बहुत कठिन समय है साहब,
पता नहीं कब,कौन पत्रकार तरुण
और ईमानदार केजरीवाल हो जाए,
सब कुछ दांव पर है,
पता नहीं कब कोई संत आसाराम
और राजनीति साहब हो जाए !
बहुत कठिन समय है साहब,
पता नहीं
कब कोई सामाजिक योद्धा
कार्पोरेट पत्रिका का संपादक
और कोई न्यायाधीश मुजरिम बन जाए !!
बहुत कठिन समय है साहब ,
पता नहीं कब पहरेदार लुटेरा
और चोर चौकीदार हो जाए !!
पता नहीं कब,कौन पत्रकार तरुण
और ईमानदार केजरीवाल हो जाए,
सब कुछ दांव पर है,
पता नहीं कब कोई संत आसाराम
और राजनीति साहब हो जाए !
बहुत कठिन समय है साहब,
पता नहीं
कब कोई सामाजिक योद्धा
कार्पोरेट पत्रिका का संपादक
और कोई न्यायाधीश मुजरिम बन जाए !!
बहुत कठिन समय है साहब ,
पता नहीं कब पहरेदार लुटेरा
और चोर चौकीदार हो जाए !!
बस देखते रहिये,
जवाब देंहटाएंतथ्य भेदते रहिये।
इधर आपका ब्लॉग पता नहीं क्या प्रदर्शित करता हुआ खुल रहा था। चलिए खैर है कि वापस आ गए हैं।
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