लादेनजी के लद जाने के बाद हमारी चिंता बढ़ गई थी कि अब चैनल वाले का करेंगे ? उस ससुरे में इतना मसाला था कि मरने के बाद भी कई दिनों तक उसे,उसकी बीवियों को,उसके छोटे लड़के को लेकर भाई लोग 'एकताई-सीरियल' बना रहे थे तभी बड़ी 'कोरट' ने ऐसा फैसला सुना दिया कि उनकी खेती में और बहार आ गई !
हम बात कर रहें हैं भाई अमर सिंह की पुरानी फिलम की नई रिलीज की !जिन भाइयों के पास उस फिलम की सीडी अलमारियों में न जाने कब से बंद थीं और बाहर निकलने को आतुर थीं ,उन्हें फटाफट झाड़-पोंछ के निकाला गया.हम जैसे स्रोत-विहीन लोगों को तो अंतर्जाल का ही सहारा था और हमारे कुछ दोस्तों ने निराश नहीं किया और तुरत-फुरत फेसबुकवा में परोस दिया !
सच मानिए,हमको तो एकठो सीडी इत्ती अच्छी लगी कि पता नहीं अपन ने उसे सुनकर कितनी बार अपनी टाँगों की ओर देखा होगा? हम ठहरे अनाड़ी,सो अपने भेजे में अमर भाई का 'कोड-वर्ड' समझ में नहीं आया!
दूसरी सीडी में आज के प्रभु-पत्रकार का दयनीय-विलाप तो हम समझ सकते हैं.अब ऊ बड़े पत्तरकार हैं तो खर्चे भी बड़े होंगे.'सीधी बात ' तो यही है कि उनके भी तो बाल-बच्चे हैं नेताओं की तरह ! हाँ,अमर भाई के 'आसारामी-परबचन' बड़े मजेदार और कर्ण-प्रिय हैं !फिर भी,हमारे कुछ दोस्तों को यह इतना बुरा लगा कि वो जूता लिए घूम रहे हैं कि उन जैसे लोग जहाँ दिखाई दें वहीँ जूतों की 'बरखा' कर दें !हमरी तो यही सलाह है कि ऐसे निरीहों के लिए न तो अपना टीवी फोड़ो और न ही महँगा-जूता फेंको !
अब इस तरह की फिलम पर काहे को रोक लगाई गई थी?सुनते हैं लादेनवा ऐसी सीडी खूब देखत रहा.हो सकता है दिग्विजय बाबू ने टाँग वाली सीडी ऊपर भी पार्सल कर दी हो!आखिर मरने वाले की इच्छा का ख्याल तो रखा ही जाता है !
इसे तो सुनकर ही हमरा इह-लोक धन्य हुइ गवा है और आपका ?
हम बात कर रहें हैं भाई अमर सिंह की पुरानी फिलम की नई रिलीज की !जिन भाइयों के पास उस फिलम की सीडी अलमारियों में न जाने कब से बंद थीं और बाहर निकलने को आतुर थीं ,उन्हें फटाफट झाड़-पोंछ के निकाला गया.हम जैसे स्रोत-विहीन लोगों को तो अंतर्जाल का ही सहारा था और हमारे कुछ दोस्तों ने निराश नहीं किया और तुरत-फुरत फेसबुकवा में परोस दिया !
माफ़ी सहित-गूगल ,बिप,अमर |
दूसरी सीडी में आज के प्रभु-पत्रकार का दयनीय-विलाप तो हम समझ सकते हैं.अब ऊ बड़े पत्तरकार हैं तो खर्चे भी बड़े होंगे.'सीधी बात ' तो यही है कि उनके भी तो बाल-बच्चे हैं नेताओं की तरह ! हाँ,अमर भाई के 'आसारामी-परबचन' बड़े मजेदार और कर्ण-प्रिय हैं !फिर भी,हमारे कुछ दोस्तों को यह इतना बुरा लगा कि वो जूता लिए घूम रहे हैं कि उन जैसे लोग जहाँ दिखाई दें वहीँ जूतों की 'बरखा' कर दें !हमरी तो यही सलाह है कि ऐसे निरीहों के लिए न तो अपना टीवी फोड़ो और न ही महँगा-जूता फेंको !
अब इस तरह की फिलम पर काहे को रोक लगाई गई थी?सुनते हैं लादेनवा ऐसी सीडी खूब देखत रहा.हो सकता है दिग्विजय बाबू ने टाँग वाली सीडी ऊपर भी पार्सल कर दी हो!आखिर मरने वाले की इच्छा का ख्याल तो रखा ही जाता है !
इसे तो सुनकर ही हमरा इह-लोक धन्य हुइ गवा है और आपका ?
वाह! भई वाह!
जवाब देंहटाएंलादेन और अमरसिंह के मसाले ने आपकी पोस्ट को भी
जायकेदार बना ही दिया है.
संतोषजी अभी तक मेरे ब्लॉग को क्यूँ भूले हुए हैं भाई ?
आपका इंतजार है.
कुछ समझ में आया, बहुत कुछ नहीं। फिर भी शैली और प्रवाह के कारण आलेख रोचक लगा।
जवाब देंहटाएंअमर की a ..बी..c ..डी.. अजब और गजब होती ही है ! लादेन को तो मीडिया वाले अमर बनाने पर तुले हुए है ! मजे दार !
जवाब देंहटाएंओह तो आप सीला की जवानी वाला सिनेमा का समीक्षा लिख रहे थे संतोष भाई ।
जवाब देंहटाएंअरे ऊ जालिम हसीना और जलील कमीना के बीच का सात्विक संवाद का नाट्य रूपांतरण था ..बालीवुड केतना प्रयोगधर्मी है
सब कुछ न कुछ सीख लें।
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य आलेख!
जवाब देंहटाएं@Rakesh Kumar आपके पधारने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएं@मनोज कुमार आपकी बात जायज है क्योंकि जिन लोगों ने सीडी-दर्शन नहीं किये हैं उन्हें पूरी बात समझने में परेशानी होगी !
@G N SHAW ऊ तो एकदम्मै अमर हुइ गवा है !
@अजय कुमार झा हमरी तो सुन-सुन के ही सुलग रही है !
@प्रवीण पाण्डेय अब ऐसे ही सबक लेने बाक़ी रह गए हैं !
@डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण ) धन्यवाद प्रभु !
सुने तो हम भी हैं...मगर लिखे सटीक आप ही. :)
जवाब देंहटाएंअच्छा है कि इत्ती जल्दी आपको इहलोक का सुख मिल गया ......हमरे लिए तो ई भंडाय दुई कौड़ी की है !
जवाब देंहटाएं@ Udan Tashtari आपकी ज़र्रानवाज़ी के क्या कहने? हिम्मत बढ़ाई उसका शुक्रिया !
जवाब देंहटाएं@प्रवीण त्रिवेदी आपके कहे अनुसार दुइ कौड़ी की नय है,ई करोड़न क कारोबार कर रही है,मुदा हम-आप के बरे तो बेकारई है !
हमको भी सीडी दर्शन करवाया जाय, आखिर क्या है उसमें?
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