्रभाव।
जवाब देंहटाएं@ संतोष जी ,
जवाब देंहटाएं(१) अरविन्द जी वाली लिस्ट ? अरे ये तो नई बात पता चली :)
(२) बुढ़ापे में पटने की हसरत और तद्जनित गौरवानुभूति का विचार, कमबख्त दबाये नहीं दबता :)
(३) पर मैं तो लेने में यकीन कर रहा था :)
@ स्मार्ट इन्डियन ,
आपकी प्रेरणा से ...
खुद टीप लिख मुझसे लिखा
कुछ फोन कर मुझको बता :)
मेरे यार मेरी सुन ज़रा मेरे ब्लाग आ
तारीफ़ में , मेरे लिंक दे सबको बता :)
एक दल बना , ब्लागिंग को चल
सीने पराये देखके , तू मूंग दल !
सुबह से शाम तक यहां बस एक ही हिसाब है
मैं खुद तो लाजबाब हूं तू मुझसा लाजबाब है :)
ये बीबियां बच्चे यहां सब मोह हैं इन्हें त्याग दे
मैं तेरी जलाऊंगा तभी जो मेरी बुझी को आग दे :)
टिपण्णी ब्लोगिंग का साइड एफ्फेक्ट नहीं डाइरेक्ट एफ्फेक्ट हैं
जवाब देंहटाएंलेखन टिपण्णी के लिये होना नहीं चाहिये अपनी निज की ख़ुशी के लिये होना चाहिये
नए से लेकर पुराने तक हर मठाधीश ने इस विषय पर एक पोस्ट जरुर लिखी हैं
मठाधीश की लिस्ट मेरे ब्लॉग पर उपलब्ध हैं
यहाँ नहीं दे रही हूँ और टिप्पणी भी अंत में दे रही हूँ ताकि आप की पोस्ट पर विमर्श हो ले
@ अविनाश जी मैं तो बैक-फुट का खिलाडी हूँ,आप ही फ्रंट पर आकर खेलें !
जवाब देंहटाएं@ अली साब आप तो बस कमाल करते हो,भक्तों को निहाल करते हो !यह पोस्ट आप जैसे जवान-ब्लॉगर्स की बदौलत यादगार हो गई है ! आभार
@रचना जी आप बिला शक सौ-फीसद सही हैं,अपना-अपना तरीका होता है उबलने का !आभार !
badhiya vevechan.......sachhi me......
जवाब देंहटाएंsadar.
:)
जवाब देंहटाएंkya bat hai - tippani vishleshan
:) :)
सफल ब्ल़ॉगिंग के गुर सिखाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं