15 अक्टूबर 2011

करवा-चौथ और बेचारा पति !

वैसे तो पति नाम के निरीह प्राणी को पूरे साल दम मारने की फ़ुरसत नहीं मिलती है पर एक दिन ऐसा आता है जब उसे सूली पर लटकाने का विधिवत कार्यक्रम होता है.श्रीमतीजी पूरे साल और कामों में इतना व्यस्त रहती हैं कि पतिदेव की ख़ातिरदारी में कोई न कोई कोताही ज़रूर रह जाती है.इसीलिए किसी शुभचिंतक ने करवा-चौथ का मुहूरत सोच-विचारकर निकाला है.


पति को तीन सौ पैसठ दिन भकोसने वाली बीवी जब अचानक किसी दिन मेहरबान हो जाय तो समझो कि शामत या क़यामत ज्यादा दूर नहीं है.शायद इसी तरह के प्रसंगों से प्रेरित होकर तुलसी बाबा ने लिखा है,'नवनि नीच कै अति दुखदाई,जिमि अंकुस,धनु,उरग,बिलाई'! यहाँ भी जब पत्नी से अनायास ज़्यादा प्यार टपकने लगता है तो पति की  हालत पतली होने लगती है.उसे लगता है कि वह बलि का बकरा है और उसको आज के ही दिन हलाल करने के लिए तैयार किया गया है.


क़रीब पंद्रह दिन पहले से इस दिन की आहट सुनाई  देने लगती है.जेब की तलाशी तो पूरे साल ली जाती है लेकिन इन दिनों तो बक़ायदा डकैती पड़ती है.मजाल है कि इस पवित्र पर्व के अनुष्ठान के लिए पति उफ़ भी कर दे.साल भर पानी पी-पी कर कोसने वाली सबला जब धर्मपत्नी बनने को आतुर हो उठती है तो फिर से तुलसी बाबा डराते हैं,''का न करै अबला प्रबल,केहि जगु काल न खाय" !पति की पूजा  के नाम पर पत्नी कितनी मेवा खा लेती है यह विशेषज्ञ पति ही बता सकता है. प्यारा और दुलारा पति अडोस-पड़ोस से गुजरता हुआ नकली मुस्कान चेहरे पे लादे रहता है और सोचता है कि कितनी जल्दी चाँद दिखे और उसका जो भी होना है हो जाये !चाँद को छन्नी से देखने का फंडा भी अजीब है.विवाह से पहले जिस चाँद से उसकी तुलना की जाती है ,पत्नी देखती है कि उसमें क्या ख़ास है जो अब उसमें नहीं रहा !


पत्नी के मेहंदी भरे हाथ पति को कैक्टस की चुभन से कम नहीं लगते.वह इस ख़ास  दिन को लेकर इतना आशंकित रहता है कि उसे भी कुछ दिन पहले से अपनी व्यूह-रचना करनी पड़ती है.इस समय अगर पति की  जेब टटोली जाये तो पैसों की जगह बादाम,किशमिश और काजू के कुछ दाने ज़रूर मिल जायेंगे.जहाँ उसकी पत्नी अपने त्यौहार की तैयारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करती है वहीँ पति ज़्यादातर चुपचाप ही रहता है.किसी भावी आशंका को वह अपने दोस्तों तक से ज़ाहिर तक नहीं कर सकता !क्या पता,संयोग से मिला एक सुकून भरा दिन भी उससे रूठ जाए !


सभी पतियों की तरह हम भी उम्मीद करते हैं कि यह करवा-चौथ भी पिछले की तरह बिना किसी ज्वालामुखी के फटे ,निर्विघ्न संपन्न हो जाये .पत्नी की मेहँदी का रंग नकली न निकले और यह अनुष्ठान बिना ए.टी.एम.
को नुकसान पहुँचाये,अगले साल तक के लिए विराम ले ले !जैसे हमसे पहले वालों के दिन बहुरे,वैसे हमारे भी बहुरें,इसी कामना के साथ करवा-चौथ की बधाई !!


28 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो पिछले दो दिनों से सहमें हुये हैं, सुबह सुबह काहे डरा दिया आपने?

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  2. यहाँ तो 24 घंटे लगातार बारिश है। छन्नी में से भी बस पानी ही आना चान्द तो ऊपर ही अटका रह जायेगा।

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  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
    शुभ-कामनाएं ||

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  4. मैंने न कभी इस ढकोसले को मनाने दिया और न ही औरों को प्रोत्साहित किया ..इस दिन को पतियों को बलि का बकरा बने हास्यास्पद स्थितियों में देखा है ......एक न्यूज चैनेल पर यही महाबहस जारी है ......

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  5. Pati bechara bankar bhi din bhar charta rahata hai chara, ab us chare ki keemat to chukani hi padehi. Ek achchha aur sachcha pravachan, par koi is vachan ko maane tab na? Jai ho chand devta ki.

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  6. भारतीय जनमानस उत्सवधर्मी है। किसी न किसी बहाने नित उत्सव मनाने की परंपरा रही है हमारे यहां। भौतिकता की आपा-धापी में ये उत्सव छूट रहे हैं। बढ़ती महंगाई और समयाभाव के चलते दिल से नहीं दिमाग से काम लेने को मजबूर हुए हैं हम।

    कष्ट उठाकर मनाने से बेहतर है कि हम मिल बैठकर दिल को समझा लें कि ये सब ढकोसले हैं। इससे उम्र नहीं बढ़ती बल्कि पैसा व श्रम दोनो जाया होता है।

    जहां तक हमारी बात है। हम नहीं मनाते।

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  7. जैसे हमसे पहले वालों के दिन बहुरे,वैसे हमारे भी बहुरें,इसी कामना के साथ करवा-चौथ की बधाई !!


    :) :)

    बहुत सटीक ...

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  8. अरविन्द जी और हमारे विचार कितने मिलते जुलते हैं :-)

    वैसे, आपके विचारों से भी हमारी पूरी सहानुभूति है

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  9. हम ना तो अतिरिक्त खर्चा करते हैं , ना ही लाड़ प्रकट करते हैं या ना ही किये जाने की आशा करते हैं . वर्ष भर में चार चतुर्थी मनाते हुए इसी चतुर्थी को चाँद सबसे जल्दी दिखता है , इसलिए हम तो इसे बहुत आसान व्रत मानते हैं !
    वैसे बचने का एक उपाय यह भी है कि खुद भी साथ ही व्रत शुरू कर दें और उन्हें आपके नखरे उठाने का मौका दे दे!

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  10. :) ..वाणी की बात पर गौर फ़रमाया जाये ... अगले साल आप भी व्रत रखें साथ में ..

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  11. दर-असल पत्नी आम दिनों में तो तकलीफें उठाकर भी अपने काम करती रहती है,फिर भी एक दिन उसे पति के लिए सेवाभाव दिखने के नाम पर भूखे रहकर भी काम करवाने का उपक्रम भर रह गया है यह त्यौहार.कई औरतें बिलकुल निर्दोष होकर इस काम को अंजाम देती हैं तो ज़्यादातर केवल बाज़ारू-हाँक के चलते इस भेड़चाल में शामिल होती हैं.

    एक आम स्त्री की भावना का पूरी तरह आदर करते हुए यह पूछना लाज़मी है कि सारे त्याग केवल स्त्री ही क्यों करे ?

    सभी साथियों का आभार !

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  12. करवा चौथ पर आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  13. हमारे घर में इस प्रथा में विश्वास ही नहीं रखा जाता।

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  14. हा हा पंडितजी, लाख रुपए की बात कही आपने। मैंने कहीं क्या तो नाम था उनका हाँ ...पारसाईजी। उनकी एक किताब पढ़ी थी "जैसे उनके दिन फ़िरे, वैसे सबके फ़िरें"। बिल्कुल याद दिला दी आपने पुरानी। मजा आ गया।

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  15. sangeeta ji ke alawa sab peediton ki tippaniyan ...dar rahi hu kuchh likhun ya na likhun?????

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  16. अपनी श्रीमती जी का नम्बर दीजिये प्लीज़. उसके बाद ही पता चलेगा आपको कि दिन बहुरे हैं या नहीं :) :)

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  17. मजेदार पोस्ट ....
    नंबर मत दे देना :-)
    शुभकामनायें !

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  18. @वंदना अवस्थी दुबे नंबर आपको मेल कर दिया है,जब सुभीता हो,बात कर लेना !

    @सतीश सक्सेना आपकी हिदायत ज़रा देर से मिली,देखो अब क्या होता है ?

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  19. अब तो सुन रहे है कि पुरुष इसके बजाय मटका चतुर्दशी व्रत रहा करेंगे .......कहीं प्रस्ताव पढ़ा है ...अभिये .....तो हम तो उधरे जा रहे हैं ....बकिया लटके झटके के फेर में हल्की जेब का रोना क्यों कर ?

    खुशी के गीत गाये जा ......थोडा मुस्कराए जा ......थोडा जेब हल्का कराये जा ............

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  20. हा हा ... ऐसा अनुभव अभी तक हमें नहीं हुवा ...

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  21. आत्ममुग्ध पतियों के काम की पोस्ट :))

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  22. ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी मित्रों को करवा चौथ की हार्दिक मंगलकामनाएँ !
    इस मौके पर पेश है रश्मि प्रभा जी द्वारा तैयार किया हुआ ब्लॉग बुलेटिन का करवा चौथ विशेषांक |
    ब्लॉग बुलेटिन के करवा चौथ विशेषांक पिया का घर-रानी मैं मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  23. !पति की पूजा के नाम पर पत्नी कितनी मेवा खा लेती है यह विशेषज्ञ पति ही बता सकता है. ...

    बड़े कंजूस हो यार , घर में भी और ब्लॉग में भी , फिर वही पुराना लेख चिपका दिया !

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