वे बड़ी बेसब्री से किसी गंभीर खबर की प्रतीक्षा में थे. हर जगह टटोल और टोह रहे थे,पर कुछ ऐसा जो उन्हें चाहिए था,दृष्टिगोचर नहीं हो रहा था. इस बहु-प्रतीक्षित मौके को वे अपने हाथ से यूँ ही जाया नहीं होने देना चाहते थे इसलिए वे अपनी ही फैक्ट्री की बनी लंबी टॉर्च लेकर हर अखबार ,उसके हर कॉलम और खबर पर उन्होंने दनादन्न बत्ती देना शुरू किया.कहीं किसी कोने में उन्हें अटका,मटका या खटका हुआ चेहरा नज़र आ जाये तो उनका जनम सुफल हो जाता पर धत तेरे की,अखबार वाले भी नालायक निकले.उन्होंने पहले से ही वैज्ञानिक-प्रतिभासंपन्न और खिलखिलाते चेहरों को और गेट-अप दे दिया था.उनकी ख्वाहिश दम तोड़ती नज़र आई तो उन्होंने अपनी पुरानी खुरपेंची टॉर्च की लाइट सोशल-साइट पर भी मारी,पर वहाँ भी कई नासपीटे उन्हें अपने-अपने सम्मान का ढोल पीटते, ज़श्न मनाते नज़र आए.बस ,यहीं से उनका हाजमा खराब हो गया और तबीयत बिगड़ने लगी.
वे थोड़ी देर तक बरामदे में टहलते रहे,कभी अंदर,कभी बाहर घूमें भी पर दिल में बड़ा-सा पत्थर गड़ रहा था इसलिए ज़्यादा देर और दूर तक नहीं जा पाए .आखिर इसी दिन के इंतज़ार में उन्होंने सालों-साल कलम घिसने में नहीं लगाये थे.पहले ही जब उस नामुराद परिकल्पना की कल्पना और रूपरेखा का सृजन हो रहा था,तभी उसकी भ्रूण-हत्या करने की उन्होंने अपनी तरफ से जमकर कोशिश की थी,पर कुछ बलिष्ठ,वरिष्ठ और जमे-जमाए महंतों की वज़ह से उनकी इस महत्वकांक्षी योजना को पलीता लग गया था,पर वे ठहरे चिरकालीय विघ्न-संतोषी,अपने अंतिम अस्त्र चिरकुटई को बाहर निकाला,थोड़ा रगड़ा और की-बोर्ड पर गिटिर-पिटिर करने में जुट गए.वे अपना ज़हर बाहर करने पर उतारू हो चुके थे.
उनके कम्प्यूटर के टंकण-स्थल अचानक लहलहा उठे.मानों बरसों पुरानी प्यास पूरी हो रही हो.वे बार-बार बीच में अपने मुस्तैद संवाददाताओं को फोनिया भी रहे थे.उन्हें लग रहा था कि ज़रूर कहीं से भीषण आगजनी और गोलाबारी की खबर देर-सबेर आएगी.एक समर्पित कार्यकर्त्ता ने किसी रिमोट-स्थान से एक खबर का फैक्स उन्हें भेजा जिसमें लम्पटों की बढ़ती तादाद पर चिंता जताई गई थी.वैसे तो यह खबर उनके लिए सुकून देने वाली होती पर वे सुदूर की सोचने लगे.अगर ऐसा ही चलता रहा तो फ़िर उनकी सर्वमान्यता पर भी खतरा पैदा हो जायेगा.वे बीच में कवितायेँ बांचने लगे.इससे उनको अपने सरोकार को थुनाही (छप्पर साधने वाला जुगाड़ )मिल जाती है.
उन्होंने अपनी टॉर्च को आखिरी बार सूरज की ओर लपकाया,चमकाया और अपनी समझ से उसकी रोशनी को चुनौती दे दी थी.अब तक उनके दिल का दर्द और पेट के मरोड़ में आराम आ चुका था.उनकी अपने गिरोह के दो-तीन सक्रिय कार्यकर्ताओं से अग्रिम शाबाशी मिल चुकी थी और अब तक वह अगिया-बैताली लेख भी तैयार हो चुका था,जिससे वे कई खुशफहम चेहरों पर कालिख पोतने वाले थे .उनका की-बोर्ड उन्हें बार-बार गदगद-भरी नज़रों से निहार रहा था.आखिर उन्हें भी कहीं से इतनी प्यारी नज़र मिल ही गई थी .
वे थोड़ी देर तक बरामदे में टहलते रहे,कभी अंदर,कभी बाहर घूमें भी पर दिल में बड़ा-सा पत्थर गड़ रहा था इसलिए ज़्यादा देर और दूर तक नहीं जा पाए .आखिर इसी दिन के इंतज़ार में उन्होंने सालों-साल कलम घिसने में नहीं लगाये थे.पहले ही जब उस नामुराद परिकल्पना की कल्पना और रूपरेखा का सृजन हो रहा था,तभी उसकी भ्रूण-हत्या करने की उन्होंने अपनी तरफ से जमकर कोशिश की थी,पर कुछ बलिष्ठ,वरिष्ठ और जमे-जमाए महंतों की वज़ह से उनकी इस महत्वकांक्षी योजना को पलीता लग गया था,पर वे ठहरे चिरकालीय विघ्न-संतोषी,अपने अंतिम अस्त्र चिरकुटई को बाहर निकाला,थोड़ा रगड़ा और की-बोर्ड पर गिटिर-पिटिर करने में जुट गए.वे अपना ज़हर बाहर करने पर उतारू हो चुके थे.
उनके कम्प्यूटर के टंकण-स्थल अचानक लहलहा उठे.मानों बरसों पुरानी प्यास पूरी हो रही हो.वे बार-बार बीच में अपने मुस्तैद संवाददाताओं को फोनिया भी रहे थे.उन्हें लग रहा था कि ज़रूर कहीं से भीषण आगजनी और गोलाबारी की खबर देर-सबेर आएगी.एक समर्पित कार्यकर्त्ता ने किसी रिमोट-स्थान से एक खबर का फैक्स उन्हें भेजा जिसमें लम्पटों की बढ़ती तादाद पर चिंता जताई गई थी.वैसे तो यह खबर उनके लिए सुकून देने वाली होती पर वे सुदूर की सोचने लगे.अगर ऐसा ही चलता रहा तो फ़िर उनकी सर्वमान्यता पर भी खतरा पैदा हो जायेगा.वे बीच में कवितायेँ बांचने लगे.इससे उनको अपने सरोकार को थुनाही (छप्पर साधने वाला जुगाड़ )मिल जाती है.
उन्होंने अपनी टॉर्च को आखिरी बार सूरज की ओर लपकाया,चमकाया और अपनी समझ से उसकी रोशनी को चुनौती दे दी थी.अब तक उनके दिल का दर्द और पेट के मरोड़ में आराम आ चुका था.उनकी अपने गिरोह के दो-तीन सक्रिय कार्यकर्ताओं से अग्रिम शाबाशी मिल चुकी थी और अब तक वह अगिया-बैताली लेख भी तैयार हो चुका था,जिससे वे कई खुशफहम चेहरों पर कालिख पोतने वाले थे .उनका की-बोर्ड उन्हें बार-बार गदगद-भरी नज़रों से निहार रहा था.आखिर उन्हें भी कहीं से इतनी प्यारी नज़र मिल ही गई थी .