हम सभी देशवासियों को साफ़ सन्देश देना चाहते हैं.पहले भी कई मौकों पर अपनी प्रतिबद्धता हम जता चुके हैं और आज फिर दोहरा रहे हैं कि इस देश में हम जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा ! इन टुटपुंजिया अनशनों और ग्लैमरस-आंदोलनों से कुछ भी नहीं होने वाला है.हमने घाघ नेताओं,मठाधीशों को निपटा दिया तो आजकल के बाबा और महात्मा किस खेत की मूली हैं ? इसलिए 'जनलोक पाल' को हम अपने तरीके से, अपनी चाकरी में पालेंगे न कि अपने घोड़े की लगाम किसी और के हाथ में दे देंगे !
साभार:गूगल सरकार |
पिछले कुछ दिनों से देश भर में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है.लोग कहते हैं कि मंहगाई बढ़ रही है पर रिकॉर्ड बोलते हैं कि लोग भूख से बिलकुल नहीं मर रहे हैं,बल्कि वे तो 'अनशन' से शौकिया ही मरने पर उतारू हैं !ये लोग वास्तव में ढोंगी हैं,जिनको मरना होता है वह चुपचाप 'सरक' लेता है,निगमानंद की तरह ! यूँ ढोल-नगाड़े बजाकर मजमा नहीं इकठ्ठा करता है.
देश के लोगों ने देखा है कि योग-गुरु की बत्ती हमने कैसे बुझाई है? पहले तो उसको भाव दिखाकर अपने पक्ष में बयान दिलवा दिया कि प्रधानमंत्री और मुख्य-न्यायाधीश को लोकपाल के फंदे से बाहर रखा जाये बाद में जब वह हमसे सौदा न करके संघ की शरण में जाने लगा तो ऐसा दौड़ाया कि इस ज़िन्दगी में दोबारा दिल्ली में अनशन करने की नहीं सोचेगा .अब अन्ना नाम के महात्मा को भी सबक सिखाने की ज़रुरत है.उत्तर-भारत में अन्ना का मतलब 'छुट्टा-जानवर' से होता है ,पर हम उसको इतना छुट्टा नहीं होने देंगे कि वह बेकाबू हो जाये!हम दूसरों को अपने खूंटे में बाँधते हैं,न कि उसके खूंटे से बंधते हैं !इसमें अपनी जात-बिरादरी,माफिया,कार्पोरेट घराने या बड़ी मछलियाँ अपवाद हैं !
कितनी बेतुकी मांगे इस 'नागरिक-समाज' की तरफ से उठाई जा रही हैं? भला किसी देश के प्रधानमंत्री पर कोई उँगली उठाई जा सकती है!आखिर अपने देश की इज्ज़त का सवाल है.यह इस बात से भी प्रमाणित होता है की कोई भी विपक्षी दल इस माँग का समर्थन नहीं कर रहा है.इन दलों ने बाबा की सेवा के बाद राजघाट में नाच-गाना प्रस्तुत किया ,पर महात्मा की इस माँग पर चुप्पी साध ली हैं.यह हमारे प्रजातंत्र की एकता और असलियत है.
अब हम किसी से डरनेवाले नहीं हैं और ये निश्चित कर लिया है कि इस देश में कानून किसी को हाथ में नहीं लेने देंगे,वह साठ सालों से सुरक्षित हाथ में है.इन अनशनकारियों को ऐसा सबक सिखा देंगे कि ज़िन्दगी-भर अनशन के नाम से तौबा करेंगे !हम कोई भी कानून संसद में अपने लोगों के बीच आम-सहमति से बनाने की प्रक्रिया का पालन करेंगे,न कि किसी तम्बू या सड़क पर संविधान को बेपर्दा करेंगे !हम ऐसे मामलों पर त्वरित कारवाई करेंगे भले ही कसाब और अफजल को कोई छुडा ले जाए !
उम्मीद है कि हमारी नसीहत को फरमान माना जायेगा,हमारे सभी हथियार पुलिस,नौकरशाही और माफिया भ्रष्टाचार और काले धन से सज्जित होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ववत करते रहेंगे ! हम गाँधी के सपनों का भारत बनाकर दिखायेंगे ,इस काम में सरकार का हाथ आपके साथ है !
जउन हुकुम, हाकिम !
जवाब देंहटाएं( काश कि सरकार में बैठे बेशर्म इस तरह की फ़ब्तियों से डरते होते । )
नाटक चालू आहे!:)
जवाब देंहटाएंनिष्कर्ष सुखद हों।
जवाब देंहटाएंsateek vyangya.
जवाब देंहटाएंराजनीतिज्ञों की कुटिलता अब अति निंदनीय रूप ले रही है।
जवाब देंहटाएंइसके पीछे जनता की छड़ी है ! वह भी जादुई !
जवाब देंहटाएंहल हुए हैं मसअले शबनम मिजाजी से मगर ,
जवाब देंहटाएंगुत्थियाँ ऐसी भी हैं जिनको कि सुलझाती है आग|
....ये बला जिसे अभी साकार कहा जा रहा है ऐसा पाथर है जिस पर ...चोखो तीर नसाय | यहाँ तो घन की जरूरत है..
एक दम सटीक व्यंग्य,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सही लिखा है आपने। सब महानाटक ही चल रहा है। चलता आया है। चलता भी रहेगा, इसी की आस लगाये ऊपर मजा मारने वाले बैठे हैं, उनकी सोच प्रक्रिया को रखती हुई पोस्ट ! आभार..!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही-सही और खरी-खरी लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
बहुते सटा के मारे हैं एकदम ...। आज अईसने चट्टाके की जरूरत है इन ससुरों को चाहे हाथ से लगे आ कि डायरेक्टली जूता से ..लेकिन लगते रहना चाहिए । धांसू फ़ांसू लिखे हैं
जवाब देंहटाएंएक दम सटीक व्यंग्य,
जवाब देंहटाएंराज की बात बताऊँ यह नेता मोटी चमड़ी के है | जरा और कस के
बिल्कुल सही कहा है आपने! सटीक व्यंग्य! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अरे ओए सरकारी प्रेस नोट !
जवाब देंहटाएंतुझे सरकारी प्रेस नोट की हसियत पता नहीं है का रे .........ले गोलिया के मैंने फेंक दिया जमीन में .......|
(बढ़िया!!!)
इतनी तीखी धार। रहना सरकार वाले होशियार।
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