थकावट थी इसलिए रात को जल्दी ही सो गया ! अचानक श्रीमतीजी की आवाज से चौंक गया,'अजी सुनते हो ! कई दिनों से पानी ठीक से नहीं आ रहा है,ज़रा टंकी तो देख कर आओ !कहीं कुछ लीक-वीक तो नहीं हो रहा है ! मैं अलसाया-सा उठ बैठा,सीढ़ी ढूँढने लगा तो उसके दो डेढ़के (पैर रखने वाले डंडे) नदारद मिले.मैं पड़ोसी के यहाँ जाकर उसकी सीढ़ी से अपनी छत पे पहुँचा !
छत के ऊपर बुरा हाल था.आस-पास कीचड़-सा जमा था .टंकी का ढक्कन खोलकर देखा तो तली में थोड़ा पानी दिखा,जिसमें दो-तीन मेंढक उछल-कूद कर रहे थे.मैं नीचे से मोटर चला कर आया था,पर यहाँ पानी की एक बूँद भी न टपक रही थी.अब मेरा दिमाग हलकान हो रहा था.टंकी लगभग सूखी थी और मेंढकों ने उस पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था.लेकिन मुख्य सवाल यह था कि पानी क्यों नहीं आ रहा है? अभी थोड़े दिन पहले ही एक जाने-माने प्लंबर से ठीक भी कराया था.उसने टंकी की मरम्मत करने के बाद उस पर बाक़ायदा अपना नोटिस-बोर्ड लगा दिया था.किसी भी तरह की समस्या के लिए इस नंबर पर कॉल करें !मैंने तुरत वह नंबर डायल किया पर मुआ वह भी 'नॉट-रीचेबल' बता रहा था.
मैंने श्रीमतीजी को छत से ही खड़े-खड़े आवाज़ दी ,''भागवान, ज़रा शर्माजी से पता करो,वह दूसरे शहर के प्लंबर से काम करवाते हैं और उसका बड़ा नाम है.थोड़ी देर में पता चला कि वह प्लम्बर इस समय शर्माजी के यहीं आया हुआ है,सो श्रीमतीजी ने तुरत उसे अपने यहाँ बुला लिया.
शर्माजी के प्लंबर ने आते ही हमारी समस्या सुनी और बजाय वह छत पर चढ़ने के, जहाँ मोटर लगी थी,वहाँ पहुँच गया.उसने बटन दबाते ही हम दोनों की तरफ घूरकर ऐसे देखा,हम तो डर ही गए ! हमें लगा कि क्या कुछ हो गया है? उसने अपना निर्णय सुनाया,भाई साहब ! आपकी तो यह मोटर ही फुंकी पड़ी है तो पानी ऊपर टंकी में कैसे चढ़ेगा ? आपने इस मोटर को बिना चेक किये कई बार चलाया है जिससे यह जल गई है ! मैंने कहा,''अभी तो एक नामी-गिरामी स्पेशलिस्ट प्लंबर को दिखाया था,फिर यह कैसे ? उसने आगे बताया,देखिये ,उसी ने गलत जगह छेनी-हथौड़ी चलाई है इसलिए इसके नट-बोल्ट ढीले हो गए थे.ऐसे में आपको इसे नहीं चलाना चाहिए था.मैंने कहा,जो गलती हुई सो हुई अब बताओ क्या हो सकता है? उसने झट-से बात साफ़ कर दी कि अब इसमें इतनी तोड़-फोड़ हो चुकी है कि यह रिपेयर के लायक नहीं है,इसलिए अच्छा है कि नई मोटर लगवा लें !
अब श्रीमतीजी की बारी थी! उन्होंने हमें ही कोसना शुरू कर दिया.'मुझे शुरू से ही इसके लच्छन अच्छे नहीं दिख रहे थे.जब इसमें ख़राबी आ गयी थी, तभी रिप्लेस कर देते,अब भुगतो. यह सब उस नासपीटे प्लंबर का किया धरा है जिसने मोटर तो खराब की ही ,टंकी में भी मेढकों का जमावड़ा कर दिया.अब जब पानी ही न रहा और न आने की गुंजाइश है तो ये मोटर और टंकी दोनों हमारे किस काम की ?'
अभी मैं इस पर आने वाले खर्चे की उधेड़बुन में ही था कि हमारी पड़ोसन ने ज़बरदस्त -ऑफर देकर थोड़ी राहत दी.उन्होंने श्रीमतीजी से कहा,'कोई नहीं बहन,आख़िर आप भले मुझे अपना न समझे पर मैं आपकी टंकी में अपने पाइप के ज़रिये थोड़ा-बहुत पानी दे सकती हूँ". मैं इस पर रजामंदी देने ही वाला था कि श्रीमती जी ने मेरा चद्दर उठाते हुए झिंझोड़ा,देखो जी कितना सूरज चढ़ आया है और आप हैं कि अभी तक घर्रे मारे जा रहे हैं !
मैं हड़बड़ाकर उठ बैठा ! मेरी नींद काफूर हो गयी थी,फिर मैंने जल्द से टंकी की ओर देखा,उसी प्लंबर का फोन नंबर बड़े-बड़े अक्षरों में दिख रहा था !दूसरे कमरे में बच्चे एफ.एम. में गाना सुन रहे थे,'रजिया गुण्डों में फँस गयी' !
हद है ,हमने तो सोचा ये सच्चा वाकया है मगर यी तो सपना निकला ..आप भी कम नहीं हैं :)
जवाब देंहटाएंअगर स्वप्न विचार किया जाय तो आपके अवचेतन में टंकी ,कूप मंडूकों की उछल कूद ,..
किसी बेसहारा का खुद अपनी असावधानियों और बेवकूफियों से गुंडों के बीच फस जाना जैसे
दृष्टांत घूम घाम रहे थे तो स्वप्न देव ने इसी पर एक पटकथा लिख मारी .....
तो आप भी टंकी पर चढ़ ही लिए भले ही सपने में ....हम तो सपने का यथार्थ सोच सोच कर ही मंद स्मित हो रहे हैं .... :)
डेढ़के के बारे में आज पता चला, और उस नासपीटे ने भी कोई कसर ना छोडी, और रही सही कसर तो चददर खींचने ने पूरी कर दी।
जवाब देंहटाएंकैसे-कैसे सपने देख लेते हैं आप!
जवाब देंहटाएंकैसे कैसे बिम्ब - सपना और वास्तविकता का गड़बड़झाला ... हमारी भी बधाई स्वीकारें ||
जवाब देंहटाएं.......और आप रजिया को बचाने के बजाय पोस्ट ठेलने में लग गए?
जवाब देंहटाएंकम से कम स्वप्नों को तो चिन्ताओं से मुक्त कर दें।
जवाब देंहटाएंचलिए यह भी लाजबाब रहा ! परेशानी दूर हुयी !
जवाब देंहटाएंबढिया है, काफी काम सपने भी कर देते हैं :)
जवाब देंहटाएंसमय चाहिए आज आप से, पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
जवाब देंहटाएंपरिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल, शुक्रवार के इस प्रभात से ||
टिप्पणियों से धन्य कीजिए, अपने दिल की प्रेम-माप से |
चर्चा मंच
की बाढ़े शोभा , भाई-भगिनी, चरण-चाप से ||
बहुत सुंदर अंदाजे बयां,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हमें लगा रजिया बचने के लिए टंकी पर चढ गयी :)
जवाब देंहटाएं@Arvind Mishra आप तो अंतर्यामी हैं,सब जानते हैं !
जवाब देंहटाएं@Smart Indian आप तो बिम्ब पहचानने में विशेषज्ञ हैं
@प्रवीण पाण्डेय चिंताएं कभी तटस्थ नहीं रह सकती !
@प्रवीण त्रिवेदी रजिया को कोई नहीं बचा सकता !
@ अभिषेक ओझा आप पुरनिया हैं अउर पटनिहा हैं यहिलिये आप एकदम्मै ठीक समझे !
Sapna sachchai na ban jaye Automaic switch lagwa lijiye,aapke saaew karya wohi kae dega. Jagna bhi nahin hoga betime.
जवाब देंहटाएंदेखे हुवे सपने हैं या बनाए हुवे ... हा हा ... मजेदार ..
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