परिकल्पना-पुरस्कारों के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस समय डायचे-वेले ने श्रेष्ठ ब्लॉगर नामित करने का अभियान चलाया हुआ है.जिन मुद्दों को लेकर परिकल्पना की आलोचना की गई थी,वे इसमें भी मौजूद हैं.
सबसे ज़्यादा आपत्तिजनक बात 'नारी' ब्लॉग के नामांकन को लेकर है.इसे सामूहिक ब्लॉग की श्रेणी में रखा गया है जबकि शुरूआती दिनों के बाद ही इसमें से कई नारी ब्लॉगर को हटाया गया,बाद में अकेले ही लिखा जाने लगा और यहाँ तक कि पढ़ना भी आमंत्रित और आरक्षित कर दिया गया.क्या किसी ब्लॉग की यह पहचान हो सकती है,जबकि वह सामूहिक भी हो ?
अगर कंटेंट के नाम पर भी देखा जाय तो यहाँ सिफर रहता है. जानकीपुल या मोहल्ला लाइव जैसों के मुकाबले रवीश कुमार ने इसे नामांकित करके निराश किया है !
ब्लॉग की मुख्य अवधारणा ही पारस्परिक मंतव्यों का आदान -प्रदान होता है जबकि 'नारी' ने कई बार इसका उल्लंघन किया है,अपने व्यक्तिगत नियम बनाये हैं,जबकि इसे सामूहिक ब्लॉग बताया जा रहा है .जहाँ पढ़ने के लिए गंभीर सामग्री न हो,दूसरे ब्लोग्स के बारे में हमेशा नकारात्मकता हो,पढ़ने तक में आरक्षण हो,ऐसे में किन आधारों पर उसे वोट दिया जाए ??
सबसे ज़्यादा आपत्तिजनक बात 'नारी' ब्लॉग के नामांकन को लेकर है.इसे सामूहिक ब्लॉग की श्रेणी में रखा गया है जबकि शुरूआती दिनों के बाद ही इसमें से कई नारी ब्लॉगर को हटाया गया,बाद में अकेले ही लिखा जाने लगा और यहाँ तक कि पढ़ना भी आमंत्रित और आरक्षित कर दिया गया.क्या किसी ब्लॉग की यह पहचान हो सकती है,जबकि वह सामूहिक भी हो ?
अगर कंटेंट के नाम पर भी देखा जाय तो यहाँ सिफर रहता है. जानकीपुल या मोहल्ला लाइव जैसों के मुकाबले रवीश कुमार ने इसे नामांकित करके निराश किया है !
ब्लॉग की मुख्य अवधारणा ही पारस्परिक मंतव्यों का आदान -प्रदान होता है जबकि 'नारी' ने कई बार इसका उल्लंघन किया है,अपने व्यक्तिगत नियम बनाये हैं,जबकि इसे सामूहिक ब्लॉग बताया जा रहा है .जहाँ पढ़ने के लिए गंभीर सामग्री न हो,दूसरे ब्लोग्स के बारे में हमेशा नकारात्मकता हो,पढ़ने तक में आरक्षण हो,ऐसे में किन आधारों पर उसे वोट दिया जाए ??
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हटाएंओके !
हटाएं'हलाल मीट' जैसे ब्लॉग का नामाँकन तो किसी एक के सूचित करने पर हो जाय, किंतु उसका 11 मेँ चुनाव आयोजक और जूरी के इरादोँ पर प्रश्नचिन्ह है.
हटाएंअच्छे हिंदी ब्लॉग्स का उसके समान स्तर पर होना भी अच्छे ब्लॉग के लिए शर्म की बात है. पता नहीं लोग किसके समतुल्य खडे होकर कैसे गम्भीर संघर्ष कर रहे है? अस्तु मैं तो चाहता हूँ यह 'हलाल मीट' जो बेनामी है, भारत के 'हिन्दी में फॉलो करने लायक बेहतरीन व्यक्ति' की कैटेगरी में जीत जाय, और उसको देखकर पूरी दुनिया जाने कि हमारा ब्लॉगिंग स्तर क्या है.
...उसे वोट दे आया हूँ !!
हटाएंओह!!
हटाएंक्षमा करें सन्तोष जी, मेरी गलती है कि मैं व्यंग्य को स्पष्ट न कर पाया।
और भ्रांति न हो, सभी से क्षमायाचना सहित उस व्यंग्य टिप्पणी को हटा रहा हूँ
..सुज्ञ जी ,व्यंग्य जिसकी समझ में न आए,गलती उसकी है.आप नाहक क्षमायाचना कर रहे हैं !
हटाएंरवीश कुमार ने इसे नामांकित करके निराश किया है !
जवाब देंहटाएंravish kumar has not nominated it or any blog
please read the rules of nomination
nomination is done by public
from the top nominated blogs
the jury of that language brings in the top 11 for voting by public
once the voting is done
then jury will of that language will disclose the top vote gainer which is already on their site
and nomination is not for saamuhik/joint blog or single blog
its for blog activism
http://basicuniverse.wordpress.com/contact/
check this blog its not a joint blog but single blog but has been nominated by public for ACTIVISM
so its now in top 11
जवाब देंहटाएंआपकी गुस्सा और नाराजी मैं समझ सकता हूँ !!
रचना जी की बात( उपरोक्त कमेन्ट ) पर गौर करें संतोष भाई ..
इस पुरस्कार के बारे में पक्षपात और नाराजी भूलनी होगी , मैं रचना से कई जगह मतभेद रखता हूँ फिर भी यहाँ आपसे अपील करता हूँ उक्त मतदान में हिस्सा लेते हुए "नारी" को वोट अवश्य दें !
सादर
...सतीश भाई !
हटाएंमैं व्यक्तिगत रूप से आपका सम्मान करता हूँ,पर ऐसे मामलों पर निर्णय स्व-विवेक से ही लूँगा.
आपको खुशदीप भाई के यहाँ इस अयाचित सहयोग का ज़वाब पढ़कर समझ लेना चाहिए कि आप गलत वक़ालत कर रहे हैं.
..नामांकन यदि रवीश ने नहीं भी किया है तो भी हमारे मुख्य सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं.ब्लॉग या सामूहिक ब्लॉग की ज़द में आने के लिए ,खासकर कठिन परीक्षा पास करने के लिए(यदि पुरस्कृत किया जाना है )उच्च नहीं तो सामान्य मापदंड तो अपनाने ही होंगे.
जवाब देंहटाएं....ब्लॉग-जगत में मेरी किसी से व्यक्तिगत नाराजी या रंजिश नहीं है,पर जो मुझे ठीक लगता है,कहता ज़रूर हूँ.
50 -100 से इन ग्यारह को रवीश ने ही चुना होगा.....
हटाएंयह तरीका बताया गया है......
कौन सा ब्लॉग सबसे अच्छा है! यह तय करती है बॉब्स की प्रभावशाली जूरी. यह नामांकित ब्लॉग चुनती है और विजेता तय करती है. जूरी सदस्य आने वाले दिनों में बर्लिन में मिलेंगे और साथ बैठकर अपने दावेदार सामने रखेंगे और विजेता तय करेंगे.
अब नामाँकन देखकर ही उनकी क्षमता को जाना जा सकता है.
यहाँ भी विचार देखें !
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/santosh.trivedi/posts/10200861559487045?notif_t=like
नारी इकट्ठा होना चाह रही है
जवाब देंहटाएंवह संतोष मांग रही है
देने वाले उस पर आरी चला रहे हैं
क्या नारी पर आरी चलाना उचित है ?
हिम्मत से काम लीजिए।यह दुनिया दुखों का सागर है।
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार भाई।
हटाएंरचना जी के ब्लॉग की भी अपनी एक पहचान है | नामांकन इसका कैसे हुआ या या किसने किया इससे अधिक यह बात है की आप सभी नामांकित ब्लॉग को वोट दें |कम से कम इस ब्लॉगजगत को टिपण्णी माफियाओं और छोटे स्तर के धन कमाने वाले के लिए दिए गए पुरस्कारों से तो नजात मिलेगी |
जवाब देंहटाएंवहाँ रचना जी का ब्लॉग है, रजनीश जी का ब्लॉग है ,अनवर जमाल जी का भी ब्लॉग है और हलाल मीट जैसे भी ब्लॉग हैं | लेकिन हैं तो सभी हिंदी ब्लॉग | हिंदी को आगे बढाएं |
हाँ जी, हाँ जी…… हिन्दी………
हटाएं'छोटे स्तर के धन कमाने वाले' भी हिन्दी के नाम पर कसाईयों व मीट व्यवसायियों को प्रमोट नहीं करते।
और न वे महिलाओं का अपमान करने वालों अनवर जमाल आदि के ब्लॉगों (औरत की हक़िकत)को नोमिनेशन के लायक भी समझते है।
‘अब पछताय क्या होत, जब चिड़िया चुग गई खेत‘
हटाएंभाई सुज्ञ साहब ! वक्त रहते आपने अपना ब्लॉग ‘शाकाहार‘ जमा कर दिया होता तो आज आपको इतनी टिप्पणियां करने की नौबत न आती।
आपको ‘हलाल मीट‘ से परेशानी हो रही है लेकिन जर्मनी वालों को हलाल हराम से मतलब नहीं है। उन्हें मीट या लौकी से भी कोई वास्ता नहीं है। उन्हें हिन्दी से मतलब है। अब अगर आप हलाल मीट को जीतने नहीं देना चाहते तो अपने वोट की ताक़त का इस्तेमाल कीजिए।
अनवर जमाल महिलाओं का अपमान किया करते तो उन्हें नारी ब्लॉगर्स अपने ब्लॉग पर टिप्पणी क्यों करने देतीं ?
और उनके सामूहिक ब्लॉग की मेम्बरशिप महिलाएं क्यों लेतीं ?
जलन आपका हक़ है लेकिन इल्ज़ाम ऐसा तो लगाओ कि कोई मान ले।
संतोष त्रिवेदी जी की पोस्ट को आप उसके मुददे से दूर ले गए।
उनका मुददा नारी ब्लॉग था।
आप उनके मुददे पर विचार देते और अपने मुददे पर अपने ब्लॉग पर विचार मांगते।
आखि़र में हिन्दी को आगे बढ़ाना है, इस पर विचार करें, आपस में न लड़ें।
संतोष जी आपके उठाए मुददे को ख़ामख्वाह दबा दिया गया।
नारी ब्लॉग के लिए शुभकामनाएं।
अरे भाई अहमद, ऐसी चिडियाएं पराये खेत चरने के लिए ही जन्म लेती है। यहाँ कोई पछतावा नहीं है। जहाँ ऐसे बेनामियों, कसाईयों और मीट व्यवसायियों की उपस्थिति हो वहाँ 'निरामिष' खड़ा भी न रहे :)
हटाएंऔर नारी ब्लॉग्स अगर अनवर जमाल को टिप्पणियां करने भी देती है तो एक तो उनका बड़ा दिल है और दूसरे गजब की साहसी है। बाकी अपमान के सारे प्रकरण पूरा ब्लॉग जगत जानता है।
पता नहीं नामांकन कैसे हो गया, जबकि यह दोनो ही ब्लॉग नामांकन से ही खारिज हो जाय, उनका स्पष्ट नियम है-
"हम ऐसे प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते जो किसी की भावनाओं को आहत करें, जिनमें सांप्रदायिक भावनाओं या महिलाओं को अपमानित किया जाता हो या जिनमें अश्लील वेबसाइटों के लिंक हों."
डॉयचे वेले का उद्देश्य हिन्दी को बढ़ावा देना नहीं बल्कि विभिन्न भाषाओं के ब्लॉग्स में बेहतरीन मुहिम को सम्मानित करना है। सार्वजनिक हित वाले मुद्दे (जिसने तकनीक से समाज में बदलाव की कोशिश की और लोकतंत्र को बढ़ावा दिया हो.) लोकतंत्र और मानवाधिकार को बढ़ावा देता हो. और कंपनियों और संगठनों के प्रचार को इसमें शामिल नहीं किया जाता.
बाकि रहा संतोष जी का और हमारा तो हम दोनो में बेहतर समझ है। :)
नारी ब्लॉग अनवर जमाल के कमेन्ट नहीं छपता हैं
हटाएंअनवर जमाल भारतीय नारी ब्लॉग के सदस्य हैं जिसे वो अपने हितो के लिये इस्तमाल करते हैं
उसकी सदस्य जो चाहे स्वतंत्र हैं करने के लिये
नारी ब्लॉग ने शुरू से अनवर जमाल की निंदा की हैं . उस समय भी जब उन्होंने दो महिला ब्लोगर के चित्र अश्लील शब्दों के साथ अपने ब्लॉग पर डाले और वो दोनों महिला ब्लोग्गर हिन्दू हैं . नारी ब्लॉग की मुहीम के साथ उस समय हंसराज और अन्य बहुत से ब्लोग्गर खड़े थे
तभी वो चित्र हटाए गए थे .
आज मेने खुद अनवर जमाल के ब्लॉग पर जा कर कमेन्ट दिया हैं की वो नारी ब्लॉग के नहीं भारतीये नारी ब्लॉग के सदस्य हैं
नारी ब्लॉग लिंग भेद से उपजती व्यवस्था की दुर्व्यवस्था का विरोध करता हैं उस का अनवर जमाल से कोई लेना देना नहीं हैं
डिस्क्लेमर
अयाज़ अहमद ने नारी ब्लोग्गर कहा जो महिला ब्लोग्गर का प्रतीक है सो मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं लेकिन नारी ब्लॉग अनवर जमाल की महिला ब्लोग्गर के चित्र के साथ अश्लील शब्दों के प्रयोग की निंदा करता हैं करता रहे गा
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/04/blog-post_9.html
हटाएंyae link haen
गुड।
जवाब देंहटाएंनारी ब्लॉग आज भी सामूहिक ब्लॉग है और उस पर सभी लोगों की पोस्ट आती है . अपने आप में एक अलग स्थान रखने वाला ब्लॉग के नॉमिनेशन पर इतनी आपत्ति क्यों ? सबको सामने आने दीजिये . वोट तो देने वाले सभी ब्लॉगर ही होंगें .
जवाब देंहटाएंनर हो न निराश करो मन को,मत चोट करो ।
जवाब देंहटाएंनारी न सही,कोई और सही, एक वोट करो ॥
सबका अपना राग है अपनी डफली भी -
वोट करो ताकि मुसकाए हिन्दी अपनी भी ।।
वैसे मुझे गर्व है कि परिकल्पना सम्मान पाने वाले दोनों ब्लॉग "नारी" और "तस्लीम" को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग की श्रेणी मे नामित किया गया है । अब निर्णय आपको लेना है कि किसे वोट करेंगे।
जवाब देंहटाएं...मगर नारी ने तो परिकल्पना का मजाक बनाने की कोशिश की थी !
हटाएंजोरदार वोटिंग चल रही है -जिसे जो पसंद आये वहां वोट करे - वैसे भी बाब्स नामांकनों को लेकर कोई उत्साह आम ब्लागरों में नहीं है! हाँ कुछ खेमें क्षेत्र,धर्म ,जाति सम्प्रदाय और निहित -न्यस्त उद्येश्यों से लामबंद हो रहे है -काहें आप अपना इतना खून जला रहे हो !तनिक कूटनीति से काम लीजिये !
जवाब देंहटाएंरवीश कुमार द्वारा नारी ब्लॉग को नामांकित होते देखने में निराश होने वाली बात है तो मेरी समझ में इसमें निराशा जैसी बात ठीक नहीं लगती। जिन लोगों ने रवीश कुमार को जूरी बनाया उनके कुछ मापदंड रहे हों शायद। रवीश कुमार स्वयं संवेदनशील इंसान हैं। बचपन से आसपास/मोहल्ले की लडकियों की समस्यायें देखीं। लड़कियों के बाप के हाल देखे। ऐसे में अगर उन्होंने नारी मुद्दों से जुड़े ब्लॉगों (नारी, चोखेरबाली और औरत की हकीकत को नामांकित किया तो किया। उससे क्या निराश होना? इसी बहाने मैंने उनके ब्लॉग की पुरानी पोस्टें देखीं। खासकर यह पोस्ट! इसका यह अंश देखिये:
जवाब देंहटाएं"हिंदुस्तान के लड़के बदसूरत, बेढंग और बेहूदे होते हैं। लड़कियां तो सज कर कुछ बेहतर से बहुत बेहतर लगती रहती हैं। लड़कों के पास नौकरी न हो और समाज में शादी का चलन न हो तो मेरा यकीन है कि लाखों की संख्या में लड़के कुंवारे रह जाते।"
http://chitthacharcha.blogspot.in/2013/04/blog-post_11.html
ब्लॉग को पढ़ने से रोकने के नाम पर भयानक चुप्पी :)
हटाएं♥ ♥ ♥ बेजा इल्ज़ाम लगाने से बचें हिन्दी ब्लॉगर्स-एक अपील
हटाएं1. सन्तोष जी को एक अच्छी पोस्ट के लिए शुभकामनाएं।
आपने एक अच्छा मुददा उठाया है लेकिन सही बात को कहने का साहस कौन करे ?
जो सच बोलेगा, उसे गुटबाज़ों का समर्थन झेलना पड़ेगा या फिर उसे किसी का विरोधी मान लिया जाएगा। मुददों पर बात करने का माददा यहां नापैद सा है। शुक्र है कि बिल्कुल नापैद नहीं है।
सो आपने लिखा ही है।
2. हम जब तक कमेंट करते रहे, तब तक उसे नारी ब्लॉग छापता रहा। जब हमने उसे पढ़ना और उस पर कमेंट करना बंद कर दिया तो वह हमारा कमेंट छापेगा कैसे ?
हम किसी का समर्थन या विरोध करते हुए उसका औरत-मर्द या हिन्दू मुसलमान होना नहीं देखते। संकीर्ण मानसिकता वाले उसे सांप्रदायिकता का जामा पहनाते हैं। हमने फ़िरदौस को भी नेक नसीहत की थी। हालाँकि वह महिला ब्लॉगर भी थी और मुस्लिम भी। अगर कोई उसे महिला का अपमान बताए या उसे ‘मुस्लिम‘ का विरोध बताए तो यह कहने वाले की नादानी होगी।
हिन्दी ब्लॉगर्स के सामने संकीर्ण सांप्रदायिक सोच एक चुनौती है। हम सबको मिलकर इससे मुक्ति पानी है।
‘ब्लॉग की ख़बरें‘ एक हिन्दी ब्लॉग जगत का सबसे पहला और निष्पक्ष समाचार पत्र है। यह एक आईना है। ब्लॉग जगत की झलक इसमें साफ़ देखी जा सकती है।
हिन्दी ब्लॉगिंग को नुक्सान पहुंचाने वाले मठाधीशों के खि़लाफ़ इसने ज़ोरदार आवाज़ उठाई है। यही वजह है कि सभी मठाधीश और उनके अनुचर अनवर जमाल से रंजिश रखते हैं। इसी के साथ यह समाचार पत्र मज़हबी कटटरता और अंधविश्वासों के खि़लाफ़ भी आवाज़ उठाता है। यह एक वैचारिक आन्दोलन है। मज़हब को अंधविश्वास परोसने वाले व्यापारियों और दीन के नाम पर ठगने वाले ठगों के खि़लाफ़ इसकी निम्न पोस्ट्स दृष्टव्य हैं-
a- मदरसे और मस्जिद के लिए चंदा के नाम पर फैल रहा है कमीशनख़ोरी और ठगी का धंधा
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/02/blog-post_28.html
2- दीन के नाम पर दुकानदारी करने वाले मुल्लाओं की एक कारस्तानी The Sin
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/12/great-sin.html
अनवर जमाल को समझना है तो अपने दुराग्रह और पूर्वाग्रह से मुक्त होना होगा।
‘औरत की हक़ीक़त‘ और ‘प्यारी मां‘ ब्लॉग के ज़रिये अनवर जमाल ने हिन्दुस्तानी औरत को सम्मान और सुरक्षा दिलाने के लिए एक अभियान छेड़ा हुआ है। जिसमें किसी तंगदिल ने कभी सहयोग नहीं दिया। वे सब इन रचनात्मक ब्लॉगस से दूर ही रहे।
समाज नफ़रत न फैलाने वाले हिन्दी ब्लॉगर्स का सहयोग अनवर जमाल को हमेशा मिला है और आज भी मिल रहा है। इसमें औरत-मर्द और हिन्दू मुस्लिम तो हैं ही। इसमें ईसाई भी हैं और नास्तिक भी।
‘हिन्दी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ अनवर जमाल का बनाया अकेला ऐसा सामूहिक ब्लॉग है जिसमें उसके विरोधियों को भी सदस्य बनाया गया। उन्होंने अनवर जमाल के विरोध में लिखा और फिर ख़ुद ही शान्त हो गए। आज तक शान्त हैं। जब दूसरे विरोध करने पर ब्लॉगर को निकाल रहे थे तब हम अपने विरोधियों को इन्वाईट कर रहे थे कि आओ भाई, विरोध करो, आपका विरोध भी सुना जाएगा।
हमारा मक़सद सबको जोड़ना है। इसके लिए सहनशीलता और सकारात्मक सोच ज़रूरी है।
‘हिन्दी का उत्थान हो‘, इस भावना के साथ हमें सबको अपने गिले शिकवे भूल जाने चाहिएं या उनके हल के लिए कोई पैमाना निर्धारित कर लेना चाहिए। बेवजह इल्ज़ाम लगाना किसी समस्या का हल नहीं होते। समझदारी और परिपक्वता के स्तर तक हम हिन्दी ब्लॉगर्स को लाकर रहेंगे। इसके लिए अनवर जमाल कृत संकल्प है।
जो भी ब्लॉगर जर्मनी जाएगा, वह वहां हिन्दी में अपनी बात रखे, उसकी बात को कोई दूसरा अनुवाद करके बताए, यह ध्यान रखे। वहां जाकर हिन्दी ब्लॉगर अंग्रेज़ी में न बोलने लगे। ऐसी विनती है।
सभी चयनित और अचयनित ब्लॉगर्स को शुभकामनाएं क्योंकि सभी हिन्दी को समृद्ध कर रहे हैं।
मैया रे मैया -
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