अभी -अभी खबर मिली कि हिंदी के मशहूर साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल हमारे बीच नहीं रहे. उनके निधन की खबर ने सभी साहित्य प्रेमियों को बेचैन और बदहवास कर दिया है.उन्हें अभी हाल ही में ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला था,पर वे इससे ज़्यादा 'राग-दरबारी' के लेखक के रूप में जो मान हासिल कर चुके थे ,वह बहुत छोटी उपलब्धि ही कही जाएगी !
साहित्य के इस पुरोधा को शत-शत नमन !
dukhad......abhi-abhi to rag-darvari padhkar unhe
जवाब देंहटाएंjana tha....
hardik naman....
sadar
सादर नमन.
जवाब देंहटाएंराग दरबारी जैसी कालजयी रचना का जनक नहीं रहा है -विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि और शत-शत नमन!
जवाब देंहटाएंरागदरबारी के रचयिता को श्रद्धांजलि ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंदुखद समाचार है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे!
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को छठ की शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंश्री शुक्ल पर और पढने का मन है ..मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
बहुत दुःख हुआ सुनकर! श्रीलाल शुक्ल जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंजिस समय यह बुरी खबर मिली,मैं अपने एक मित्र की सगाई के सिलसिले में कानपुर के एक होटल में था. तुरत उतरकर नीचे आया,कैफ़े का पता किया,बीस मिनट में तीन कंप्यूटर में बैठने के बाद बमुश्किल यह श्रद्धांजलि अर्पित की.बहुत ही घटिया अनुभव रहा,इस कनपुरिया-कैफ़े का !
जवाब देंहटाएंश्रीलाल शुक्ल का 'राग-दरबारी' तो अमर उपन्यास है ही, उनके अन्य उपन्यास 'आदमी का जहर','अंगद का पांव', 'सूनी घाटी का सूरज' समेत कई कृतियां पाठकों को उनकी याद दिलाती रहेंगी।
जवाब देंहटाएंकिसी एक रचना से एक व्यक्ति को इतनी महानता मिल जाए, यह बिरले ही होता है। व्यंग्य के क्षेत्र में राजनीतिक पृष्ठभूमि पर श्रीलाल शुक्ल जी की 'राग दरबारी' का न तो पहले कोई विकल्प था और न है। इस बड़ी हस्ती का जाना निश्चित तौर पर साहित्य जगत के लिए एक बड़ा झटका है। उनके कृत्य को पढ़कर काफी कुछ सीखने को मिलता है।
श्रीलाल शुक्ल जी की स्मृति को नमन!
जवाब देंहटाएं