उसका मिजाज मौसम-सा ,
हमको हर बार दगा देता है !
मिलने को बुलाता है मुझको
गलत हर बार पता देता है ।
कहने को कुछ नहीं होता,
जल्द एतबार जता देता है ।
रूठ कर महफिल से गए,
मेरा कुसूर बता देता है ।
वो स्याह है,रोशन है वही,
मेरे दिल को जला देता है ।
हमको हर बार दगा देता है !
मिलने को बुलाता है मुझको
गलत हर बार पता देता है ।
कहने को कुछ नहीं होता,
जल्द एतबार जता देता है ।
रूठ कर महफिल से गए,
मेरा कुसूर बता देता है ।
वो स्याह है,रोशन है वही,
मेरे दिल को जला देता है ।
सुंदर प्रस्तुति ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ।
मिलने को बुलाता है मुझको
जवाब देंहटाएंगलत हर बार पता देता है ,,,,,बहुत उम्दा सराहनीय प्रयास,,,बधाई संतोष जी,,,
RECENT POST बदनसीबी,
बढ़िया है भाई-
जवाब देंहटाएंप्रीति-प्रतीति पते पर पहुँचे-
ओला बारिश
शीत चुभन ये-
अटक-भटक चटके जो मन ये -
शांत हो-
शुभकामनायें-भाई-
मौसम सा उनका मिजाज़ तो ठीक है ... दगा हर बार नहीं देता .. कई बार आता है ओर बैठ ही जाता है ... मस्त हैं सभी शेर ...
जवाब देंहटाएंबस आज की दिल्ली जैसा मौसम न हो।
जवाब देंहटाएंआपको शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर अभिव्यक्ति।।।
जवाब देंहटाएंआज भोपाल को मौसम भी काफी रुमानी है जो अनायास ही कुछ याद दिला देता है।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर लाजबाब , मुबारक हो
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंरूठ कर महफिल से गए,
मेरा कुसूर बता देता है ।
सच्ची!! दगाबाज ही है....
अनु
बहुत ही उम्दा ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन गजल है....
जवाब देंहटाएंशानदार...
:-)
जवाब देंहटाएंमिलने को बुलाता है मुझको
गलत हर बार पता देता है ।
बहुत खूब ...
बहुत बढ़िया त्रिवेदी जी।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंगाँव से ही से मोबाईल ब्लागिंग हो रही है क्या ? बढियां है!
जवाब देंहटाएंमोबाइल इंटरनेट और लैपटॉप......फिलहाल कानपुर में !
हटाएंसीधी सच्ची मन की बात बतियाती सी सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप
.
...आभार दी !
हटाएंवाह! एक पुराने गीत/गजल के शब्द याद आ गए
जवाब देंहटाएंदर्द देता है मुझे कोई दवा देता है
जो भी मिलता है मेरे गम को बढ़ा देता है