हाथी चींटी से कहे,तू ना समझे मोहि ।
मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।
हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
पेट तुम्हारा है बड़ा,धरती घेरे खूब ।
परजीवी बन चर रहा,इसकी-उसकी दूब ।।
सावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।
मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।
चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।
वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।
मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।
हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।
छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।
छोटे-से आकाश में,खुशियाँ फैलें दून ।।
पेट तुम्हारा है बड़ा,धरती घेरे खूब ।
परजीवी बन चर रहा,इसकी-उसकी दूब ।।
सावधान लघु से रहो,सदा उठाये सूंड़ ।
चींटी मारेगी तुझे,तू अज्ञानी,मूढ़ ।।