१
जब भी देखता हूँ , कोई साँवली सी सूरत,
तुम्हारा ही अक्स उसमें नज़र आता है।
२
जब भी सामना होता है तुमसे मेरा ,
नज़रें झुकाके मुझको, दिल में छुपा लेती हो ?
३
जब भी लेता है कोई तुम्हारा नाम,
दिल मेरा चुपचाप तस्दीक करता है !
४
मुझे डूबने दो इन झील-सी आँखों में,
बाहरी दुनिया से मैं ऊब चुका हूँ !
दूलापुर, राय बरेली , ०५-०४-१९८८
जब भी देखता हूँ , कोई साँवली सी सूरत,
तुम्हारा ही अक्स उसमें नज़र आता है।
२
जब भी सामना होता है तुमसे मेरा ,
नज़रें झुकाके मुझको, दिल में छुपा लेती हो ?
३
जब भी लेता है कोई तुम्हारा नाम,
दिल मेरा चुपचाप तस्दीक करता है !
४
मुझे डूबने दो इन झील-सी आँखों में,
बाहरी दुनिया से मैं ऊब चुका हूँ !
दूलापुर, राय बरेली , ०५-०४-१९८८
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