सुर में हो,हर साज में,दर्द में शामिल हो तुम ||
हर ख़ुशी तुमसे मिली,गम को हमने कम किया,
हर भटकती नाव के ,बन गए साहिल हो तुम ||
सरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
दुखते हुए हर ज़ख्म में, तुमने मला मरहम,
सब चला जाये मगर,बस मेरा हासिल हो तुम ||
जब भी गुम हो जाऊँगा,दुनिया की भीड़ में,
ग़ज़लें तुम्हारी ढूँढ लेंगी,मुझमें ही शामिल हो तुम ||
आपका पाकिस्तान रेडियो को दिया गया एक लंबा साक्षात्कार (१९७०)
सरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
दुखते हुए हर ज़ख्म में, तुमने मला मरहम,
सब चला जाये मगर,बस मेरा हासिल हो तुम ||
जब भी गुम हो जाऊँगा,दुनिया की भीड़ में,
ग़ज़लें तुम्हारी ढूँढ लेंगी,मुझमें ही शामिल हो तुम ||
आपका पाकिस्तान रेडियो को दिया गया एक लंबा साक्षात्कार (१९७०)
बड़ी दूर से आये हैं-
जवाब देंहटाएंदूर की कौड़ी लाये हैं -
सादर नमन फिर से-
क्या गजल गाये हैं |
आभार भाई ||
बहुत खूबसूरत पोस्ट....
जवाब देंहटाएंसरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
सुन्दर शेर.....
शुक्रिया
ok
जवाब देंहटाएंहर ख़ुशी तुमसे मिली,गम को हमने कम किया,
जवाब देंहटाएंहर भटकती नाव के ,बन गए साहिल हो तुम ||
बहुत सुंदर भावभीनी श्रद्धांजली ....!!उस महानात्मा को नमन ...
मौसीक़ी को नमन ....
Waaah... Kya khubsurat gazal hai...
जवाब देंहटाएंसरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जवाब देंहटाएंजी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम,
वाह ,,,, बहुत खुबशुरत गजल ,संतोष जी
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
संतोष जी,
जवाब देंहटाएं... आज तो आपने मुशायरा लूट लिया , मंच फाड़ दिया , कमाल कर दिया , धमाल कर दिया , फन्ने खां बने कवियों का जीना मुहाल कर दिया !
शम्म-ए-महफ़िल आपके पास रौशन हुई और फिर वहीं उजाले बिखेरती रही शब भर :)
मुझे भी यही लगता है गुरु....
हटाएंसरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जवाब देंहटाएंजी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
bilakul
बड़ी ही हृदयस्पर्शी श्रद्धांजलि दी है आपने..
जवाब देंहटाएंशब्दों की श्रद्धांजली - बहुत गहरी है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ग़ज़ल.....
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जवाब देंहटाएंजी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
जी हाँ.... विनम्र नमन
सादर नमन...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गजल पेश की है ...
जवाब देंहटाएंसरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जवाब देंहटाएंजी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ... सही है!
अभी नेट-कनेक्सन बहुत स्लो है, बाद में बतकही सुनूंगा, आभार जानकारी में लाने के लिए!
मेहदी हसन की गाई गजलों ने ने सुन्दर ग़ज़ल लिखवा दी आपसे ...
जवाब देंहटाएंवाह, यह हुयी शहंशाह की सच्ची श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमेंहदी साहब की बातचीत सुनकर अच्छा लगा।
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बेहतरीन रचना
केरा तबहिं न चेतिआ, जब ढिंग लागी बेर
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ संडे सन्नाट, खबरें झन्नाट♥
♥ शुभकामनाएं ♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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सुने-सुनाए जाने कितने, दिल तक पहुंचे चंद ही
जवाब देंहटाएंबात उट्ठी जब ग़ज़ल की,याद आए तुम ही तुम
मेहँदी साहब की मखमली आवाज़ का जादू जितना गज़लों में है उतना ही सुनने में हैं ...
जवाब देंहटाएंmehndi sahab ki yaad achchi lagi...
जवाब देंहटाएंजब भी गुम हो जाऊँगा,दुनिया की भीड़ में,
जवाब देंहटाएंग़ज़लें तुम्हारी ढूँढ लेंगी,मुझमें ही शामिल हो तुम ||
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार
सुर में हो,हर साज में,दर्द में शामिल हो तुम ||
जवाब देंहटाएं:):):)
pranam.
जब भी गुम हो जाऊँगा,दुनिया की भीड़ में,
जवाब देंहटाएंग़ज़लें तुम्हारी ढूँढ लेंगी,मुझमें ही शामिल हो तुम ....waah bahut khoob....
सरहदी दीवार तोड़ी,नफरतों को कम किया,
जवाब देंहटाएंजी उठी हर गज़ल,प्यार के काबिल हो तुम ||
...बहुत खूब! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
खूबसूरत गजल पेश की है ..आपने संतोष जी
जवाब देंहटाएंमेरे गीत के विमोचन में आपसे मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई