गरम हवा अगिया रही,बरस रहे अंगार !
चैत महीना हाल यह,आगे हाहाकार !!(१)
सूरज हमसे दूर हो,चंदा आए पास !
पंछी पानी ढूँढते,नहीं बुझाती प्यास !!(२)
पकी फसल को चूमता,हँसिया लिए किसान !
माथे पर चिंता लदी,बिटिया हुई जवान !!(३)
सोना गिरे बजार में,हरिया मुख-मुस्कान !
गेहूँ सोना ही लगे ,जब आए खलिहान !!(४)
गोरी पनघट पे खड़ी,पानी बिन हैं कूप !
बालम प्यासे खेत में,संग खड़ी है धूप !!(५)
जर्बदस्त। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएं2 को छोड़कर शेष सभी जोरदार लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया दोहे.....
जवाब देंहटाएंबालम के साथ खडी धूप देख गोरी जल गयी होगी......
:-)
सादर
अनु
सही पकड़ा है :)
हटाएंशीतलता मिली
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गर्मी के दोहे ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
किसान के लिए उसकी फसल ही सोना है , यह दोहा बहुत भाया !
जवाब देंहटाएंअच्छे दोहे हैं , मगर अभी अंगार बरसने जैसी गर्मी पड़ी ही कहाँ है।
प्यारे दोहे.
जवाब देंहटाएंजय हो महाराज !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ||
आेहे आेहे दोहे
जवाब देंहटाएंताप,तरस,संताप,आश और विवश.
जवाब देंहटाएंशानदार दोहे
आपके दोहे शीतलता दे गये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त.
जवाब देंहटाएंरामराम.
गर्मागर्म सुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंगर्मी तो इतनी भई, हमसे सही न जाय ।
जवाब देंहटाएंदोहा भी न पढ़ सकें, देखो पिघला जाय ।।
अच्छे दोहे।:)
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