१)
हर हाथ को काम,
हर हाथ है वोट ,
मोबाइल थमा के
लेंगे बटोर नोट,
लाइसेंसी लूट-खसोट !
२)
हमें हर खेल में
मात मिली है,
राजनीति और ओलम्पिक में
सत्ता ने चाल चली है,
आगे अंधी गली है !
३)
एक चाँद था
जो था फ़िदा
फिज़ा के अंदाज़ पर,
मावस की रात आई
चाँद छुप गया कहीं
फिज़ा बदहवास थी
चाँदनी-सी बिछ गई
पुरुष की बिसात पर !!
हर हाथ को काम,
हर हाथ है वोट ,
मोबाइल थमा के
लेंगे बटोर नोट,
लाइसेंसी लूट-खसोट !
२)
हमें हर खेल में
मात मिली है,
राजनीति और ओलम्पिक में
सत्ता ने चाल चली है,
आगे अंधी गली है !
३)
एक चाँद था
जो था फ़िदा
फिज़ा के अंदाज़ पर,
मावस की रात आई
चाँद छुप गया कहीं
फिज़ा बदहवास थी
चाँदनी-सी बिछ गई
पुरुष की बिसात पर !!
बहुत सुंदर !!!
जवाब देंहटाएंमोबाईल का करिये खेल
ओलंपिक में चलाईये रेल
चाँद करने लगा है देखिये
क्या क्या घालमेल !!!
सन्नाट...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंएक से बढाकर एक...सभी सटीक
जवाब देंहटाएंराजनीति के खेल में, चलते नित नई चाल
जवाब देंहटाएंबांटे फोन गरीब को, कमीशन में मिले माल,,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंराजनीति से लेकर खेल तक
जवाब देंहटाएंफिर खेल से लेकर प्रेम तक
पुनः प्रेम से लेकर नारी तक
आपका तत्व चिंतन भारी है !
जन्माष्टमी के पर्व पर आपने
नव विचारों को जन्म दिया
अब उन्हें हम पालेंगे पोसेंगे
बशर्ते कंस अनेकता में एक हो !
आपका तत्व चिंतन भारी है !
हटाएंचार चार नाव और एक ही सवारी है।
:)
हटाएंAti sundr,janmaashtami ki shubhkamnaye.
जवाब देंहटाएंओह ,
जवाब देंहटाएंबहुत जानदार छुट्टे -छुट्टे साड़ों पर ज्यादा सटीक ! छुटटो में अप्रतिम और अप्रतिहत गति है आपकी
चाँद छुप गया कहीं
जवाब देंहटाएंफिज़ा बदहवास थी
चाँदनी-सी बिछ गई
पुरुष की बिसात पर !!
वैसे भी मतलब तो चांदनी से ही था……
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएँ
गजब भाई जी ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
जय श्री कृष्ण ||
आज का रंग कुछ अलग सा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ !!!
कमाल की छुट्टई है।
जवाब देंहटाएं.......अब हो जाए छुटा छुटी और आये कुछ छुट्टा अट्ठहास!
जवाब देंहटाएंगुरूजी,आजकल थोक में अट्टहास कर रहा हूँ !
हटाएंसत्यता का सीधा कटाक्ष
जवाब देंहटाएं@ हर हाथ को काम,
जवाब देंहटाएंहर हाथ है वोट ,
मोबाइल थमा के
लेंगे बटोर नोट,
लाइसेंसी लूट-खसोट !
- अर्थपूर्ण!
छुटटा मे जब ये आनंद है, तो बंधे में क्या होगा।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाएं।
............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
सार्थक .. समाज पे कटाक्ष करते हुवे ...
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण रचना ...
सात-अश्व का रथ हांके---
जन्माष्टमी की बधाई ...
सभी छुट्टे अहसास बहुत तीखे हैं ,खासकर पहले वाला.
जवाब देंहटाएं