हम सब उनको ताक रहे हैं
हमरी ख़ातिर का लाए हैं ?
पर ऊ तो निकले बड़े शिकारी
आए करने हमको ख़ाली,
हमको तो झुनझुना दे दिया
सरका दी पड़ोस में थाली !
ओबामा जी आए हैं,ओबामा जी आए हैं !
उनके स्वागत में तो हमने
सारी 'लाल-दरी' बिछवा दी,
ख़ुद कर ली अपनी बर्बादी !
कब तक मुँह ताकेंगे उनका
स्वाभिमान कब सीखेंगे ?
घिसट-घिसट कर चलना छोड़ें
तभी विश्व के साथ बढ़ेंगे !ओबामा जी आए हैं,ओबामा जी आए हैं !
कब तक मुँह ताकेंगे उनका स्वाभिमान कब सीखेंगे ?
जवाब देंहटाएंजवाब कौन देगा ?
जवाब तो हमें ही देना है पर हमारे प्रतिनिधि समझें तब ना !
जवाब देंहटाएंबचपन में सुना था,
जवाब देंहटाएंतुम क्या जानों राजनीति की, घातें और प्रतिघातें।
@ प्रवीण पाण्डेय बचपन से लेकर आज तक कुछ भी तो नहीं बदला है राजनीतिक परिवेश में !
जवाब देंहटाएंहमारी प्राथमिकतायें बदल रही हैं,यही चिंतनीय है.