उनका आना
ताज़ा हवा के झोंके की तरह
खिला देता है तन-मन
सूखे मरुथल में गिरती हैं बूंदें
उमगने लगती है अमराई
झड़ते है सूखे पत्ते
और आती दिखती हैं कोपलें
छोटा-सा जीवन
कितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
उनके आने की खबर से ही !
ताज़ा हवा के झोंके की तरह
खिला देता है तन-मन
सूखे मरुथल में गिरती हैं बूंदें
उमगने लगती है अमराई
झड़ते है सूखे पत्ते
और आती दिखती हैं कोपलें
छोटा-सा जीवन
कितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
उनके आने की खबर से ही !
छोटा-सा जीवन
जवाब देंहटाएंकितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
उनके आने की खबर से ही !
वाह ... बहुत खूब
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंआज आप और हम कुछ एकई सुर में बजे हैं :-)
सादर
अनु
:-)
हटाएंबहुत कोमल और प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंयादों में मन लहलहा देने की क्षमता रहती है।
जवाब देंहटाएंछोटा-सा जीवन
जवाब देंहटाएंकितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
उनके आने की खबर से ही !
इन लाइनों में गूढ़ प्रेम दर्शन है। आपको प्रणाम और शुभकामनाएं।
बेहतर लेखन !!!
जवाब देंहटाएंसुंदर और कोमल अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...
फेसबुक से लेकर ब्लॉग तक सारा माहौल खुशनुमा है। :)
जवाब देंहटाएंफेसबुक में आपको नहीं देखता, आप कहाँ हैं?
हटाएंबहुत उम्दा,बधाई एवं शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंrecent post: रूप संवारा नहीं,,,
ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है,
जवाब देंहटाएंकहीं ये वो तो नहीं..
या फिर
अपने आप रातों में
चिलमनें सरकती हैं
चौंकते हैं दरवाज़े
सीढियां धडकती हैं.. अपने आप!!
बहुत खूब, माट्साब!!
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (12-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
bahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएं... वो समझते हैं के बीमार का हल अच्छा है
जवाब देंहटाएंयह आशा जीवन का रस है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
प्रेम की भाषा अलग ही होती है...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... ये किसकी है आहट ... ये कौन आया ...
जवाब देंहटाएंप्रेम की खुशबू लिए ...
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंई..कूल में
कौन आया माट्साब?
या यह तब की बात है
जब आप
नहीं थे माट्साब!
...ई सदाबहार है अउर हमरे संग है :-)
हटाएंलेने कल गये थे। कविता पांच दिन पहले ठेल दी। प्रायोजित कविता कहलायेगी ये तो।
जवाब देंहटाएं