यूँ दबे पाँव आया वसंत !
हरियाली की चादर ओढ़े
धूप गुनगुनी साथ लिए,
मंद पवन से द्वार बुहारे
पुलकित मन ,श्रृंगार किये ,
पट खोल दिए दोनों तुरंत !
यूँ दबे पाँव आया वसंत !!
नयनों से धार बही झर-झर
काजल बह गया अश्रु बनकर ,
सामने दिखे मेरे प्रियतम
बरबस लिया उन्हें अंक भर ,
मिल रहे प्रिया से आज कन्त !
यूँ दबे पाँव आया वसंत !!
बसंत हावी है बुरी तरह। बढ़िया।
जवाब देंहटाएंहाँ जी हाँ, इब तो महसूस हो रया है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार उम्दा अभिव्यक्ति ,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: बसंती रंग छा गया
इश्क़ की दास्ताँ है प्यारे ... अपनी अपनी जुबां है प्यारे - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ..
जवाब देंहटाएंबधाई !!
दबे पांव आता है...फिर छा जाता है वसंत...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!
सादर
अनु
दबे पाँव आया फिर भी छाया बसंत ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंखूबसूरत वासंती गीत !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट, अद्भुत । बधाई ऐसी रचना के लिऐ ।
जवाब देंहटाएंबसंत दबे पांव आया लेकिन आपके संवेदनशील हृदय से बच नहीं पाया..धरा ही गया।
जवाब देंहटाएं..बहुत बधाई।
कहाँ आया है जी.. सुबह बारिश हो गयी :P
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत वासंती रचना
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!
सुन्दर और मधुमय.
जवाब देंहटाएंबैसवारी में बोले तो 'वसंतियाही पोस्ट' :)
जवाब देंहटाएंबसंत बहार
जवाब देंहटाएंप्रेम अपार !
कविता शानदार !
मदमाया रहे बसंत प्यारा..
जवाब देंहटाएंbilkul hi ye basanti rang chadha deti hai.
जवाब देंहटाएंबसंत को मीठी बयार ओर पीली सर्सों महक रही है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम भी कहका हुवा है ...
सुंदर प्रस्तुति।।
जवाब देंहटाएंइस मौसम की बात ही निराली है....