हे प्रभु मुझको पार लगा दो,इस जीवन के सागर से |
मैं तो कब से आस लगाये बैठा हूँ,नट नागर से ||
तेरी ही महिमा से जग का
होता है सञ्चालन,
ऊँच-नीच का भेद भुलाकर
करते सबका पालन,
कर दो कृपा-दृष्टि ऐ भगवन !अभयस्वरुपी वर से |
हे प्रभु मुझको पार लगा दो ,इस जीवन के सागर से ||
सारे जग में खेल है तेरा
तू है कुशल मदारी,
खाली झोली भर दो मेरी
हे भोले-भंडारी,
मुक्ति दिला दो हे प्रलयंकर!इस शरीर-नश्वर से |
हे प्रभु मुझको पार लगा दो,इस जीवन के सागर से ||
रचनाकाल:०८/०९/१९९०,फतेहपुर
मैं तो कब से आस लगाये बैठा हूँ,नट नागर से ||
तेरी ही महिमा से जग का
होता है सञ्चालन,
ऊँच-नीच का भेद भुलाकर
करते सबका पालन,
कर दो कृपा-दृष्टि ऐ भगवन !अभयस्वरुपी वर से |
हे प्रभु मुझको पार लगा दो ,इस जीवन के सागर से ||
सारे जग में खेल है तेरा
तू है कुशल मदारी,
खाली झोली भर दो मेरी
हे भोले-भंडारी,
मुक्ति दिला दो हे प्रलयंकर!इस शरीर-नश्वर से |
हे प्रभु मुझको पार लगा दो,इस जीवन के सागर से ||
रचनाकाल:०८/०९/१९९०,फतेहपुर
अच्छी प्रार्थना पालनहार से
जवाब देंहटाएंत्रिवेदी जी के पीछे मैं भी हूँ प्रभु ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भक्तिमयी उद्बोधन।
जवाब देंहटाएंयूँ मुक्ति नहीं मिलती......
जवाब देंहटाएंसंसार खाली न हो जाएगा....
जिए जाइए.......
:-)
वैसे रचना सुन्दर है...
सादर
अनु
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,,संतोस जी,,
जवाब देंहटाएंपाप-पुण्य जो किये है अब-तक,जीवन का बैभव भोगा
जब-तक जीवन लिखा प्रभू ने,तब-तक तो जीना होगा,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
उम्दा अभिव्यक्ति के साथ सुंदर प्रार्थना |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट:- ओ कलम !!
भोले बाबा की सुंदर स्तुति
जवाब देंहटाएंस्तुति सुंदर है ...पर छुटकारा तो अपने समय पर ही मिलेगा ।
जवाब देंहटाएंसबकी यही प्रार्थना है.. देखें किसकी सुनते हैं प्रभो! :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक प्रार्थना .
जवाब देंहटाएं@Had hai chela ab tak paar n lag saka bholenath!
जवाब देंहटाएं@ हद तो है ही, वैराग्य तो 1990 में उत्पन्न हो चुका था। पता नहीं क्या बात हुई? कृपा करो हे कृपानिधान!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द संयोजन सुन्दर रचना |
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