23 मार्च 2013

होली में हुड़दंग !

कुण्डलियाँ

फागुन गच्चा दे रहा,रंग रहे भरमाय।
आँगन में तुलसी झरे,आम रहे बौराय।।
आम रहे बौराय,नदी-नाले सब उमड़े।
सुखिया रहा सुखाय,रंग चेहरे का बिगड़े।।
 
सजनी खम्भा-ओट , निहारे फिर-फिर पाहुन।
अपना होकर काट रहा ये बैरी फागुन।।(१)



होली में देकर दगा,गई हसीना भाग ,
पिचकारी खाली हुई ,नहीं सुहाती फाग !!

नहीं सुहाती फाग,बुढउनू खांसि रहे हैं,
पोपले मुँह मा गुझिया, पापड़ ठांसि रहे हैं।

अखर रहे पकवान,नीकि ना लगै रंगोली।
चूनर लेती जान, कहे आई अस होली।।(२)



 
फागुन के इस समय में,रोया,हँसा न जाय।
पिचकारी में रंग भरें, वो भी गवा बिलाय।।
वो भी गवा बिलाय,बढी अतनी मँहगाई।
देवर खाली हाथ,तकै मुँहु सब भौजाई।
होरी कइसे मनी, कहैं सजनी ते साजन,
बिपदा भारी लिए,खड़ा मुस्काए फागुन।(३)


दोहे

गुझिया,पापड़ छन रहे,रामदीन के संग।
होरी में सब मिल गए,चटख-स्याह एक-रंग।।(1)


आसमान में उड़ रहा,केसर रंग, गुलाल ।
बरस बाद अंबर मिला,धरती हुई निहाल ।।(2)



रंग काटने दौड़ते,होली में इस बार ।
हरिया के बरतन बिके, घरवाली बीमार।।(3)

फगुवा टोली देखकर,मन में उठे तरंग ।
साजन हैं परदेस में,नाचूँ किसके संग ।।(4)
...
पीली चूनर उड़ रही,आसमान की ओर ।
धरती पटी गुलाल से,जियरा डोले मोर ।।(5)

बादल होली खेलते,बारिश की बौछार।
फागुन गरज-बरस रहा,भीग गया त्यौहार।(6)

और अंत में गौरैया को समर्पित:

गौरैया गायब हुई,रही हमेशा साथ।
सूना सब उसके बिना,दूध-कटोरी-भात ।।


आँगन में दिखते नहीं, गौरैया के पाँव |
गोरी रोज़ मना रही लौटें पाहुन गाँव ||




विशेष :तीसरी कुंडलिया में बीच की दो लाइनें भारतेंदु मिश्र जी की हैं !

 

22 टिप्‍पणियां:

  1. एक से एक लाजवाब!!
    बहुत बहुत आभार,आया रंगो का त्यौहार

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  2. होली पर बहुत ही सुंदर कुण्डलिया,,,बधाई संतोष जी,,,

    होली की हार्दिक शुभकामनायें!
    Recent post: रंगों के दोहे ,

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  3. ब्लागरों /ब्लागरान पर कुछ न लिखा :-(

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  4. सब रंग लिए ...सुन्दर अभिव्यक्ति ...!!

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  5. सब के सब बढ़िया।
    होली के रंग में रंगे।

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  6. शब्‍दों में कल्‍पनाओं और भावों की होली, भर भर लो झोली

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  7. गौरैया गायब हुई,रही हमेशा साथ।
    सूना सब उसके बिना,दूध-कटोरी-भात ।।

    ''अति सुंदर'' होली की बधाई(अग्रिम)

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  8. मन , महंगाई , स्वास्थ्य बेहतर हो
    तब ही उत्सव भाते!
    होलियाना पोस्ट !

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  9. वाह, इतने सारे रंग एक साथ.

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  10. होली में देकर दगा,गई हसीना भाग ,
    पिचकारी खाली हुई ,नहीं सुहाती फाग !!
    नहीं सुहाती फाग,बुढउनू खांसि रहे हैं,
    पोपले मुँह मा गुझिया, पापड़ ठांसि रहे हैं ...
    एक से बढ़ के एक .. सभी छंद, दोहे कमाल के ... होली का हास्य ओर माधुर्य लिए ...
    होली की मंगल कामनाएं ...

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  11. एक से बढ़ के एक
    होली की मंगल कामनाएं ...!!!!

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  12. आज ही बाहर से बापस लौटा हूँ..
    मस्त होली गीत के लिए बधाई आपको !

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  13. अच्छे रंग भिखेर कर होली के गीत गाये जा रहे है। बधाई रंग से सजे गीतों की।

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  14. लाजवाब तीखे दोहे , एक एक पंक्ति सार्थक रही ! बधाई आपको . . . . .

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