बहुत दिनों के बाद
सुनी मैंने दिल की आवाज़
एक बेचैनी सी कैसी
बज रहे अन्दर वाले साज !
बहुत दिनों के बाद
अघाकर सुना सुगम संगीत
लगा कोई है मेरा भी
इक प्यारा-सा मनमीत !
बहुत दिनों के बाद
डर रहा मैं सपनों से
विश्वास नहीं होता
दूर होता हूँ अपनों से !
बहुत दिनों के बाद
मिले हैं जीवन के कुछ अर्थ
जी रहा था जो अब तक
क्या गवाँ दिया यूँ व्यर्थ ?
बहुत दिनों के बाद
लगा अब भी है कुछ शेष
मेरे आगामी जीवन में
आयेंगे प्यारे सन्देश !
विशेष: बाबा नागार्जुन से माफ़ी सहित ! उनकी कविता,'बहुत दिनों के बाद ' से प्रेरित !
सुनी मैंने दिल की आवाज़
एक बेचैनी सी कैसी
बज रहे अन्दर वाले साज !
बहुत दिनों के बाद
अघाकर सुना सुगम संगीत
लगा कोई है मेरा भी
इक प्यारा-सा मनमीत !
बहुत दिनों के बाद
डर रहा मैं सपनों से
विश्वास नहीं होता
दूर होता हूँ अपनों से !
मिले हैं जीवन के कुछ अर्थ
जी रहा था जो अब तक
क्या गवाँ दिया यूँ व्यर्थ ?
बहुत दिनों के बाद
लगा अब भी है कुछ शेष
मेरे आगामी जीवन में
आयेंगे प्यारे सन्देश !
विशेष: बाबा नागार्जुन से माफ़ी सहित ! उनकी कविता,'बहुत दिनों के बाद ' से प्रेरित !
आपकी कवितायें बहुत प्रभावित कर रही हैं, निश्चय ही प्यारे संदेश आने शेष हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद पाई इस निधि को सजोये रहें, ताकि हरदिन साजो-संगीत में बितायें!!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद हम भी आ पाए आपके दरबार में !
जवाब देंहटाएं:-)
जिंदगी में बहुत दिनों बाद का भी अपना एक अच्छा खासा हिस्सा होता है!.......नहीं ???
रोज क्यों नहीं?
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से नहीं सूनी है आवाज
जवाब देंहटाएंबाबा रामदेव पर जब से गिरी गाज
.......हा हा हा
पर आपकी आवाज अच्छी है और आपने भी सुनी और मैंने भी पढ़ी . मजा आया.
एक बहुत अच्छी कविता पढ़वाने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंकवितायें बहुत प्रभावित कर रही हैं। बढ़िया लिखा है। बहुत दिनों बाद हम भी आ पाए आपके दरबार में !
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद
लगा अब भी है कुछ शेष
एक सोद्देश्य और सकारात्मक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिये अभार !
लगता है, अभी थैली का मुँह ही खुला है... पूरी थैली तो अभी पलटी ही नहीं !
सुंदर रचना लिखी है आपने
जवाब देंहटाएंआप काफी अच्छा लिखते हैं....सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद
जवाब देंहटाएंलगा अब भी है कुछ शेष
मेरे आगामी जीवन में
आयेंगे प्यारे सन्देश !
सुखद और प्यारे संदेश आते रहें।
शुभकामनाएं।
इसी लिए कहते है समय के साथ - साथ उचित ! फिर बहुत दिनों के बाद क्यों ? अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रेरित होकर भी मौलिकता बरकरार है।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ...क्यो जी । इत्ते दिनों की एबसैंटी ठीक नय है ..फ़र्लो मारते हैं क्या हो । बहुत ही कमाल रचा है आपने , प्रेरणा सही ली है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद
जवाब देंहटाएंमिले हैं जीवन के कुछ अर्थ
जी रहा था जो अब तक
क्या गवाँ दिया यूँ व्यर्थ ?
jeevan abhi aage bhi hai...
kuchh yaaden purani kuchh nai bantee chalee jayegi.....
khubsoorat rachna.......
बहुत बढ़िया गीत है, सर जी. निवेदन है कि इसी प्रकार छंदबद्ध कविताएं पोस्ट करें.
जवाब देंहटाएंजल्द ही मेरा 'भरम' टूट भी गया...उस नाते यह शेर,
जवाब देंहटाएंवो आए एक खुशनुमा झोंके की तरह ,
गए तो आँधियों की तरह,उजाड़कर मुझे
बाबा नागार्जुन से माफी काहे मांगते हैं, सर जी. आपकी यह कविता पढ़कर उन्हें भी बहुत ख़ुशी होती.
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद
जवाब देंहटाएंअघाकर सुना सुगम संगीत
लगा कोई है मेरा भी
इक प्यारा-सा मनमीत !
आपकी रचना में बसी सरलता पसंद आई ! हार्दिक शुभकामनायें !!
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com