स्कूल में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में तुमने जब लोकगीत गाया था,मेरी निगाह शब्दों से कहीं अधिक तुम्हारे हाव-भाव पर थी.गाते वक्त तुम जब भी अपना हाथ ऊपर उठाती तुम्हारा दुपट्टा सरकने लगता.दुपट्टे के सरकने का तुम पर पता नहीं क्या असर होता रहा हो,पर मेरी जान ज़रूर सरक जाती.तुम्हारे दुपट्टे के लहराने से मैं रोमांचित तो होता था पर डर लगता था कि कहीं वह ज़मीन पर आ गया तो दोस्त हँसेंगे.बहरहाल ,उस दुपट्टे ने भी मेरी तरह तुम्हारा खयाल रखा और अपनी सीमा नहीं लांघी.
गाने का मुझे भी शौक था और इसलिए स्कूल की अन्त्याक्षरी टीम में शामिल था.मैं बहुत सुन्दर नहीं गाता था,वह भी तब जबकि सामने तुम होती.साइकिल चलाते हुए मैंने कई फ़िल्मी और मौलिक गीत तुम्हें समर्पित किये थे पर जब सबके सामने गाना पड़ता तो सहज नहीं रह पाता था.ऐसी स्थिति में गाने से पहले मैं तुम्हारी लोकेशन देख लेता और गाते समय उधर गलती से भी न देखता.
मुझे तब बड़ी पीड़ा पहुंची थी ,जब तीन साल एक ही कक्षा में रहने के बाद हमारे सेक्शन बदल गए थे .तुम्हें देखने के लिए मुझे अब ज़्यादा परिश्रम करना पड़ता.ऐसे में मुझे अंतरावकाश का बेसब्री से इंतज़ार रहता.थोड़ी-सी देर के इंटरवल में अन्य दोस्तों की तरह मैं चांट,पट्टी खाने या गुल्ली-डंडा खेलने से बचता था.तुम मेरी यह बेबसी समझती थी कि नहीं,नहीं मालूम.
तुम जब भी मेरे बगल से गुजरती,मुझे ऑक्सीजन मिल जाती.आस-पास ऐसी बयार बहने लगती,जैसे बहार आ गई हो.भले ही हम एक-दूसरे से न बोलते,मगर हमारी आँखें चंद पल में सब कुछ बयाँ कर देतीं.मुझे हमेशा से लगता कि तुम मेरे लिए ही हो,हालाँकि इसके लिए मैंने कभी दावा नहीं पेश किया.मैं तुमसे दूर रहकर भी हमेशा तुम्हारे पास रहा हूँ.
क्या तुमने कभी मुझको भी अपने आस-पास महसूस किया है,हवाओं में,एहसास में ?
गाने का मुझे भी शौक था और इसलिए स्कूल की अन्त्याक्षरी टीम में शामिल था.मैं बहुत सुन्दर नहीं गाता था,वह भी तब जबकि सामने तुम होती.साइकिल चलाते हुए मैंने कई फ़िल्मी और मौलिक गीत तुम्हें समर्पित किये थे पर जब सबके सामने गाना पड़ता तो सहज नहीं रह पाता था.ऐसी स्थिति में गाने से पहले मैं तुम्हारी लोकेशन देख लेता और गाते समय उधर गलती से भी न देखता.
मुझे तब बड़ी पीड़ा पहुंची थी ,जब तीन साल एक ही कक्षा में रहने के बाद हमारे सेक्शन बदल गए थे .तुम्हें देखने के लिए मुझे अब ज़्यादा परिश्रम करना पड़ता.ऐसे में मुझे अंतरावकाश का बेसब्री से इंतज़ार रहता.थोड़ी-सी देर के इंटरवल में अन्य दोस्तों की तरह मैं चांट,पट्टी खाने या गुल्ली-डंडा खेलने से बचता था.तुम मेरी यह बेबसी समझती थी कि नहीं,नहीं मालूम.
तुम जब भी मेरे बगल से गुजरती,मुझे ऑक्सीजन मिल जाती.आस-पास ऐसी बयार बहने लगती,जैसे बहार आ गई हो.भले ही हम एक-दूसरे से न बोलते,मगर हमारी आँखें चंद पल में सब कुछ बयाँ कर देतीं.मुझे हमेशा से लगता कि तुम मेरे लिए ही हो,हालाँकि इसके लिए मैंने कभी दावा नहीं पेश किया.मैं तुमसे दूर रहकर भी हमेशा तुम्हारे पास रहा हूँ.
क्या तुमने कभी मुझको भी अपने आस-पास महसूस किया है,हवाओं में,एहसास में ?
अतिसुँदर !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर खत है....
जवाब देंहटाएंदूसरा और तीसरा भाग आज ही पढा
जवाब देंहटाएंआपके ऑक्सीजन भरे स्वास्थ्य का पता आज चला।
जवाब देंहटाएंख़त के माध्यम कल्पनाओं का सुंदर अहसास,,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग,
आपके ऑक्सीजन भरे स्वास्थ्य का पता आज चला। और कार्बन डाइआक्साइड छोड़ हमें हिला दिया।
जवाब देंहटाएंकभी कुछ पढ़ाई वढाई भी होती थी स्कूल में !!
जवाब देंहटाएंतब पढे होते तो आज चिट्टी बांचने की नौबत थोड़े ही आती :)
हटाएंपढ़ाई होती तो तीन साल एक ही कक्षा में कैसे रह पाते! :)
हटाएंवाणी जी के प्रश्न का जवाब दीजिये :-)
जवाब देंहटाएंअब यह आक्सीजन ...??
जवाब देंहटाएंबड़ी देर भई नंदलाला ...
जवाब देंहटाएंसमय समय की बात है.....
जवाब देंहटाएंवो भी दिन थे,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है आदरणीय -
जवाब देंहटाएंकल शहर से बाहर था-
सादर |
किशोरावस्था की फिलिँग वो भी इतनी तरोताज़ा?
जवाब देंहटाएंजिस शिद्दत से आप लिख रहे हैं ... जरूर महसूस किया होगा उस लम्हे उस शिद्दत को ...
जवाब देंहटाएंबहुत छिपे आशिक हो
जवाब देंहटाएंआक्सीजन के
कन्याओं के मन के
मालूम चला।
हौले होले अपनी
कल्पनाओं का आशिक
बना रहे हो
होली से पहले।
बहुत छिपे आशिक हो
जवाब देंहटाएंआक्सीजन के
कन्याओं के मन के
मालूम चला।
हौले होले अपनी
कल्पनाओं का आशिक
बना रहे हो
होली से पहले।
आनंदम..। प्रेम पत्र पढ़ना वैसे भी आनंद दायक होता है।
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