ओ मेरे पिता
तुमने हर दुःख सहा
माँ से भी ना कहा
कंधे पर लादकर
बोझ मेरा सहा।
घोड़ा बने,
संग खेले मेरे,
मैंने मारी दुलत्ती
सब खिलौने मेरे।
मुझको मेला घुमाया
हर कुसंग से बचाया
दिल के अंदर भरे प्यार को
सारे जग से छुपाया।
मुझमें उम्मीद दी
रोशनी दी हमें,
मेरे अस्तित्व को
एक पहचान दी।
खुद को मिटाकर
पसीना बहाकर
मुझे माँ से मिलाया
संस्कृत किया,
स्वयं को तपाकर
तुमने हर दुःख सहा
माँ से भी ना कहा
कंधे पर लादकर
बोझ मेरा सहा।
घोड़ा बने,
संग खेले मेरे,
मैंने मारी दुलत्ती
सब खिलौने मेरे।
मुझको मेला घुमाया
हर कुसंग से बचाया
दिल के अंदर भरे प्यार को
सारे जग से छुपाया।
मुझमें उम्मीद दी
रोशनी दी हमें,
मेरे अस्तित्व को
एक पहचान दी।
खुद को मिटाकर
पसीना बहाकर
मुझे माँ से मिलाया
संस्कृत किया,
स्वयं को तपाकर
ज़हर सब पिया
मुझको अमृत दिया।
मुझको अमृत दिया।
पिता ओ पिता !
तुम नहीं हो अलग।
रूप बदला भले
पर मुझमें तेरी झलक।
चाहे जो कुछ करूँ
नहीं तुमसे उरिन,
यह जीवन तुम्हारा
है तुम बिन कठिन।
तुम नहीं हो अलग।
रूप बदला भले
पर मुझमें तेरी झलक।
चाहे जो कुछ करूँ
नहीं तुमसे उरिन,
यह जीवन तुम्हारा
है तुम बिन कठिन।
ओ मेरे पिता !
कोमल संवेदनाओं के शब्द..
जवाब देंहटाएंसही है।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा, बिना पिता इस संसार से परिचय भी असंभव है, काश इस ॠण को हर इंसान समझ पाये, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर शब्दों में पिता को श्रोद्धांजलि दिया आपने
जवाब देंहटाएंlatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
अभी हमारे पिताजी जीवित हैं भाई !
हटाएंजीवेम शरदः शतं !
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसंवेदनाओं के शब्द बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है आपने
जवाब देंहटाएं....शानदार प्रस्तुति
सुंदर समर्पण भाव!!
जवाब देंहटाएंsamvednao se bhari hui komal rachna... abhar..
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएं उनके लिए ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति . .शुभकामनायें .
जवाब देंहटाएंहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
पिता एक घनी छाँव !
जवाब देंहटाएं@चाहे जो कुछ करूँ
जवाब देंहटाएंनहीं तुमसे उरिन,
यह जीवन तुम्हारा
है तुम बिन कठिन।
ओ मेरे पिता!
- बहुत बढ़िया, पितृदेवो भवः!
पिता से कोई उऋण नहीं हो पाता पर फिर भी यह बात न जाने लोग क्यों भूल जाते हैं ... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, लाजबाब प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,
बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसच पिता जी ऐसे ही होते हैं
मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
पिता को नमन
सादर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
पापा ---------
सुन्दर,भावपूर्ण...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मानवता अब तार-तार है
वाह.पिताजी को नमन.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब | बेहद उम्दा |
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक।
जवाब देंहटाएं