ज़िन्दगी हमको कहाँ ले जाएगी,
मौत से पहले बता देगा कोई ?(1)
मौत से पहले बता देगा कोई ?(1)
आखिरी शब है नहीं हो पास तुम,
यह खबर तुमको सुनाएगा कोई ?(2)
हमने किए जो फैसले ,भारी पड़े
इस राज से परदा उठाएगा कोई ?(3)
चल चुकी तलवारबाजी इस शहर में,
अब अम्न का पैग़ाम लाएगा कोई ?(4)
महफ़िलें रोशन रहीं हैं अब
तलक,
बुझते दियों को रोशनी देगा
कोई ?(5)
जवाब देंहटाएंआखिरी शब है नहीं हो पास तुम,
यह खबर तुमको सुनाएगा कोई
bahut khoob .
आभार !
हटाएंबहुत सुंदर नज्म,,,बधाई
जवाब देंहटाएंresent post : तड़प,,,
शुक्रिया !
हटाएंबहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंखुबसूरत प्रस्तुति ।।
बहुत बढ़िया -
जवाब देंहटाएंखुबसूरत प्रस्तुति ।।
हम सहने को तैयार है,
जवाब देंहटाएंहम बहने को तैयार हैं।
हम कहने को तैयार हैं!
हटाएंयह सारे प्रश्न, जिसके उत्तर कोई न दे सका कोई..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
धन्यवाद !
हटाएंलाजवाब शेर ,मान गए!
जवाब देंहटाएं...हमें शेर मान गए...?:-)
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआभार !
हटाएंअच्छा कहा आपने
जवाब देंहटाएंहाथ लगे काँपने
ठंड बढ़्ती जा रही
तो आग लगे तापने
...और राम-राम जापने !
हटाएं
जवाब देंहटाएंकल 01/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आभार भाई !
हटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंलेकिन यह ग़ज़ल है क्या ? :)
...यह तो अली सा बताएँगे !
हटाएंये अली सा कौन हैँ ।
हटाएंवैसे बहुत अच्छी रचना
:)
जवाब देंहटाएं:-(
हटाएंआज नेशनल दुनिया में आपका एक लेख प्रकाशित हुआ है। बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएं@ज़िन्दगी हमको कहाँ ले जाएगी,
जवाब देंहटाएंमौत से पहले बता देगा कोई ?
- वाह!
...धन्यवाद !
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवीना जी,आपका आभार....समयाभाव के कारण कहीं आने-जाने में असमर्थ हूँ,कृपया क्षमा करेंगी !
हटाएंसमय का आभाव तो सभी के पास है संतोष जी...समय कम और काम ज्यादा...आभार व्यक्त करने के लिए समय निकाला...आपका आभार...
हटाएंप्रिय ब्लॉगर मित्र,
जवाब देंहटाएंहमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।
शुभकामनाओं सहित,
ITB टीम
पुनश्च:
1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।
2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।
[यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।
महफ़िलें रोशन रहीं हैं अब तलक,
जवाब देंहटाएंबुझते दियों को रोशनी देगा कोई ?(5)
सुंदर रचना ...शुभकामनायें ....!!
जिंदगी का सफर अंजाना ही रहता है .... इस रहस्य को जानना जरूरी भी नहीं ...
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील शेर हैं सभी ...
अनुपमा जी व दिगम्बर जी, आभार !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदिनांक 16 /12/2012 (रविवार)को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
....आभार भाई !
हटाएंहमने किए जो फैसले ,भारी पड़े
जवाब देंहटाएंइस राज से परदा उठाएगा कोई ?(3)
waah Bhai ji gajab kar diye ho ... :))
नम मौसम, भीगी जमीं ..
अम्न का पैगाम! ये बड़ी ऊंची शाइरी हो गयी।
जवाब देंहटाएं:-)
हटाएंचल चुकी तलवारबाजी इस शहर में,
जवाब देंहटाएंअब अम्न का पैग़ाम लाएगा कोई ?(4)
सबको अपनी-अपनी पड़ी ,कौन लायेगा !!
जी मैं यहाँ नयी-पुरानी-हलचल से आ गई :))
आभार विभा जी !,
हटाएंखूबसूरत रचना ....
जवाब देंहटाएंमहफ़िलें रोशन रहीं हैं अब तलक,
बुझते दियों को रोशनी देगा कोई
बहुत ही बढियां गजल है सर....
जवाब देंहटाएं:-)
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएं