अमीर खुसरो की मुकरियाँ प्रसिद्ध हैं.इनमें पहले तीन चरण में( 15-16)(15-16) मात्राएँ होती हैं,अंत में दो चरणों में 8-8.
साथ ही इसकी विशेषता है कि पढने-सुनने वाले को कुछ और अंदाज़ा मिलता है पर अंत में उत्तर उसके उलट होता है.
शुरूआती प्रयास बतौर कुछ मुकरियाँ यहाँ प्रस्तुत हैं.
1)
मंदिर वहीँ बना डालेंगे,
लाल किला चढ़ इतराएंगे,
वादे कर कर ,फिर-फिर मुकरी !
के हो शेर ? ना हो,बकरी !
2)
साथ ही इसकी विशेषता है कि पढने-सुनने वाले को कुछ और अंदाज़ा मिलता है पर अंत में उत्तर उसके उलट होता है.
शुरूआती प्रयास बतौर कुछ मुकरियाँ यहाँ प्रस्तुत हैं.
1)
मंदिर वहीँ बना डालेंगे,
लाल किला चढ़ इतराएंगे,
वादे कर कर ,फिर-फिर मुकरी !
के हो शेर ? ना हो,बकरी !
2)
छप्पन इंच दिखाए सीना,
उनने पाया एक नगीना,
पल में कर दे चिड़िया ढेर,
ऐ सखि हाथी ?ना सखि शेर !
उनने पाया एक नगीना,
पल में कर दे चिड़िया ढेर,
ऐ सखि हाथी ?ना सखि शेर !
3)सूरज बाबा आ भी जाओ,
सर्द हवा में ना ठिठुराओ,
गुलूबंद औ मफलर डाल,
के सखि मौसम ? ना,केजरिवाल।
सर्द हवा में ना ठिठुराओ,
गुलूबंद औ मफलर डाल,
के सखि मौसम ? ना,केजरिवाल।
4)
उसके जैसा मेरा हाल,
रैन मिले हो जाऊं निहाल,
सुध-बुध खोती,दिन में मोरी,
ऐ सखि मोर ? नहीं,चकोरी !
रैन मिले हो जाऊं निहाल,
सुध-बुध खोती,दिन में मोरी,
ऐ सखि मोर ? नहीं,चकोरी !
अच्छा है आप भी मुकर! रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंहा ,हा ! मुकरने पर किसी का कॉपीराइट नहीं है !
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