2 अप्रैल 2012

तोता और कौवा !

नीले आसमान में 
उड़ते हुए तोते को 
कौवे ने टोंका,
तुम इस तरह आसमान में
अतिक्रमण नहीं कर सकते,
उड़ नहीं सकते !
तुम तभी तक महफूज़ हो
जब तलक उस पिंजरे में,
अपने दायरे में महदूद हो !
खुले आसमान और 
धरती के आँचल में 
अगर तुमने हरकत की ज़रा-सी,
तो वो छोटी कटोरी,
आम की फाँके
और कच्ची शफ़ड़ी भी
भूल जाओगे,
यहीं हमारे सामने 
केवल छटपटाओगे ! 
इसलिए अपना हिस्सा लो
मौके को समझो 
और उड़ो मत !
बाहर का मौसम 
सिर्फ़ मेरे मुफ़ीद है,
तुम्हारे लिए हमारा 
ख़ास इंतजाम  है,
हम चुने हुए हैं 
इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
तू घोंसले में रह 
वही तेरा मक़ाम है !

26 टिप्‍पणियां:

  1. हम चुने हुए हैं
    इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
    तू घोंसले में रह
    वही तेरा मक़ाम है !
    सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  2. सुन्दर से ये चिन्ह दो, खींच गए इक चित्र ।
    रंगबाज की जीत है, नहीं राम जी मित्र ।


    नहीं राम जी मित्र, रटत यह जिभ्या हर-दिन ।
    पिंजरे में ही काट, वक्त ये हर-पल गिन गिन ।

    कौआ सत्ताधीश, रखे अति-हिंसक अंतर ।
    रटे राम का नाम, रहेगा बेशक सुन्दर ।।

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  3. चलिए किसी को तो उसकी औकात बताई -भले ही बिचारा पक्षी है !

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  4. वाह....................

    सबका अपना अपना अधिकार क्षेत्र है...वजह चाहे जो हो...

    बढ़िया लेखन.
    बधाई.

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  5. वोट हड़पिए और वोट दानियों की प्रतीक कविता। कौवे कौवे ही रहेंगे और तोते तोते ही। आपस में बदलना पॉसीबल नहीं है।

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  6. गनीमत है आपका कौवा तोते को बस टोक रहा है
    मेरे यहां तो रोज कौवा तोते को बस ठोक रहा है।

    सुंदर अभिव्यक्ति !

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  7. हम चुने हुए हैं
    इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं,
    तू घोंसले में रह
    वही तेरा मक़ाम है !

    चुने हुये हैं तभी अपना अधिकार समझ रहे हैं ॥कर्तव्य क्या है नहीं पता ... बढ़िया व्यंग

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  8. तोते और कौवे के माध्यम से बहुत कुछ बता दिया आपने ... कहाँ चलना और कहाँ उड़ना चाहिए ये भी समझा दिया ... और तोते को खबरदार भी कर दिया ... बहुत खूब ...

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  9. हम चुने हुए हैं
    इसलिए बेख़ौफ़ चुनते हैं...
    बेहतरीन रचना....
    सादर।

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    1. बुधवारीय चर्चा मंच पर है
      आप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।

      charchamanch.blogspot.com

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  10. अनुपम भाव संयोजन के साथ उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

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  11. "काले" परिंदों को ही उड़ने का हक है.. "हरियाली" को ग्रहण लग गया है, माट्साब!

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  12. ....क्या जमाना आ गया है , अब कौए सिखाएंगे कि बेचारे तोते कैसे रहें !

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  13. सुन्दर रचना. हमारे मोहल्ले में एक्को कौआ नहीं था लेकिन अब उनकी ही तूती बोलती है.

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