हाथी चींटी से कहे,तू ना समझे मोहि ।
मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।
हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
पेट तुम्हारा है बड़ा,धरती घेरे खूब ।
परजीवी बन चर रहा,इसकी-उसकी दूब ।।
सावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।
मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।
हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
पेट तुम्हारा है बड़ा,धरती घेरे खूब ।
परजीवी बन चर रहा,इसकी-उसकी दूब ।।
सावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
जवाब देंहटाएंवंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
..वाह!
आपका आभार ...आपकी सलाह से 'छोटी-सी काया मेरी' को 'छोटी-सी काया मिली' कर दिया है !
हटाएंबहुत नीति परक दोहे
जवाब देंहटाएंवाह . पर चीटी हाथी को मार भी सक्ती है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंछोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
और एक हम हैं......इच्छाओं का अंत नहीं...
सादर
अनु
सहमत
जवाब देंहटाएंअपनी काया से डबल, दौड़ उठा कर बोझ ।
हाथी हारेगा बड़ा, चींटी जीते सोझ ।
चींटी जीते सोझ, खोज लेती झट दुश्मन ।
अंकुश करे गुलाम, बंधे हाथी झट बंधन ।
रहन सदा सचेत, चीटियाँ होती कटनी ।
चटनी जैसा चाट, दिखाएँ ताकत अपनी ।।
आभार...बहुत उम्दा !
हटाएंचींटी के सुर में हाथी से दोहे . :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
सबकी सबसे होड़ लगी है...पता नहीं कौन निकलेगा आगे...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।। बहुत बढ़िया
मगर हाथी तो दूब नहीं चरता ---
जवाब देंहटाएंइसकी उसकी चर रहा हरियाली भरपूर
बहुत बढ़िया!!
जवाब देंहटाएं23 अक्तूबर 2012
जवाब देंहटाएंचींटी और हाथी !
हाथी चींटी से कहे,तू ना समझे मोहि ।
मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।
हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
पेट तुम्हारा है बड़ा,धरती घेरे खूब ।
परजीवी बन चर रहा,इसकी-उसकी दूब ।।
सावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।
प्रस्तुतकर्ता संतोष त्रिवेदी
वाह दोस्त एक बोध कथा एक संदेशा लो प्रोफाइल ज़िन्द्गी का लिए हुए है आपकी पोस्ट .
ram ram bhai
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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012
गेस्ट पोस्ट ,गज़ल :आईने की मार भी क्या मार है
http://veerubhai1947.blogspot.com/
चींटी ही जीतेगी ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
केजरीवाल के बहाने अब चींटी पर सहानुभूति हो चली है .....बेचारा हाथी शरीर के चक्कर में चींटी की मौत मारा जाएगा ..... और ......नेताओं का पता नहीं ?
जवाब देंहटाएंचींटी हाथी दोनों के दुश्मन तो आदमी है। बेकार में वे दोनों अरझे हुये हैं। दोनों को विजयदशमी मुबारक हो।
जवाब देंहटाएंआभार !
जवाब देंहटाएंआभार प्रदीप जी !
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों का आभार एवं दशहरे की शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें
विजय दशमी की शुभ कामनाएं , सुन्दर सृजन को बधाईयाँ जी l
जवाब देंहटाएंसावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
जवाब देंहटाएंचींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।
अपने से छोटे को कमजोर कभी मत समझो,,,,
विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
जवाब देंहटाएंछोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
...वाह! सभी दोहे लाज़वाब और सार्थक...
चींटी का चॉंटा
जवाब देंहटाएंसावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
जवाब देंहटाएंचींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।bahut khoob...
जीवन के गहनतम भाव की शिक्षा देती ये रचना काफ़ी प्रभावशाली है।
जवाब देंहटाएंवाह क्या कमाल के दोहे हैं । बहुत सामयिक भी।
जवाब देंहटाएंदीवाली की अनेक शुभ कामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
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