...और उस दिन पचीस साल बाद जब तुम अचानक मुझसे
मिलीं,हम एक-दूसरे को पहचान ही नहीं पाए।मैं शहर से कुछ रोज़ की
छुट्टी लेकर गाँव जा रहा था ।कस्बे के टेम्पो-स्टैंड में जब मैंने टेम्पो पकड़ा ,दूर-दूर तक जहन में तुम्हारा ख्याल भी न था।तुम्हारे
ठीक सामने रूखे और सफ़ेद बालों में जो प्रौढ़ व्यक्ति बार-बार बाहर की ओर झाँक रहा
था,तुम्हारा अपना,वह मैं ही तो था ! तुम दो बच्चों के साथ बैठी हुई थीं और अपने अतीत से उतना ही अनजान ,जितना कि मैं।हम तुम बेहद करीब बैठे थे पर एकदम
अजनबियों की तरह !कितना-कुछ बदल गया था इन बीते वर्षों में ? कभी तुम्हारे आस-पास
होने पर हवा भी तुम्हारे होने की चुगली कर देती थी पर उस वक्त ऐसा कुछ नहीं हुआ।हमारी
साँसें भी शायद ठण्डी हो गई थीं बिलकुल हमारी तरह।
हम टेम्पो में करीब एक घंटे तक आमने-सामने बैठे रहे और मैं आदतन चुप ही
रहा।हालाँकि तुम्हें पता है कि मैं कितना बातूनी हूँ पर न जाने उस वक्त किस ख़ामोशी
ने मुझे घेर लिया था।हम उस छोटे से सफ़र में थोड़ी देर के लिए एक साथ रहे।कभी तुमको
लेकर मैंने सोचा था कि पूरी ज़िंदगी का सफ़र तय करेंगे पर वैसा होने की कभी गुंजाइश
भी न बनी।उस रोज छोटा सा ही सफ़र सही,हमने साथ तय किया तो थोड़े वक्त के लिए हमसफर बन गए।पर अफ़सोस, हमें यह बात तुम्हारे चले जाने के बाद पता चली।टेम्पो
से उतरते ही हमारे स्कूल का साथी रामू वहीँ मिल गया और उसी ने तुम्हारी शिनाख्त की
। उसने इतने अरसे बाद हम दोनों के साथ होने पर मुबारकवाद दी तो मैं चौंक गया।पर अब
कुछ नहीं हो सकता था।तुम तब तक वहाँ से निकल चुकी थीं।ऐसे दिन भी कभी आएँगे,सोचा न था।उस समय यदि मालूम हो जाता तो
तुम्हारा हाल पूछता।बहरहाल,तुम्हारी पहचान
पाने के पल से ही मेरे होशो-हवास गुम हैं पर तुम तो मेरे होने को लेकर ही अनजान
होगी।क्या पता तुमने मुझे पहचान लिया हो या नहीं भी ?
तुम्हारे जाने के बाद से मैं यही सोच रहा हूँ कि कितने जाने-पहचाने हम इतने
अनजाने कैसे हो गए ? क्या ये केवल समय
का अंतर भर था या हम दोनों बिलकुल बदल गए ?जब मैं तुम्हारे नज़दीक था,तब अपनी बात न कह सका था और अब जब तुम्हें मेरे
होने न होने का एहसास भी नहीं रहा ,अपने बारे में
कैसे कह दूँ ? क्या बदलाव ऐसे
भी होता है ?तुम्हारा कोई
जवाब उस वक्त भी नहीं मिला था,जब हम साथ हुआ
करते थे ,क्या आज भी मुझे इंतज़ार
करना होगा ? यह शायद आखिर से
पहले वाला खत है।मिले तो भी जवाब न देना।कुछ बातें सवालों में रहें तो ही बेहतर।
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