सड़क पर चलते हुए अकसर,
सहम जाते हैं हम
बिलकुल बाएँ चलते हुए,
'ट्रैफिक' के सारे नियमों को ध्यान में रखते हुए,
संभल-संभल कर कदम बढ़ाते हैं,
पर,
कभी पीछे से,कभी आगे से
इतने पास से गुज़रता है वाहन कोई,
कि लगता है कि बस,अभी 'गया' था...
देखता हूँ सड़क पर चलते हुए,
गाड़ियों का *अम्बार 'सुंचा' है
आदमी से ज्यादा गाड़ियाँ दिखती हैं,
थोड़ी-सी सीधी जगह नहीं बची है
जहाँ चला जाए कोई बेख़ौफ़ गुनगुनाते हुए।
यकायक कोई पीछे से सर्र से निकल जाता है
तो कोई आगे से मोबाईल पर बतियाते हुए
सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए
या तेज़ संगीत हमें सुनाते हुए ऐसे गुज़रता है
जैसे हम उसके 'गार्ड ऑफ़ ऑनर' के लिए खड़े हों!
सड़क पर चलते हुए
अब हम कुछ सोच नहीं पाते ।
रास्तों में अब सचमुच मौत दौड़ रही है
और कितना कटु-सत्य और हास्यास्पद है कि
फिर भी मौत को गले लगाने के लिए लोग मचल रहे हैं?
बाइक और कार की गिनती में लगातार इजाफा हो रहा है,
देश की जवान पीढ़ी
'धूम' की स्टाइल में 'खल्लास' हो रही है,
पर,
इंडस्ट्री खुश ,कम्पनियाँ खुश ,सरकार भी खुश
उसकी 'प्रजा' समृद्ध हो रही है !
सड़क पर जब कोई मरता है तो
महज़ गिनती नहीं कम होती ,
मानवता मरती है,संवेदना 'ख़तम' होती है
और सरकार थैली खोल देती है।
अक्सर ऐसा हो जाता है कि
मुआवज़े की रक़म मिलती है,
पर 'खरचने' वाला कोई नहीं बचता !
भले ही कोई माँ
कोई पत्नी
कोई बेटा
या कोई पिता
सड़क पर चलने का
दंड भुगतता है ,सिसकता है
पर यह हिदुस्तान है,
यहाँ ऐसे ही चलता है........
* अम्बार सुंचा =ढेर लगा है
विशेष :पुनर्प्रकाशन (पूर्व में ०१/०६/२०१०) में प्रकाशित
सहम जाते हैं हम
बिलकुल बाएँ चलते हुए,
'ट्रैफिक' के सारे नियमों को ध्यान में रखते हुए,
संभल-संभल कर कदम बढ़ाते हैं,
पर,
साभार:गूगल बाबा |
इतने पास से गुज़रता है वाहन कोई,
कि लगता है कि बस,अभी 'गया' था...
देखता हूँ सड़क पर चलते हुए,
गाड़ियों का *अम्बार 'सुंचा' है
आदमी से ज्यादा गाड़ियाँ दिखती हैं,
थोड़ी-सी सीधी जगह नहीं बची है
जहाँ चला जाए कोई बेख़ौफ़ गुनगुनाते हुए।
यकायक कोई पीछे से सर्र से निकल जाता है
तो कोई आगे से मोबाईल पर बतियाते हुए
सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए
या तेज़ संगीत हमें सुनाते हुए ऐसे गुज़रता है
जैसे हम उसके 'गार्ड ऑफ़ ऑनर' के लिए खड़े हों!
सड़क पर चलते हुए
अब हम कुछ सोच नहीं पाते ।
रास्तों में अब सचमुच मौत दौड़ रही है
और कितना कटु-सत्य और हास्यास्पद है कि
फिर भी मौत को गले लगाने के लिए लोग मचल रहे हैं?
बाइक और कार की गिनती में लगातार इजाफा हो रहा है,
देश की जवान पीढ़ी
'धूम' की स्टाइल में 'खल्लास' हो रही है,
पर,
इंडस्ट्री खुश ,कम्पनियाँ खुश ,सरकार भी खुश
उसकी 'प्रजा' समृद्ध हो रही है !
सड़क पर जब कोई मरता है तो
महज़ गिनती नहीं कम होती ,
मानवता मरती है,संवेदना 'ख़तम' होती है
और सरकार थैली खोल देती है।
अक्सर ऐसा हो जाता है कि
मुआवज़े की रक़म मिलती है,
पर 'खरचने' वाला कोई नहीं बचता !
भले ही कोई माँ
कोई पत्नी
कोई बेटा
या कोई पिता
सड़क पर चलने का
दंड भुगतता है ,सिसकता है
पर यह हिदुस्तान है,
यहाँ ऐसे ही चलता है........
विशेष :पुनर्प्रकाशन (पूर्व में ०१/०६/२०१०) में प्रकाशित