14 फ़रवरी 2013

यूँ दबे पाँव आया वसंत !



यूँ दबे पाँव आया वसंत !
हरियाली की चादर ओढ़े
धूप गुनगुनी साथ लिए,
मंद पवन से द्वार बुहारे
पुलकित मन ,श्रृंगार किये ,

पट खोल दिए दोनों तुरंत !
यूँ दबे पाँव आया वसंत !!

नयनों से धार बही झर-झर
काजल बह गया अश्रु बनकर ,
सामने दिखे मेरे प्रियतम
बरबस लिया उन्हें अंक भर ,

मिल रहे प्रिया से आज कन्त !
यूँ दबे पाँव आया वसंत !!

 

21 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ जी हाँ, इब तो महसूस हो रया है।

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  2. दबे पांव आता है...फिर छा जाता है वसंत...

    सुन्दर!!
    सादर
    अनु

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  3. उत्कृष्ट, अद्भुत । बधाई ऐसी रचना के लिऐ ।

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  4. बसंत दबे पांव आया लेकिन आपके संवेदनशील हृदय से बच नहीं पाया..धरा ही गया।
    ..बहुत बधाई।

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  5. कहाँ आया है जी.. सुबह बारिश हो गयी :P

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  6. बहुत खूबसूरत वासंती रचना
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!

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  7. बैसवारी में बोले तो 'वसंतियाही पोस्ट' :)

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  8. बसंत बहार
    प्रेम अपार !

    कविता शानदार !

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  9. बसंत को मीठी बयार ओर पीली सर्सों महक रही है ...
    प्रेम भी कहका हुवा है ...

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  10. सुंदर प्रस्तुति।।
    इस मौसम की बात ही निराली है....

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