(१) सुख और दुःख
ऐसा वक्त कब आएगा
जब हम खुशी में
बचे रहेंगे सरल
और दर्द में अविकल
न खुशी में चहकेंगे और
न ही दुःख में होंगे विह्वल
क्या हमारे जीते जी
ऐसा वक्त आएगा
जब हम चीजों को
एक नज़र से देखने लगेंगे ?
ऐसा वक्त कब आएगा
जब हम खुशी में
बचे रहेंगे सरल
और दर्द में अविकल
न खुशी में चहकेंगे और
न ही दुःख में होंगे विह्वल
क्या हमारे जीते जी
ऐसा वक्त आएगा
जब हम चीजों को
एक नज़र से देखने लगेंगे ?
(२ ) कवि बनना स्थगित कर दिया है
दर्द को कितना बताएँ
हर तरफ मौजूद है.
समय नहीं मेरे पास
कि इस पर महाकाव्य लिखूं !
तुम मेरे खुशी के गीतों में ही दर्द बांच लेना,
अपने दर्द को मेरी खुशी में तिरोहित कर देना,
ऐसे ही जब तुम खुशी के नगमे गाओगे,
मैं तुम्हारा दर्द जान जाऊँगा !
फ़िलहाल,मैंने कवि बनना स्थगित कर
दिया है !
(३) मदर्स डे
माँ की पहचान
अब फेसबुक कराएगा,
बाज़ार बड़ी ज़ोर से
माँ-माँ चिल्लाएगा ,
मगर वह भाव
कहाँ से लाएगा ?
सोचा न था,
अब फेसबुक कराएगा,
बाज़ार बड़ी ज़ोर से
माँ-माँ चिल्लाएगा ,
मगर वह भाव
कहाँ से लाएगा ?
सोचा न था,
एक दिन
माँ-बाप का रिश्ता
यूँ खुलेआम नुमाइश पे आएगा !!
माँ-बाप का रिश्ता
यूँ खुलेआम नुमाइश पे आएगा !!
कविता क्या है, सीधी सच्ची बात!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...............
जवाब देंहटाएंतीनों लाजवाब!!!!
अनु
बहुत सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मन की बात सीधी बाहर आती हुयी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया।
जवाब देंहटाएं.सराहनीय प्रयास .आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छा किया...
जवाब देंहटाएंयहाँ पहले ही बहुत हैं ...
:)
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .
जवाब देंहटाएंसुख दुःख एक ही नजर से देखने लगे तो योगी ही ना हो जाए . सामान्य इंसान इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता .
जवाब देंहटाएंकवि ही कविता लिखें , ये कौन जरुरी है ..
बढ़िया पैकेज :)
तीनो खरी है सटीक है ,बेहतरीन क्षणिकाएं !
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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क्षण मात्र के लिए स्तब्ध करती क्षणिकाएं.....
जवाब देंहटाएंसटीक और स्पष्ट
अंतिम क्षणिका तो बेजोड़ है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा..
तीसरी क्षणिका सबसे अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंतीसरी सबसे जोरदार लगी।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सटीक प्रस्तुति.
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