बीती रात रामलीला मैदान से लौटा हूँ .अन्ना के समर्थन में ऐसा जनसैलाब,लोगों की आकुलता और जोश व गुस्से से लबरेज़ चेहरे मैंने पहले कहीं भी और कभी भी नहीं देखे ! मैदान से तीन-चार किलोमीटर पहले से ही गाड़ियाँ रेंग रही थीं.हर आदमी की राह एक ही थी,लोग मोटरकार की खिडकियों से लटके हुए,मोटर साइकिलों पर 'धूम' मचाते हुए 'अन्ना-अन्ना' चीख रहे थे,ऐसा लगता था जैसे हर रास्ता रामलीला मैदान की तरफ़ ही जा रहा हो!
सभी लोग बिल्ले,झंडे,टोपियाँ ,बैनर ,टी-शर्ट कुछ न कुछ लिए थे या खरीद रहे थे.अन्ना के नाम पर ऐसे सामानों को लोग बहुत ऊँची कीमत पर बेच रहे थे,फिर भी लोग ले रहे थे.इस जन-समुद्र को कोई प्रायोजित कहे,एक ख़ास वर्ग या 'क्लास' का नाम दे,खाए,पिए,अघाए हुए लोगों का समूह कहे ,गैर-दलित ,सवर्ण या धार्मिक कहे यह उसकी मर्ज़ी है,पर वहाँ जानेवाला केवल अन्नामय है,उसकी सिर्फ एक पहचान है!हाँ, कुछ लोग ज़रूर इसी बहाने निजी हित साध रहे हैं,लेकिन ऐसे लोग भीड़ का हिस्सा तो हो सकते हैं,अपने मक़सद में कामयाब नहीं !
मैदान के बाहर और भीतर लोग नाच-गा रहे थे,पूरा मैदान ठसाठस था!पुलिसवालों की संख्या बहुत थी ,पर वे इस भीड़ के आगे केवल दर्शक भर थे.केजरीवाल जी एक सन्देश दे रहे थे कि मीडिया में कुछ ख़बरें ऐसी आ रही हैं कि सरकार से हम समझौते के करीब हैं पर हम यह बता दें कि उसने हमारी छोटी से छोटी माँग भी नहीं मानी है.इस पर भीड़ ने ज़ोरदार 'हूट' किया और सरकार के लिए 'शेम-शेम' के नारे लगाए !अन्दर का माहौल बहुत उत्साहित और ऊर्जित था.इस जन-समर्थन को अगर 'क्रान्ति' नहीं कहेंगे तो किस तरह की क्रान्ति की प्रतीक्षा की जा रही है?
सरकार चलाने वाले शायद इस समय अवकाश पर चले गए हैं.अप्रैल से ही अन्ना को लेकर गलत कदम उठाये गए और इस बार भी वही किया जा रहा है! सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है.बाबा रामदेव को ज़रुरत से ज़्यादा पहले भाव दिया,फिर अत्याचार किया.अन्ना की बात अप्रैल में बड़े दबाव के आगे मानी और अब फिर अपने ऊपर उससे ज़्यादा दबाव का इंतज़ार कर रही है! सरकार मनरेगा और आरटीआई का श्रेय लेकर 'जनलोकपाल' को नकार कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है.अभी भी उसके प्रबंधक गहरी नींद में हैं,पता नहीं जब उनके 'दीदे' खुलेंगे,तब तक कुछ बचेगा भी या नहीं !शायद ऐसे ही मौक़े के लिए कहा गया है,'सब कुछ लुटाके होश में आये तो क्या किया?'
फिलहाल यह मुद्दा अब जनलोकपाल से कहीं आगे जन-अवहेलना,सत्तामद व घोर संवेदनहीनता का बन चुका है ! इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी कटघरे में हैं!
हम तो यही धुन गा रहे हैं:
'अन्ना ने भेजा सन्देश ! जाग गया है सारा देश !'
सभी लोग बिल्ले,झंडे,टोपियाँ ,बैनर ,टी-शर्ट कुछ न कुछ लिए थे या खरीद रहे थे.अन्ना के नाम पर ऐसे सामानों को लोग बहुत ऊँची कीमत पर बेच रहे थे,फिर भी लोग ले रहे थे.इस जन-समुद्र को कोई प्रायोजित कहे,एक ख़ास वर्ग या 'क्लास' का नाम दे,खाए,पिए,अघाए हुए लोगों का समूह कहे ,गैर-दलित ,सवर्ण या धार्मिक कहे यह उसकी मर्ज़ी है,पर वहाँ जानेवाला केवल अन्नामय है,उसकी सिर्फ एक पहचान है!हाँ, कुछ लोग ज़रूर इसी बहाने निजी हित साध रहे हैं,लेकिन ऐसे लोग भीड़ का हिस्सा तो हो सकते हैं,अपने मक़सद में कामयाब नहीं !
मैदान के बाहर और भीतर लोग नाच-गा रहे थे,पूरा मैदान ठसाठस था!पुलिसवालों की संख्या बहुत थी ,पर वे इस भीड़ के आगे केवल दर्शक भर थे.केजरीवाल जी एक सन्देश दे रहे थे कि मीडिया में कुछ ख़बरें ऐसी आ रही हैं कि सरकार से हम समझौते के करीब हैं पर हम यह बता दें कि उसने हमारी छोटी से छोटी माँग भी नहीं मानी है.इस पर भीड़ ने ज़ोरदार 'हूट' किया और सरकार के लिए 'शेम-शेम' के नारे लगाए !अन्दर का माहौल बहुत उत्साहित और ऊर्जित था.इस जन-समर्थन को अगर 'क्रान्ति' नहीं कहेंगे तो किस तरह की क्रान्ति की प्रतीक्षा की जा रही है?
सरकार चलाने वाले शायद इस समय अवकाश पर चले गए हैं.अप्रैल से ही अन्ना को लेकर गलत कदम उठाये गए और इस बार भी वही किया जा रहा है! सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है.बाबा रामदेव को ज़रुरत से ज़्यादा पहले भाव दिया,फिर अत्याचार किया.अन्ना की बात अप्रैल में बड़े दबाव के आगे मानी और अब फिर अपने ऊपर उससे ज़्यादा दबाव का इंतज़ार कर रही है! सरकार मनरेगा और आरटीआई का श्रेय लेकर 'जनलोकपाल' को नकार कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है.अभी भी उसके प्रबंधक गहरी नींद में हैं,पता नहीं जब उनके 'दीदे' खुलेंगे,तब तक कुछ बचेगा भी या नहीं !शायद ऐसे ही मौक़े के लिए कहा गया है,'सब कुछ लुटाके होश में आये तो क्या किया?'
फिलहाल यह मुद्दा अब जनलोकपाल से कहीं आगे जन-अवहेलना,सत्तामद व घोर संवेदनहीनता का बन चुका है ! इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी कटघरे में हैं!
हम तो यही धुन गा रहे हैं:
'अन्ना ने भेजा सन्देश ! जाग गया है सारा देश !'
:)
जवाब देंहटाएंअन्ना से जो अन्न लाए हो उसका हिसाब तो दे दो। लाए होगे प्रसाद, वो प्रसाद ही दे दो। हम उसी में संतोष कर लेंगे, नहीं दोगे तो आपकी बातों से ही दिल बहला लेंगे।
जवाब देंहटाएंआपको जन्माष्टमी की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं'अन्ना ने भेजा सन्देश ! जाग गया है सारा देश !' /
जवाब देंहटाएंजाग जाए सारा देश .. तो बहुत संभावनाएं बन जाती है !!
फिलहाल यह मुद्दा अब जनलोकपाल से कहीं आगे जन-अवहेलना,सत्तामद व घोर संवेदनहीनता का बन चुका है ! इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी कटघरे में हैं!
जवाब देंहटाएंसही निष्पत्ति है
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसर्वे भवन्तु सुखिनः।
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