28 जनवरी 2010

आखिर सठिया गए हम !


बीती २६ जनवरी को अपन साठ के हो गए ,इस मायने में कि अपना क़ानून लागू हुए एतने बरस हो गए! पर क्या वह क़ानून जो मोटी-मोटी किताबों और फाइलों में दर्ज है और जिसके लिए बना है,क्या उस तक हम पहुंचा पाए है? जवाब निश्चित ही 'न' में होगा,यदि किसी गैर-सरकारी नुमाइंदे से पूछा जाए तो।
आज हर जगह लोकतंत्र का 'गण' गौण हो गया है। जिन्हें लोगों की सेवा करने की शपथ लेनी थी ,वे सत्ता को अपने सुख का साधन बना चुके हैं। जो जहाँ पर है अपने तरीके से देश के क़ानून को दुह रहा है।

ताज़ा मिसाल तो महाराष्ट्र की है,जहाँ आए दिन तुगलकी फ़रमान आते रहते हैं और हमारी सरकार नाम की संस्था अपनी ऑंखें बंद कर लेती है व होंठ सी लेती है। शिव सेना और एम एन एस की रोज़ाना गीदड़-भभकियां समाचारों में सुर्खियाँ बन रही हैं,पर जैसे सरकार (राज्य या केंद्र) ने कुछ न करने की क़सम खा रखी हो। यह कितना हास्यास्पद है कि हम अपने ही देश में,अपने ही बनाए क़ानून के अंतर्गत किस तरह असुरक्षित हैं! कभी क्षेत्र तो कभी भाषा के नाम पर अपने ही लोगों को एक-दूसरे से भिड़ाया जा रहा है। आम लोगों के दिलों में दहशत है और हर दल अपनी वोटों का हिसाब लगा रहा है।

क्या हमारे संविधान -निर्माताओं ने ऐसी आशंकाएं भी की थीं, शायद नहीं,लेकिन उनके अनुयायियों ने उन्हें भी पटकनी दे दी है। सोचिये ,अगर महाराष्ट्र जैसी स्थिति दूसरे राज्यों में भी हो जाये तो क्या हम एक देश के नागरिक कहलाने लायक रह पायेंगे ? हमारी सरकार है कि वह चीन,पाकिस्तान ,आस्ट्रेलिया और अमेरिका से परेशान दिखती है ,पर उस के पास अपने ही घर में 'बारूद' लगाने वालों का इलाज़ नहीं है ।
सही है ना, हम सठिया गए हैं !

25 जनवरी 2010

थप्पड़ मारा ,क्या बुरा किया ?

अभी कुछ रोज़ पहले एक खबर टी वी चैनेलों ने खूब दिखाई कि लखनऊ में डी एम साहेब ने एक 'अदने' से कर्मचारी को थप्पड़ रसीद कर दिया है ! इस खबर को भाई लोग बेकार में ही रबड़ की तरह खींच रहे हैं। अरे भाई ,कहाँ अपने आदरणीय डी एम साहेब और कहाँ वह अदना सा कर्मचारी ? यह तो उस कर्मचारी का सौभाग्य कहिये कि इतने ऊंचे ओहदे वाले ने उसका 'स्पर्श' किया है,नहीं तो यहाँ गरीबों के पास जाने की फ़ुरसत आज किसे है? ओहदे-दार आदमी का काम ही है की वह अपनी शान को हर हाल में क़ायम रखे और आम आदमी का यह कर्तव्य है कि वह उसकी शान बढ़ाने के लिए अपना सारा सम्मान लगा दे !
फिर , कुछ नया भी तो नहीं हुआ है उत्तर प्रदेश में। माया मेमसाब ने एक बार निरीक्षण के दौरान एक डी एम साहेब को थप्पड़ जड़ दिया था।तो भाई,कही न कहीं रूतबा तो 'काउंट' करता है। हो सकता है कि इन डी एम साहेब ने यहीं से प्रेरणा ली हो। अब सरकार के खिलाफ़ कोई बोलेगा तो या तो उसका घर जलेगा या थप्पड़ खायेगा। इसमें चिल्ल-पों मचाने की क्या ज़रुरत है? जिसके पास जो होता है ,वही तो वह दूसरे को देता है। अब डी एम साहेब ने इसलिए थोड़े ही पढ़ाई की थी कि उनके काम में कोई टोका-टाकी करे, तभी तो सुनते हैं कि थप्पड़ मारने वाले को पदोन्नति मिलने जा रही है और अपना 'राम प्रकाश ' (आम आदमी) थप्पड़ खाकर ज़ेल के दर्शन कर आया है। जुग-जुग जीवे ऐसी सर्वजन समाज सरकार !

21 जनवरी 2010

अब तो फागुन आयो रे !

पिया मिलन का दर्द सताए,
अपना कोई मिलने आए,
खड़ी द्वार पर जिसे निहारूँ ,
अब तो फागुन आयो रे !

बासंती मौसम अब आया ,
पतझड़ नयी कोंपलें लाया ,
मैं प्रियतम पर वारी जाऊँ,
अब तो फागुन आयो रे !

सरसों फूल रही खेतों में,
कोयल कूके है पेड़ों में,
लगता है मैं भी कुछ गाऊँ ,
अब तो फागुन आयो रे !

चारों तरफ बयार नयी है,
वसुंधरा श्रृंगारमयी है,
मदमाती मैं किसे पुकारूँ,
अब तो फागुन आयो रे !

प्रकृति हो गई रंग-रंगीली,
भर पिचकारी पीली-नीली,
मैं साजन के रंग हो जाऊँ,
अब तो फागुन आयो रे !

ढोल-मंजीरे बजते कैसे,
बिछुड़े हुए मिले हों जैसे,
आओ प्रिय ! या मैं उड़ आऊँ,
अब तो फागुन आयो रे !



जनवरी १९९८ की एक सर्द सुबह - दिल्ली

11 जनवरी 2010

सर्दी की छुट्टी !

आख़िरकार दिल्ली में बढ़ती ठंड को देखते हुए आठवीं तक के बच्चों को विद्यालय से पूरे हफ़्ते की छुट्टी दे दी गई । लगातार तीन दिनों से शीत-लहर का प्रकोप ज़ारी है, जिससे यह थोड़ी देर से ही सही ,बिलकुल सही कदम है। शीत-लहर की ठिठुरन बड़े-बड़ों को कंपा देती है,तो फिर छोटे बच्चों के लिए यह और कष्ट-दायी होता है, भले ही वे इसकी फ़िक्र न करते हों।
दर-असल ,सरकारी स्कूलों में जो बच्चे पढ़ने आते हैं उनकी पृष्ठ -भूमि ऐसी होती है,जिसमें जीने के ज़्यादा विकल्प नहीं होते। इन बच्चों के घरों में न तो सही छत होती है,न ही खान-पान का उम्दा इंतज़ाम ,तो फिर सर्दियों के लिए क्या विशेष साधन होंगे,यह आसानी से समझा जा सकता है। इससे बहुत ज़्यादा साधन उन्हें स्कूलों में भी नहीं मिल पाते हैं।
बहरहाल , फौरी इंतज़ाम के ज़रिये बच्चों को स्कूलों से छुट्टी देकर सरकार ने ठीक ही किया है!