अभी कुछ रोज़ पहले एक खबर टी वी चैनेलों ने खूब दिखाई कि लखनऊ में डी एम साहेब ने एक 'अदने' से कर्मचारी को थप्पड़ रसीद कर दिया है ! इस खबर को भाई लोग बेकार में ही रबड़ की तरह खींच रहे हैं। अरे भाई ,कहाँ अपने आदरणीय डी एम साहेब और कहाँ वह अदना सा कर्मचारी ? यह तो उस कर्मचारी का सौभाग्य कहिये कि इतने ऊंचे ओहदे वाले ने उसका 'स्पर्श' किया है,नहीं तो यहाँ गरीबों के पास जाने की फ़ुरसत आज किसे है? ओहदे-दार आदमी का काम ही है की वह अपनी शान को हर हाल में क़ायम रखे और आम आदमी का यह कर्तव्य है कि वह उसकी शान बढ़ाने के लिए अपना सारा सम्मान लगा दे !
फिर , कुछ नया भी तो नहीं हुआ है उत्तर प्रदेश में। माया मेमसाब ने एक बार निरीक्षण के दौरान एक डी एम साहेब को थप्पड़ जड़ दिया था।तो भाई,कही न कहीं रूतबा तो 'काउंट' करता है। हो सकता है कि इन डी एम साहेब ने यहीं से प्रेरणा ली हो। अब सरकार के खिलाफ़ कोई बोलेगा तो या तो उसका घर जलेगा या थप्पड़ खायेगा। इसमें चिल्ल-पों मचाने की क्या ज़रुरत है? जिसके पास जो होता है ,वही तो वह दूसरे को देता है। अब डी एम साहेब ने इसलिए थोड़े ही पढ़ाई की थी कि उनके काम में कोई टोका-टाकी करे, तभी तो सुनते हैं कि थप्पड़ मारने वाले को पदोन्नति मिलने जा रही है और अपना 'राम प्रकाश ' (आम आदमी) थप्पड़ खाकर ज़ेल के दर्शन कर आया है। जुग-जुग जीवे ऐसी सर्वजन समाज सरकार !
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