नीले आसमान में
उड़ते हुए तोते को
कौवे ने टोंका,
तुम इस तरह आसमान में
अतिक्रमण नहीं कर सकते,
उड़ नहीं सकते !
तुम तभी तक महफूज़ हो
जब तलक उस पिंजरे में,
अपने दायरे में महदूद हो !
खुले आसमान और
धरती के आँचल में
अगर तुमने हरकत की ज़रा-सी,
तो वो छोटी कटोरी,
आम की फाँके
और कच्ची शफ़ड़ी भी
भूल जाओगे,
यहीं हमारे सामने
केवल छटपटाओगे !
इसलिए अपना हिस्सा लो
मौके को समझो
और उड़ो मत !
बाहर का मौसम
सिर्फ़ मेरे मुफ़ीद है,
तुम्हारे लिए हमारा
ख़ास इंतजाम है,
हम चुने हुए हैं
इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
तू घोंसले में रह
वही तेरा मक़ाम है !
उड़ते हुए तोते को
कौवे ने टोंका,
तुम इस तरह आसमान में
अतिक्रमण नहीं कर सकते,
उड़ नहीं सकते !
तुम तभी तक महफूज़ हो
जब तलक उस पिंजरे में,
अपने दायरे में महदूद हो !
खुले आसमान और
धरती के आँचल में
अगर तुमने हरकत की ज़रा-सी,
तो वो छोटी कटोरी,
आम की फाँके
और कच्ची शफ़ड़ी भी
भूल जाओगे,
यहीं हमारे सामने
केवल छटपटाओगे !
इसलिए अपना हिस्सा लो
मौके को समझो
और उड़ो मत !
बाहर का मौसम
सिर्फ़ मेरे मुफ़ीद है,
तुम्हारे लिए हमारा
ख़ास इंतजाम है,
हम चुने हुए हैं
इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
तू घोंसले में रह
वही तेरा मक़ाम है !
हम चुने हुए हैं
जवाब देंहटाएंइसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
तू घोंसले में रह
वही तेरा मक़ाम है !
सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
achi rachna hai....
जवाब देंहटाएंसुन्दर से ये चिन्ह दो, खींच गए इक चित्र ।
जवाब देंहटाएंरंगबाज की जीत है, नहीं राम जी मित्र ।
नहीं राम जी मित्र, रटत यह जिभ्या हर-दिन ।
पिंजरे में ही काट, वक्त ये हर-पल गिन गिन ।
कौआ सत्ताधीश, रखे अति-हिंसक अंतर ।
रटे राम का नाम, रहेगा बेशक सुन्दर ।।
गजब के भाव उकेरे हैं ...
जवाब देंहटाएंचलिए किसी को तो उसकी औकात बताई -भले ही बिचारा पक्षी है !
जवाब देंहटाएंवाह....................
जवाब देंहटाएंसबका अपना अपना अधिकार क्षेत्र है...वजह चाहे जो हो...
बढ़िया लेखन.
बधाई.
bahut khoob .aabhar
जवाब देंहटाएंवोट हड़पिए और वोट दानियों की प्रतीक कविता। कौवे कौवे ही रहेंगे और तोते तोते ही। आपस में बदलना पॉसीबल नहीं है।
जवाब देंहटाएंगनीमत है आपका कौवा तोते को बस टोक रहा है
जवाब देंहटाएंमेरे यहां तो रोज कौवा तोते को बस ठोक रहा है।
सुंदर अभिव्यक्ति !
vaah vaah
हटाएंबिंदास बोल :)
जवाब देंहटाएंहम चुने हुए हैं
जवाब देंहटाएंइसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
तू घोंसले में रह
वही तेरा मक़ाम है !
चुने हुये हैं तभी अपना अधिकार समझ रहे हैं ॥कर्तव्य क्या है नहीं पता ... बढ़िया व्यंग
तोते और कौवे के माध्यम से बहुत कुछ बता दिया आपने ... कहाँ चलना और कहाँ उड़ना चाहिए ये भी समझा दिया ... और तोते को खबरदार भी कर दिया ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंहम चुने हुए हैं
जवाब देंहटाएंइसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं...
बेहतरीन रचना....
सादर।
बुधवारीय चर्चा मंच पर है
हटाएंआप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
charchamanch.blogspot.com
bahut sunder rachna hai ....
जवाब देंहटाएंकौन उड़ानें बाधित करता..
जवाब देंहटाएंकौआ।
हटाएंकौआ शब्द उपयुक्त है,भूलवश कौवा हो गया,आभार,इसी बहाने याद दिलाने का !
हटाएंchahe koi roke..chahe koi toke azadi se pyara kuch nahi..
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन के साथ उत्कृष्ट लेखन ।
जवाब देंहटाएं"काले" परिंदों को ही उड़ने का हक है.. "हरियाली" को ग्रहण लग गया है, माट्साब!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट, अनुपम भाव|
जवाब देंहटाएं....क्या जमाना आ गया है , अब कौए सिखाएंगे कि बेचारे तोते कैसे रहें !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना. हमारे मोहल्ले में एक्को कौआ नहीं था लेकिन अब उनकी ही तूती बोलती है.
जवाब देंहटाएंसभी साथियों का आभार !
जवाब देंहटाएं