भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बज चुका है,देशव्यापी अभियान चल रहा है,राम लीला मैदान में देश के हर कोने से लोग इकठ्ठा हुए हैं,लगभग हर चैनल-वाला पूरी तरह से लहालोट है! इन सबका आखिरी निशाना लाल किला ही है ! लगता है देश में भ्रष्टाचार कहीं हैं भी ? इतने सारे लोग अगर इसके खिलाफ हैं तो हर कार्यालय,हर जगह ये कौन-से लोग हैं जो भ्रष्टाचारी हैं ?
सब अपने से बड़े भ्रष्टाचारी पर वार कर रहे हैं.न तो बाबा,न उनके चेले और न ही मीडिया इस मामले में पूरी तरह पाक-साफ है .मीडिया अपनी कमाई किस तरह से आज कर रहा है,सबको पता है !आन्दोलन को कवर करने के लिए 'स्लॉट' बिक चुके हैं ,खूब स्पॉन्सर भी मिल गये हैं !
बहुत 'खुशी' का माहौल बनाया जा रहा है,ढोल-नगाड़े बजाकर इस आन्दोलन को 'अभिजात्य-टच ' दिया जा रहा है .धरना-स्थल एक 'सेलेब्रिटी' बन गया है . यदि महात्मा गाँधी होते तो आज अपने इस हथियार पर उन्हें पुनर्विचार करने की ज़रूरत महसूस होती !
जिस प्रकार राम-मंदिर का मुद्दा ठीक था,पर उसके पीछे लोगों का उद्देश्य गलत, ठीक उसी प्रकार भ्रष्टाचार का मुद्दा ठीक है, पर इसके पीछे जुटे कुछ लोगों के उद्देश्य बिलकुल अलग हैं.लोगों के लिए केन्द्र का भ्रष्टाचार और कर्नाटक-जैसे राज्यों के भ्रष्टाचार अलग-अलग है !
स्वयं ईमानदार बनने से रोकने को किसने कहा है,पर इस बारे में उपदेश तो खूब मिल रहे हैं पर अमल करनेवाले बिरले ही हैं ! इसीलिए आज ईमानदारों का टोटा है.जो एक-आध होते हैं उनको भी सरकारें सुरक्षा नहीं दे पातीं !आज जो सरकार के अंग नहीं हैं वे कल थे और कल होंगे पर उनकी प्राथमिकताएं बदल जाएँगी !
मेरी शुभकामनाएं इस मुद्दे के साथ हैं ,पर यहाँ सारी कवायद काले-धन को सफ़ेद धन में बदलने की हो रही है !
आपने सही कहा, जगह, दिल्ली व बैंगलोर, के अनुसार भ्रष्टाचार भी बदल जाता है,
जवाब देंहटाएंजब फल पक जाता है तो स्वतः टपक जाता है, भ्रष्टाचार भी टपकना चाहिये।
जवाब देंहटाएंsamay ke saath ....vichaar bhi to badal jaate hain .............hai naa ?
जवाब देंहटाएंjaraa mahaaraaj apnee anna live riport ko dekhiye to .....
....kahin salman aur shahrukh ki tarah aapou kaa swiss bank me khata to nahin ??
:)
@प्रवीण त्रिवेदी सही कहा महाराज,समय के साथ और जगह बदलने के साथ विचार बदल जाते हैं यह आपको दिल्ली और कर्नाटक के सन्दर्भ में नय दिख रहा.रही बात अन्ना के आन्दोलन को मेरे सहयोग की तो मैं अब भी उसी बात पर कायम हूँ क्योंकि एक महात्मा और बाबा के तौर-तरीके अलग हैं. मुद्दे को मेरा समर्थन भरपूर है,हालाँकि मैं कोई सेलेब्रिटी नहीं हूँ,पर मेरा विरोध इस बात पर है कि इसे जनांदोलन नहीं कहा जा सकता.
जवाब देंहटाएंबाबा के राजनैतिक उद्देश्य से आप अनजान हो सकते हैं पर ऐसा है नहीं !
'राम-मंदिर' के शुरू में जो मैंने समझा था,भाई लोगों ने वैसा ही किया ! इस मामले में भी देख लेना !
इस 'हाई-फाई'उपक्रम को सत्याग्रह कहना कहाँ तक उचित है ?
भैये !
जवाब देंहटाएंआपकी पूरी टीप का सार केवल इस आधार पर टिका है .....कि यह रामदेव की बीजेपी से नजदीकी है ....ज़रा इस आधार को हटा दीजिए ....सारे तर्क भरभरा कर गिर जायेगे|
मुद्दों पर समर्थन तो है ......पर मन का क्या करें .....रायबरेली का लिंक जाते जाते नहीं ही जाएगा ???
:)
अगर यह हाई फाई उपक्रम कोई जमीनी परिवर्तन ला सका तो ....मुझे सारे आरोप - प्रत्यारोप भी स्वीकार्य हैं |
कांग्रेसी सपूतों की जन्दीन छठी बरहों जैसे वार्षिक संस्कारों पर आयोजित हाई-फाई उपक्रमों पर भी कभी कभी निगाह फेरा करिये ...महाराज !
*जन्दीन= जन्मदिन
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण त्रिवेदी रायबरेली का लिंक है तभी साफ़ सोच है.किसी के पीछे अंधभक्ति नहीं है. जो गलत करेगा फिर वह कितना भी आदर्श व्यक्तित्व हो,ढह जायेगा !
जवाब देंहटाएंआपकी तरह मैं भी आशावान हूँ!
इस लिंक ने ही तो देश का कबाडा कर रखा है .....हर आदमी लिंक ढूंढ रहा है .......आपको मिल गया है तो और बात है|
जवाब देंहटाएं:)
बाबा कहिन कि.. मेरे नाम बैंक में एक रुपिया, सकल दुनिया में एक इँच ज़मीन नहीं है !
जवाब देंहटाएंबाबा ज़ेट पर उड़ते हैं, बाबा एयर-कँडीशन्ड आश्रम में रहते हैं, बाबा मँहगी गाड़ियों पर चलते हैं, बाब का पतँजलि दवा कम्पनी पर एकाधिकार है, बा्बा को चन्दे की चेकें मिलती रहती हैं, बाबा एक पाव बादाम रोज खाते हैं..... फिर भी, बाबा कहते हैं उनका या उनके नाम कुछ भी नहीं है... क्या बाबा उधार की ज़िन्दगी जी रहे हैं । आज भी बाबा 5 सितारा शामियाने में अनशन पर बैठ देश को अन्ट-शँट बयान दे रहे हैं । धन्य हैं, ऎसे सत्याचारी त्यागी, निर्लोभी बाबा !
सँतोष जी मैं आपकी पोस्ट की एक एक लाइन से सहमत हूँ ... इस देश में छाये मास-हिस्टीरिया का कोई इलाज़ नहीं है ।
अब यह जनक्रांति में तबदील होने का वक़्त आ गया है।
जवाब देंहटाएंवाह जी, आप की मति मारी है क्या? ‘बाबा’ पर सवाल उठा रहे हैं, जिसके त्याग की कहानी ऊपर वाले कमेंट में अमर कुमार जी कहि चुके हैं।
जवाब देंहटाएंदो-चार दिन में सब किलियरै होइ जायेगा।
प्रवीण जी से कहना चाहूँगा कि आशावादी होना अच्छा है लेकिन उम्मीदे-बाबा के पहाड़ पर इतने ऊँचे न चढ़ें कि बाद में अफसोस करना पड़े।
हाँ, इन स्भी काण्डों से भ्रष्टाचार एक मुद्दा है, बड़ा मुद्दा है, इसको लेकर बड़ी बहस जरूर जन्म ले रही है, या आगे लेगी , नहीं तो हम भ्रष्टाचारी घोटालों के एक एक धमाके आराम से पचा पाने के अभ्यस्त होते रहे हैं। फिलहाल इन आयोजनों की इससे अधिक सार्थकता देख पाने में असमर्थ हूँ!
@ डॉ.अमर कुमार बाबा की हवाई तैयारी आखिरकार राजनीति की भेंट चढ़ गई.राजनीति का इस्तेमाल नफा और नुकसान दोनों देता है !
जवाब देंहटाएं@भाई अमरेन्द्र दो-चार दिन नहीं किलियर होने में कुछ ही घंटे लगे पर जिस तरीके से इस मामले से निपटा गया वो बेहद अराजक और अनैतिक था !
हाँ ,एक अच्छे-खासे मुद्दे को राजनीति ने लील लिया !
अब कहने का नहीं बल्कि कुछ करने का वक़्त है ...देश हित को जिस भी तरह से साधा जा सकता है उसे साधना चाहिए ..उसके लिए कोई ख़ास व्यक्ति नहीं चाहिए ...!
जवाब देंहटाएंजी हां हरिद्वार से पूरे देश की यात्रा पैदल या बैलगाड़ी से एक दो जन्म में हो सकती है.
जवाब देंहटाएंहे भ्रष्ट तुम भी तो हम ही हो, चरणबद्ध ढंग से भ्रष्टाचार मिटाओ.
सदियों से सत्य , झूठ के आगे ..लाचार रहा है वही आज भी हो रहा है !
जवाब देंहटाएंlet's hope for the best.
जवाब देंहटाएंI am prepared for the worst.